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प्रोस्टेट कैंसर क्या है? जानें लक्षण और कारण


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नई दिल्लीः प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में विकसित होता है, जो पुरुषों और जन्म के समय पुरुष निर्धारित लोगों में प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा है। बहुत से लोग सक्रिय निगरानी (कोई इलाज नहीं) चुनते हैं क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और ग्रंथि में रहता है। तेजी से बढ़ने और फैलने वाले कैंसर के लिए, सामान्य उपचार में विकिरण और सर्जरी शामिल हैं।

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट में विकसित होता है, जो पुरुषों और जन्म के समय पुरुष ( एएमएबी ) वाले लोगों में मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने स्थित एक छोटी अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है। यह छोटी ग्रंथि द्रव स्रावित करती है जो वीर्य के साथ मिलकर गर्भधारण और गर्भावस्था के लिए शुक्राणु को स्वस्थ रखती है।प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है। सौभाग्य से, प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित अधिकांश लोगों का निदान उनके प्रोस्टेट ग्रंथि से परे फैलने से पहले ही हो जाता है। इस स्तर पर उपचार अक्सर कैंसर को ख़त्म कर देता है।

प्रोस्टेट कैंसर के प्रकार क्या हैं?

यदि आपको प्रोस्टेट कैंसर का निदान किया गया है, तो यह संभवतः एडेनोकार्सिनोमा है । एडेनोकार्सिनोमा ग्रंथियों की कोशिकाओं में शुरू होता है – जैसे कि आपका प्रोस्टेट – जो द्रव स्रावित करता है। शायद ही कभी, प्रोस्टेट कैंसर अन्य प्रकार की कोशिकाओं से बनता है।

प्रोस्टेट कैंसर के कम सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:

लघु कोशिका कार्सिनोमस.
संक्रमणकालीन कोशिका कार्सिनोमस.
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर .
सारकोमा ।

प्रोस्टेट कैंसर कितना आम है?

प्रोस्टेट कैंसर आम है, त्वचा कैंसर के बाद यह पुरुषों और लोगों को प्रभावित करने वाला सबसे आम कैंसर है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, प्रोस्टेट से पीड़ित प्रत्येक 100 लोगों में से 13 को अपने जीवन में किसी समय प्रोस्टेट कैंसर होगा। अधिकांश सामान्य जीवन जिएंगे और अंततः प्रोस्टेट कैंसर से असंबंधित कारणों से मर जाएंगे। कुछ को उपचार की आवश्यकता नहीं होगी.फिर भी, संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल लगभग 34,000 लोग प्रोस्टेट कैंसर से मरते हैं।

कई प्रकार की परेशानियां होने लगती हैं

यूरोलॉजी एंड रेनल ट्रांसप्लांटेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. वहीद जमन बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर की स्टेज के बढ़ने से मरीज की स्थिति बिगड़ती रहती है. इसके कारण हड्डियों में फ्रैक्चर, रीढ़ में दर्द, यूरिन पास करने में दिक्कत और पैरों में कमजोरी आ जाती है. अगर किसी को ये सब परेशानियां महसूस हो रही हैं, तो पीएसए टेस्ट कराना पड़ता है. अगर पीएसए लेवल हाई रहता है तो ये कैंसर का संकेत होता है. ऐसे में एमआरआई और बायोप्सी कराई जाती है. प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि होने पर यह भी देखा जाता है कि ये शरीर के अन्य हिस्सों में तो नहीं फैल गया है. इसके लिए PET-CT किया जाता है.

ऐसे होता है इलाज

डॉ. के मुताबिक,अगर कैंसर सिर्फ प्रोस्टेट में है तोऑपरेशन कराना सबसे बेहतर विकल्प है. इसके अलावा रेडिएशन और हार्मोन थेरेपी भी करा सकते है. ऑपरेशन में पूरा प्रोस्टेट ही निकाल दिया जाता है. डॉक्टर्स रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से इस ऑपरेशन को करते हैं. इस सर्जरी से ऑपरेशन बिलकुल स्टीक होता है और मरीज रिकवर भी जल्दी हो जाता है.डॉ. के मुताबिक, इस कैंसर से बचाव के लिए जरूरी है कि लाइफस्टाइल को ठीक रखें. खानपान पर ध्यान दें. 50 साल की उम्र के बाद पीएसए टेस्ट कराते रहें.

ये होते हैं प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

यूरिन करने में परेशानी

बार-बार पेशाब आना

पेशाब को कंट्रोल न कर पाना

स्पर्म के साथ ब्लड आना

किसे है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा ज्यादा

प्रोस्टेट कैंसर अमूमन 50 से 65 की उम्र वाले पुरुषों में ज्यादा नजर आता है लेकिन कई बार ये कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है. प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में फैमली हिस्ट्री के अलावा मोटापा या अंडकोष पर कोई गंभीर चोट या घाव भी हो सकता है.

ब्लड में पीएसए बढ़ने से होता है खतरा

प्रोस्टेट पुरुष प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा है. जिसमें लिंग, प्रोस्टेट, सेमिनल वेसिकल्स और अंडकोष शामिल होते हैं. प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें प्रोस्टेट में कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं. यह कैंसर ब्लड में पीएसए एक तरह का प्रोटीन का लेवल बढ़ने से होता है.

प्रोस्टेट कैंसर फैलने के कारण

बढ़ती उम्र

प्रोस्टेट कैंसर सबसे ज्यादा 40 साल की उम्र के बाद होता है। उम्र बढ़ने के साथ ही प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने लगती है जो कि कैंसर होने की संभावना को बढ़ाती है। 50 साल की उम्र पार कर रहे लोगों में यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। प्रोस्टे कैंसर के हर 3 में से 2 मरीजों की उम्र 65 या उससे ज्यादा होती है।

खान-पान

आधुनिक जीवनशैली में खान-पान भी प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का प्रमुख कारण बन गया है। लेकिन अभी इस बारे में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। जो आदमी लाल मांस (रेड मीट) या फिर ज्यादा वसायुक्त डेयरी उत्पादों का प्रयोग करते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभवना ज्यादा होती है। लेकिन ज्यादा वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन ही प्रोस्टेट कैंसर का प्रमुख कारण है इस बात पर अभी भी आशंका है। जंक फूड का सेवन भी प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना को बढ़ाता है।

मोटापा

मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। मोटे लोगों को डायबिटीज कई सामान्य बीमारियां होना आम बात है। लेकिन मोटापा प्रोस्टेट कैंसर के फैलने का एक कारण है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। लेकिन इस तथ्य की पुष्टि नहीं हो पायी है कि मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर होने का प्रमुख कारण है लेकिन कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आयी है।

धूम्रपान

धू्म्रपान करने से मुंह और फेफड़े का कैंसर तो होता है लेकिन धूम्रपान प्रोस्टेट कैंसर को भी बढ़ाता है। धूम्रपान करने वालों को प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। सिगरेट में पाया जाने वाला निकोटीन प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ाता है।कम प्रजनन क्षमता वाले लोगों में भी प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। यदि सही समय पर इस मर्ज का पता लग जाए, तो सर्जरी के जरिए प्रोस्टेट कैंसर से निजात पाना संभव है। इसलिए अगर उम्र बढ़ने के बाद प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण दिखे तो चिकित्सिक से संपर्क जरूर कीजिए।

प्रोस्टेट कैंसर का क्या कारण है?

विशेषज्ञ निश्चित नहीं हैं कि किस कारण से आपके प्रोस्टेट की कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। सामान्य कैंसर की तरह , प्रोस्टेट कैंसर तब बनता है जब कोशिकाएं सामान्य से अधिक तेजी से विभाजित होती हैं। जबकि सामान्य कोशिकाएँ अंततः मर जाती हैं, कैंसर कोशिकाएँ नहीं। इसके बजाय, वे बढ़ते हैं और एक गांठ में बदल जाते हैं जिसे ट्यूमर कहा जाता है। जैसे-जैसे कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, ट्यूमर के कुछ हिस्से टूट सकते हैं और आपके शरीर के अन्य हिस्सों (मेटास्टेसिस) में फैल सकते हैं।सौभाग्य से, प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है। अधिकांश ट्यूमर का निदान आपके प्रोस्टेट से परे कैंसर फैलने से पहले किया जाता है। इस स्तर पर प्रोस्टेट कैंसर का इलाज अत्यधिक संभव है।

प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं?

सबसे आम जोखिम कारकों में शामिल हैं:

आयु। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपका जोखिम बढ़ता जाता है। यदि आपकी उम्र 50 से अधिक है तो आपके निदान की संभावना अधिक है। लगभग 60% प्रोस्टेट कैंसर 65 से अधिक उम्र के लोगों में होते हैं। जाति और नस्ल। यदि आप अश्वेत हैं या अफ़्रीकी वंश के हैं तो आप अधिक जोखिम में हैं। आपको प्रोस्टेट कैंसर होने की अधिक संभावना है जिसके फैलने की अधिक संभावना है। आपको 50 वर्ष की आयु से पहले प्रोस्टेट कैंसर होने का भी अधिक खतरा होता है। प्रोस्टेट कैंसर का पारिवारिक इतिहास। यदि आपके परिवार के किसी करीबी सदस्य को प्रोस्टेट कैंसर है तो आपको प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक है। आनुवंशिकी। यदि आपको लिंच सिंड्रोम है या आपको स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम ( बीआरसीए1 और बीआरसीए2 ) से जुड़े उत्परिवर्तित (परिवर्तित) जीन विरासत में मिले हैं तो आप अधिक जोखिम में हैं।

इस टेस्ट से चलता है प्रोस्टेट कैंसर का पता

CDC के अनुसार प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट नाम के ब्लड टेस्ट से इस कैंसर का पता चलता है. यह खून में पीएसए के स्तर को मापता है. स्कोर 10 से ज्यादा होने पर प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

क्या होता है PSA


PSA प्रोस्टेट ग्रंथि की सामान्य साथ ही घातक कोशिकाओं द्वारा उत्पादित प्रोटीन होता है. खून में इसकी मात्रा बढ़ने से प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. वैसे तो पीएसए का कोई विशिष्ट सामान्य स्तर नहीं है लेकिन ब्लड में 4.0 एनजी/एमएल और उससे कम स्तर को सामान्य की कैटेगरी में रखा जाता है. हाई पीएसए हमेशा प्रोस्टेट कैंसर से संबंधित नहीं होता है, यह प्रोस्टेट में अन्य गड़बड़ी का भी नतीजा हो सकता है. ब्लड टेस्ट से इस प्रोटीन की मात्रा को पकड़ा जा सकता है. 

जागरूकता बेहद अहम

इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे जरूरी है जागरूकता. उनका सुझाव है कि जिनके पैरेंट्स को कैंसर की हिस्ट्री है उनको सचेत रहना चाहिए. पिता को प्रोस्टेट और मां को ब्रेस्ट कैंसर हो तो उस व्यक्ति को डीआरई (DRE) टेस्ट जरूर करवाना चाहिए. डीआरई टेस्ट का मतलब होता है- डिजिटल रेक्टम एग्जामिनेशन. यह एक प्रोसेज्योर होता है. इसमें पुरुषों में लोवर रेक्टम और अन्य इंटरनल ऑर्गेन की जांच की जाती है. इसको किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर या यूरोलॉजिस्ट से ही करवाना चाहिए. इसके अलावा वह 40 की उम्र से ज्यादा के पुरुषों को सलाह देते हैं कि उन्हें साल में एक बार पीएसए टेस्ट करवा लेना चाहिए. पीएसए का लेवल अगर 4 से ज्यादा हो तो उसके प्रोस्टेट कैंसर में तब्दील होने की आशंका काफी ज्यादा हो जाती है. इसके अलावा एमआरआई और कई अन्य टेस्ट हैं.

कब कराना चाहिए प्रोस्टेट कैंसर की जांच

50 के बाद से ही प्रोस्टेट कैंसर की जांच शुरू करा देना चाहिए. प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए विटामिन सी से भरे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, नियमित एक्सरसाइज और स्वस्थ वजन के साथ रेगुलर हेल्थ चेकअप पर ध्यान जरूर देना चाहिए.

अलर्ट रहने की जरूरत

डॉक्टर केसरवानी का कहना है कि इसके कारणों की बात करने के बजाय अलर्ट रखने पर ध्यान देना चाहिए. पेशाब में किसी तरह की परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. यूरोलॉजिस्ट की राय लें न कि गूगल से ज्ञान हासिल करें. मर्दों में प्राइवेट ऑर्गेन के बारे में बात करें. डॉक्टर से किसी तरह का संकोच न करें.

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