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मछली पकड़ने के नियमों में भेदभाव के मुद्दे को लेकर WTO में भारत उठाएगा सवाल


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नई दिल्ली – विश्व व्यापार संगठन (WTO) की जेनेवा में 13 नवंबर से तीन दिसंबर तक मंत्रिस्तरीय बैठक शुरू होने वाली है। इस बैठक में भारत एक एहम मुद्दा रख सकता है। भारत कृषि और मछली पकड़ने के नियमों में वैश्विक इंसाफ और बराबरी को लेकर आवाज उठाएगा।

भारत का मानना है कि चीन व यूरोप के विकसित देश विकासशील देशों की जलीय सीमा का अतिक्रमण कर मछली पकड़ लेते है, जिसे रोका जाना चाहिए। विकासशील देशों को अपने मछुआरों को विभिन्न सब्सिडी देने की छूट मिलनी चाहिए और विकसित देशों द्वारा उनके मछुआरों को दी जा रही छूट सीमित करनी चाहिए। विशेष रूप से कृषि में कुछ विशेष विकसित सदस्य देशों को असमान और व्यापार को सीमित करने के अधिकारों की अनुमति मिली, जबकि कम विकसित सदस्य देशों को गलत तरीके से रोका गया जिनके पास तब अपने उद्योग या किसानों का समर्थन करने की क्षमता और संसाधन नहीं थे। मत्स्य पालन विश्व भर में सार्वजनिक रूप से मानवता के लिए एक सामान्य प्रबंध है। इसलिए, इसका बंटवारा न्यायसंगत और न्यायपूर्ण तरीके से होना चाहिए। कोई भी असंतुलित या असमान समझौता मछली पकड़ने की वर्तमान व्यवस्था में हमारे हाथ बांध देगा जो जरूरी नहीं कि सभी की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करे।

कृषि के क्षेत्र में भी सब्सिडी के मामले में विकासशील और विकसित देशों में बड़ा असंतुलन है जिसे तत्काल खत्म करने की जरूरत है। विकसित देश जहां उत्पादन मूल्य के लिहाज से प्रति किसान 40,000 डालर यानी 30 लाख रुपये तक की सब्सिडी देते है। जबकि भारत प्रति किसान सिर्फ 400 डालर यानी 30,000 रुपये तक की सब्सिडी दे पाता है। इस पर भी विकसित देशों को आपत्ति है। वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत भारत में चलाए जा रहे खाद्य वितरण कार्यक्रम पर भी आपत्ति जाहिर करते है।

फ़िलहाल WTO की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो तीन दिवसीय भारत के दौरे पर है। वे वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अलावा कई केंद्रीय मंत्री एवं उद्योग संगठनों के साथ बातचीत करेंगी। WTO का मंत्रिस्तरीय समूह इसके फैसले लेने वाला सर्वोच्च समूह है। इसलिए आगामी बैठक से पहले WTO की महानिदेशक प्रमुख देशों के साथ वार्तालाप कर रही है। विकसित देश मत्स्य पालन को लेकर वैश्विक नियम चाहते है। लेकिन भारत का कहना है कि पहले उसके प्रस्ताव पर फैसला हो, फिर किसी वैश्विक नियम पर बहस होनी चाहिए।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरसरकारी संगठन है जो राष्ट्रों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित और सुगम बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने वाले नियमों को स्थापित करने, संशोधित करने और लागू करने के लिए सरकारें संगठन का उपयोग करती है। इसने आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 1995 को, 1994 के मराकेश समझौते के अनुसार संचालन शुरू किया, इस प्रकार 1948 में स्थापित टैरिफ और व्यापार (GATT) पर सामान्य समझौते की जगह ले ली। विश्व व्यापार संगठन दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठन है, जिसमें 164 सदस्य देश प्रतिनिधित्व करते है।

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