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तेरा क्या होगा लवली रिव्यु : इलियाना और रणदीप ने बखूबी निभाए अपने किरदार, निर्देशन में पूरी तरह फेल रहे बलविंदर


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मुंबई – रणदीप हुड्डा, इलियाना डिक्रूज और करण कुंद्रा स्टारर फिल्म ‘तेरा क्या होगा लवली’ रिलीज हो गई है। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 24 मिनट है। अच्छे विचारों पर खराब फिल्में बनाने का इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर कंपटीशन सा है। निर्देशक विकास बहल ने काला जादू और वशीकरण जैसे लोकरुचि वाले विचार पर औसत से भी कमतर एक फिल्म ‘शैतान’ बनाई है तो रणदीप हुड्डा जैसे काबिल कलाकार को लेकर निर्देशक बलविंदर सिंह जंजुआ ने बनाई ‘तेरा क्या होगा लवली’। ‘फेयर एंड लवली’ और फिर ‘फेयर एंड अनलवली’ नामों से बनती रही ये फिल्म अरसे से डिब्बाबंद रही है और अब जाकर इसके भाग्य जगे हैं, लेकिन एक कमाल की फिल्म बन सकने लायक कहानी वाली फिल्म ‘तेरा क्या होगा लवली’ एक गोरी हीरोइन के चेहरे पर कालिख पोतकर उसे काला या कहें कि सांवला बनाने के चक्कर में अपने ट्रेलर की रिलीज के साथ ही अपनी गरिमा खो बैठी।

फिल्म की कहानी

तेरा क्या होगा लवली अपने नाम की ही तरह दिलचस्प और बेहद मजेदार कहानी है, जो थिएटर्स में फिल्म देखने आई ऑडियंस को सुपर एंटरटेन करेगी। ये फिल्म दहेज और रंग भेद जैसे मुद्दों को मजेदार तरीके से दर्शकों के सामने परोसती है। फिल्म हरियाणा की पृष्ठभूमि पर बनी है जिसमें लवली (इलियाना डिक्रूज) का परिवार उसकी जल्द से जल्द शादी कराना चाहता है।लेकिन यही सबसे बड़ी समस्या होती है, क्योंकि लवली का गहरा रंग उसकी शादी में एक बड़ी मुसीबत बन जाता है। ऐसे में एक पिता अपनी बेटी की शादी करवाने के लिए किसी भी हद तक चला जाता है। लवली को गोरा दिखाने के लिए कैसे उसकी फोटोज एडिट करवाने से लेकर डबल दहेज तक देने के लिए राजी हो जाता है। लेकिन यहां भी एक ट्विस्ट आ जाता है क्योंकि लवली की शादी का दहेज से भरा ट्रक लुटेरे लेकर फरार हो जाते हैं जिसको ढूंढने का जिम्मा सोमवीर (रणदीप हुडा ) को सौंपा जाता है। सोमवीर हरियाणा पुलिस में होता है और वो पहले ही लवली को उसके रंग की वजह से रिजेक्ट कर चुका होता है।

कमजोर कड़ी फिल्म की मुख्य नायिका इलियाना डिक्रूज

फिल्म ‘तेरा क्या होगा लवली’ की सबसे कमजोर कड़ी फिल्म की मुख्य नायिका इलियाना डिक्रूज हैं। मां बनने की खबर आने के बाद वह पहली बार इस फिल्म के जरिए दर्शकों के बीच नजर आई हैं, लेकिन इससे पहले फिल्मों के चयन को लेकर उनकी जो सोच रही है, उसके मुताबिक यह फिल्म उनके व्यक्तित्व से बिल्कुल भी मेल नहीं खाती है। एक कलाकार की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने लिए ऐसी फिल्में और किरदार का चयन करे, जिसे वह पूरी तरह से न्याय कर सके। बलविंदर सिंह जंजुआ की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी बनती थी कि लवली के किरदार के लिए सही अभिनेत्री का का चयन करते। इस किरदार के लिए अगर वास्तविक जीवन की किसी सांवली हीरोइन का चयन किया जाता तो बात ही कुछ और होती।

निर्देशन में पूरी तरह फेल रहे बलविंदर

बतौर निर्माता व निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ की रिलीज से पहले अभिनेता रणदीप हुड्डा की यह फिल्म सोनी पिक्चर्स ने जानबूझकर रिलीज की है। कंपनी को अंदाजा रहा होगा कि रणदीप हुड्डा को लेकर बनी हाइप से ‘तेरा क्या होगा लवली’ को भी फायदा होगा लेकिन बात नहीं। रणदीप खुद हरियाणा से हैं और फिल्म में हरियाणवी बोलने का लहजा उनका बहुत सही है, लेकिन जिस तेवर और कलेवर के वह अभिनेता हैं, वैसी परफॉर्मेंस उनसे फिल्म के निर्देशक नहीं निकलवा पाए हैं।

एक्टिंग कैसी है?

एक्टर्स के परफॉर्मेंस की बात करें, तो इलियाना डिक्रूज ने लवली के किरदार के साथ न्याय किया है। इलियाना ने फिल्म में हरियाणवी कैरेक्टर को अच्छे से पकड़ा है। रणदीप हुडा ने भी सोमवीर के किरदार को बखूबी निभाया है। लेकिन करण कुंद्रा की एक्टिंग ने फिल्म में जान डाल दी है। उनकी कॉमिक टाइमिंग से लेकर एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी तारीफ करने लायक है।इसके अलावा पवन मल्होत्रा, गीता अग्रवाल, श्रुति उल्फत, करण कुंद्रा, शिवांकित सिंह परिहार और गीतिका विद्या जैसे बाकी एक्टर्स ने भी अपने किरदार को पकड़े रखा।फिल्म के बाकी कलाकारों में नवविवाहित कांस्टेबल के रूप में गीतिका विद्या मामला जमाने की खूब कोशिशें करती हैं। इलियाना की तुलना में गीतिका बेहतर भी लगती हैं। लेकिन, लवली के पिता की भूमिका में पवन मल्होत्रा ने भी निराश ही किया है। वरुण शर्मा ने यह फिल्म क्यों की, यह बात समझ से परे लगती हैं। फिल्म के बाकी कलाकारों में करण कुंद्रा और सुनील दहिया का भी अभिनय इस फिल्म में सामान्य ही है।

डायरेक्शन कैसा है?

फिल्म के डायरेक्टर बलविंदर सिंह जंजुआ हैं। उन्होंने फिल्म के सभी एक्टर से बेस्ट निकलवाने की कोशिश की है। लेकिन डायरेक्शन पर और अच्छा काम किया जा सकता था। फिल्म में कुछ बहुत सप्राइजिंग देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन कहानी आपको कहीं बोर नहीं करती है। फिल्म की कहानी कुणाल मांडेकर और अनिल रोधन ने लिखा है। वहीं स्क्रीनप्ले अनिल रोधन और रूपिंदर चहल ने साथ मिलकर लिखा हैं। फिल्म में कॉमिक टाइमिंग बहुत कमाल की दी गई है।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

फिल्म का म्यूजिक और साउंड भी फिल्म की थीम और ह्यूमर को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। फिल्म में ऐसे गाने नहीं हैं जो आपको बार-बार सुनने की इच्छा हो। लेकिन फिल्म देखते समय आप म्यूजिक को एंजॉय करेंगे।

फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?

फिल्म में समाज के पुराने और बड़े मुद्दे को बड़ी ही सरलता से दिखाने की कोशिश की गई है। लेकिन अगर आप सरप्राइज होने की उम्मीद से फिल्म देखने के लिए जा रहे हैं, तो आप निराश होंगे। अगर आप एंटरटेन होना चाहते हैं, तो आप ये फिल्म देख सकते हैं। फिल्म में बोर होने जैसा कोई पहलू नहीं है। ये एक फैमिली एंटरटेनिंग फिल्म है, इसे आप परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। फिल्म में ज्यादा कुछ नया देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन गंभीर मुद्दे को हास्य तरीके से दिखाने की उनकी इस कोशिश की तारीफ होनी चाहिए।

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