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पीएम मोदी से पंगा लेकर बुरा फंसा मालदीव, हुआ दिवालिया


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नई दिल्लीः भारत और मालदीव के रिश्तों में तल्खी उस वक्त दिखनी शुरू हुई, जब मालदीव में नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू की सरकार बनी. उनकी छवि चीन के प्रति ज्यादा झुकाव रखने वाले नेता की है. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की और दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया. मालदीव के मंत्रियों ने पीएम मोदी को लेकर बयानबाजी की, जिसके बाद उन्हें वहां की सरकार ने सस्पेंड किया. अब खबर है कि पीएम मोदी के साथ हुए इस पंगे के बाद मालदीव ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है.कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मालदीव को उसके बढ़ते कर्ज के लिए चेतावनी दी थी. इस बीच खबर आई है कि मालदीव ने आईएमएफ के सामने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. क्या इस बात में कोई सच्चाई है?

मालदीव हुआ दिवालिया

कुछ देर पहले ही आई एक रिपोर्ट के अनुसार मालदीव दिवालिया हो गया है। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। मालदीव ने आईएमएफ (इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड – IMF) से अपनी स्थिति साझा करते हुए दिवालियापन की जानकारी दी है।

कहां से शुरू हुई ‘दिवालिया’ होने की चर्चा?

मालदीव के दिवालिया होने की खबर शुरू हुई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ की पोस्ट से. फ्रंटलफोर्स नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने खबर लगाई कि मालदीव ने खुद को आईएमएफ के सामले दिवालिया घोषित कर दिया है, साथ ही बेलआउट पैकेज की मांग की है. ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई.

बेलआउट की मांग

मालदीव ने दिवालिया होने के बाद अब आईएमएफ से बेलआउट लोन की मांग की है। भारत से पंगा लेने के बाद पहले से जूझ रही मालदीव की अर्थव्यवस्था को और भी झटका लगा और बात अब दिवालिएपन तक आ गई है। ऐसे में स्थिति को सुधारने के लिए मालदीव ने आईएमएफ से कर्ज़ मांगा है।

क्या मालदीव सच में हुआ ‘दिवालिया’?

मालदीव के दिवालिया होने की खबर के बाद वहां के आर्थिक मामलों के मंत्री मोहम्मद सईद ने इसका खंडन किया. सन इंटरनेशनल की एक खबर के मुताबिक मंत्री मोहम्मद सईद ने कहा कि मालदीव की वित्तीय हालत बेहतर हो रही है. ये अनुमान से अधिक तेज गति से आगे बढ़ रही है.

सरकार ने आईएमएफ से मदद मांगी है और उसके साथ एक आर्थिक सुधार कार्यक्रम को शुरू करने पर सहमत हुई है. ये देश की आर्थिक दिक्कतों को दूर करने की एक कोशिश है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे धड़े हैं जो देश की वित्तीय हालत के बारे में एक धारणा बनाकर लोगों के बीच अविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. ये उनकी राजनीतिक हताशा है.

भारत से पंगा लेना पड़ा भारी

एक समय था जब भारत और मालदीव के बीच अच्छे संबंध थे। पर मुइज्जू के मालदीव का राष्ट्रपति बनते हुए दोनों देशों के संबंधों में तकरार आनी शुरू हो गई गई। मुइज्जू शुरू से ही भारत विरोधी रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने मालदीव से भारत की सेना को हटाने की ज़िद्द पकड़ ली। वहीं पीएम मोदी के लक्षद्वीप जाने के बाद मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणी से भारतीयों में गुस्सा पैदा हो गया। इससे बड़ी संख्या में भारतीयों ने मालदीव का विरोध करना शुरू कर दिया। बड़े सेलेब्स और कई लोगों ने मालदीव की ट्रिप कैंसिल करनी शुरू कर दी। भारत की कई ट्रैवलिंग कंपनियों ने भी मालदीव की फ्लाइट से लेकर होटल तक की बुकिंग्स कैंसिल करना शुरू कर दिया। इससे मालदीव के पर्यटन को बड़ा झटका लगा। पिछले साल एक मालदीव जाने वाले यात्रियों में भारतीयों का स्थान सबसे ऊपर था, पर अब इस मामले में भारत पांचवे स्थान पर आ गया है। जनवरी में भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या मणि काफी गिरावट आई है और आगे भी ऐसा होना जारी रहेगा।वैसे मालदीव की इकोनॉमी मुख्य तौर पर टूरिज्म पर चलती है. भारत से भी हर साल लाखों यात्री मालदीव जाते हैं. ऐसे में पीएम मोदी का लक्षद्वीप को मालदीव के अल्टरनेटिव के तौर पर प्रमोट करना और मालदीव की उसे लेकर दिखती बेचैनी अपने आप में कई बातों को साफ कर देती है.

अपने पैरों पर कुल्हाड़ी

सिर्फ पर्यटन में ही नहीं, मेडिकल, शिक्षा और दूसरी कई ज़रूरत की चीज़ों जिसके लिए मालदीव काफी हद तक भारत पर निर्भर रहता था, उस मामले में भी मालदीव को बड़ा झटका लगा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि मालदीव को आपात चिकित्सा मामले में श्रीलंका से मदद मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पाकिस्तान, जो खुद कंगाली से जूझ रहा है, मालदीव की मदद करने का प्रस्ताव दे रहा है। यूं तो चीन मालदीव की मदद कर सकता है पर चीन की मदद मालदीव को आगे जाकर काफी भारी पड़ेगी। ऐसे में मालदीव ने भारत से पंगा लेकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

चीन का मालदीव में है खतरनाक प्‍लान

वहीं चीन मालदीव के मकुनुधू द्वीप में एक समुद्री ऑब्जर्वेटरी बनाना चाहता है। इसके जरिए वह भारतीय नौसेना से लेकर अमेरिकी नौसेना के युद्धपोतों पर वह आसानी से नजर रख सकेगा। चीन ने 2017 में मालदीव की पिछली अब्‍दुल्‍ला यामीन सरकार से इस पर सहमति ली थी। यामीन मुइज्‍जू के करीबी रहे हैं। तब भारत ने इसका कड़ा विरोध किया था और अपन सुरक्षा चिंताओं को मालदीव से पूरजोर तरीके से उठाया था। मालदीव की सोलिह सरकार ने इस परियोजना को रोक दिया था दी थी, लेकिन अब फिर चिंता है कि इसे दोबारा शुरू किया जा सकता है। भारत को डर है कि चीन इस निगरानी केंद्र का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकता है।

भारत मालदीव के पास करेगा शक्ति प्रदर्शन

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 15 युद्धपोतों के साथ 4 मार्च को मिनिकोय द्वीप जा रहे हैं जहां पर वह नौसेना बेस का उद्घाटन करेंगे। इन युद्धपोतों में भारत के दो विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना गोवा से कर्नाटक के कारवार और फिर मिनिकॉय द्वीपों तक जाएगी, जहां कमांडरों का सम्मेलन भी होगा। मोदी सरकार मिनिकोय में नया और अगाती द्वीपों में पुरानी हवाई पट्टी को अपग्रेड करेगी। भारत का ये कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की शक्ति और समुद्री सुरक्षा बढ़ान

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