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National Youth Day 2024: स्वामी विवेकानंद का जीवन के बारे में,क्या है इस साल की थीम


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नई दिल्ली – यह 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के सम्मान में मनाया जाता है। इस वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 की थीम “इट्स ऑल इन द माइंड” है।स्वामी विवेकानन्द एक ऐसा नाम है, जिसे किसी भी प्रकार के परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, जिन्हें पश्चिमी दुनिया को हिंदू धर्म के बारे में जागरूक करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने 1893 में शिकागो की धर्म संसद में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया। स्वामी विवेकानन्द की जयंती के उपलक्ष्य में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।

अमेरिका के शिकागो में धर्म संसद में बढ़ाया भारत का मान

स्वामी विवेकानंद का पूरा जीवन ही सीख लेने योग्य है। 25 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह माया त्याग कर वह संन्यासी बन गए। गुरु रामकृष्ण परमहंस को समर्पित रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।एक बार अमेरिका के शिकागो में धर्म संसद का आयोजन हुआ तो हिंदी में भाषण देकर स्वामी विवेकानंद ने हर भारतीय का गौरव बढ़ाया।

National Youth Day क्या है थीम

राष्ट्रीय युवा दिवस की इस बार थीम इट्स ऑल इन द माइंड, जिसका हिंदी में अर्थ है सब कुछ आपके दिमाग में है। विवेकानन्द की शिक्षा का मूल उद्देश्य युवाओं में नैतिक मूल्यों, शिक्षा और चरित्र विकास को बढ़ावा देने पर था

National Youth Day क्या है इतिहास

भारत सरकार ने 1984 में स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाए जाने की घोषणा की। इसके अगले साल यानी कि 1985 से देश भर में हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इसका उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारों और आदर्शों को हर युवा तक पहुंचाना है। स्वामी विवेकानंद की कही बातों का युवाओं पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। भारत ही पश्चिमी दुनिया पर भी स्वामी विवेकानन्द ने हिंदू धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (पहले कलकत्ता) में हुआ था। वह एक आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक थे। उनके व्याख्यानों, लेखों, पत्रों, कविताओं और विचारों ने न केवल भारत के युवाओं, बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित किया। वह कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ के संस्थापक हैं, जो आज भी जरूरतमंदों की मदद के लिए काम कर रहे हैं। वह एक बुद्धिमान व्यक्ति और बहुत ही सरल इंसान थे।विवेकानन्द के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था, वह कलकत्ता के एक संपन्न बंगाली परिवार से थे। वह विश्वनाथ दत्त और भुवनेश्वरी देवी की आठ संतानों में से एक थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति के अवसर पर हुआ था । उनके पिता एक वकील और समाज में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। विवेकानन्द की माँ ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थीं और उनका उनके बेटे पर बहुत प्रभाव था।

वाद्य और गायन दोनों ही प्रकार के संगीत में रुचि

आठ साल की उम्र में विवेकानंद का दाखिला ईश्वर चंद्र विद्यासागर के संस्थान और बाद में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुआ था। उनका परिचय पश्चिमी दर्शन, ईसाई धर्म और विज्ञान से हुआ। उन्हें वाद्य और गायन दोनों ही प्रकार के संगीत में रुचि थी। वह खेल, जिम्नास्टिक, कुश्ती और बॉडीबिल्डिंग में सक्रिय थे। उन्हें पढ़ने का भी शौक था और जब उन्होंने कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की, तब तक उन्होंने विभिन्न विषयों का व्यापक ज्ञान प्राप्त कर लिया था। क्या आप जानते हैं कि एक ओर उन्होंने भगवद गीता और उपनिषद जैसे हिंदू धर्मग्रंथ पढ़े और दूसरी ओर डेविड ह्यूम, हर्बर्ट स्पेंसर आदि द्वारा लिखित पश्चिमी दर्शन और आध्यात्मिकता भी पढ़ी ?

स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचार

जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।

किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या न आए, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।

यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं।

उठो, जागो और तबतक न रुको, जब तक तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते

संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आपको ऊंचाई से गिरा भी सकती है, इसलिए संगति अच्छे लोगों से करें।

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