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Fighter Movie Review: आसमानी मोहब्बत की बार बार रुलाने वाली कहानी, देशभक्ति से ओत-प्रोत है ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की फाइटर

मुंबई – ‘दुनिया में मिल जाएंगे आशिक कईं, पर वतन से हसीन सनम नहीं होता। हीरों में सिमटकर, सोने से लिपटकर मरते होंगे कईं, तिरंगे से हसीन कफन नहीं होता…’ फिल्म की शुरुआत में रितिक अपने साथी फाइटर पायलट्स को यह शेर सुनाकर अपने इरादे जाहिर कर देते हैं। साल 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद तमाम फिल्मों की घोषणा हुई, लेकिन कोविड-19 के कारण ज्यादातर प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ पाए। पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर हुई इस एयर स्ट्राइक से प्रेरित फिल्म ‘फाइटर’ उस घटना के पांच साल बाद साल 2024 में रिलीज हुई है।

भारत की पहली एरियल एक्शन फिल्म

‘फाइटर’ को भारत की पहली एरियल एक्शन यानी कि हवा में एक्शन वाली फिल्म बताया जा रहा है। हालांकि इससे पहले बीते साल आई कंगना रनौत की फिल्म ‘तेजस’ में भी भारतीय एयरफोर्स के कुछ इसी तरह के मिशन को दिखाया गया था। वैसे सिनेमा के पर्दे पर एयरफोर्स के कारनामों को दिखाने का सिलसिला जारी रहेगा। अगले महीने रिलीज होने वाली तेलुगू हीरो वरुण तेज की फिल्म ‘ऑपरेशन वैलंटाइन’ और दशहरे पर रिलीज होने वाली अक्षय कुमार की फिल्म ‘स्काई फोर्स’ भी इंडियन एयरफोर्स के एक्शन मिशन पर आधारित बताई जा रही हैं।

फाइटर की कहानी

फाइटर की कहानी एक आतंकी हमले की है. देश पर आतंकी हमला होता है और इसका बदला लेने के लिए भारतीय वायु सेना की एक कमान को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है. पूरी फिल्म इसी मिशन को लेकर है. इस मिशन से जुड़े हैं ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर और करण सिंह ग्रोवर. इस तरह फाइटर की कहानी में देशभक्ति का जज्बा है और वायु सेना के पायलट्स की लाइफ की भी झलक मिलती है. कुल मिलाकर कहानी एवरेज है, लेकिन फिल्म में नया है तो एरियल एक्शन. कुल मिलाकर औसत कहानी पर एरियल एक्शन का छौंक लगाकर इसे खास बनाने की कोशिश की गई है.

फाइटर का डायरेक्शन

सिद्धार्थ आनंद ने पठान को डायरेक्ट किया था और फाइटर में वह बतौर डायरेक्टर एक पायदान ऊपर आ गए हैं. हालांकि कहानी थोड़ी कमजोर है और फिल्म कई मोर्चों पर खींची हुई लगती है. लेकिन फिल्म में देशभक्ति का जज्बा पिरोना उन्हें बखूबी आता है. फिर दीपिका और ऋतिक फिल्म को मजबूती से थामते हैं. सिद्धार्थ आनंद ने विजुअल्स और एक्शन के जरिये फिल्म को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. इस तरह सिद्धार्थ आनंद ने दर्शकों की नब्ज को समझा है.

फाइटर में एक्टिंग

फाइटर में एक्टिंग के मोर्चे पर सभी सितारे अच्छे हैं. ऋतिक रोशन ने अपने किरदार को शानदार ढंग से निभाया है और वह जंचते भी हैं. दीपिका पादुकोण भी कमाल की लगती हैं, लेकिन रोमांटिक सीन हमें उनकी पुरानी फिल्मों की याद दिलाते हैं. अनिल कपूर और करण सिंह ग्रोवर ने ठीक-ठाक काम किया है.

एक्शन

फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद फाइटर पर ‘टॉप गन’ की कॉपी का इल्जाम लगाया गया था. लेकिन फिल्म देखने के बाद ये यकीन के साथ कहा जा सकता है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. याद है ‘पठान’ में पैराशूट की जगह अजीब से पेपर रॉकेट जैसे दिखने वाले मशीन में जॉन अब्राहम और शाहरुख़ खान की लड़ाई जिसके लिए सिद्धार्थ आनंद को खूब ट्रोल किया गया था. ये गलती उन्होंने इस फिल्म में नहीं दोहराई है. इस फिल्म में उन्होंने एक्शन का इस्तेमाल करते हुए फिजिक्स और लॉजिक का पूरा इस्तेमाल किया है. फाइटर प्लेन के एक्शन सीन में जिस तरह से सुखोई प्लेन में बैठे पैटी (ऋतिक रोशन) प्लेन को आसमान में उल्टा करते हैं और 90 डिग्री में उड़ाकर उससे फायरिंग करते हैं, तब 40 परसेंट की ओक्यूपेन्सी में भी थिएटर तालियों से गूंज उठता है. इन एक्शन सीन्स का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट ये है कि ये फाइट फेक नहीं लगती. इसका श्रेय डायरेक्टर के साथ-साथ एक्टर्स को भी जाता है.

वीएफएक्स और तकनीकी डिटेल्स

वीएफएक्स के बिना ‘फाइटर’ का एक्शन ड्रामा अधूरा है और इस कमाल के वीएफएक्स का श्रेय जाता है प्राइम फोकस स्टूडियो को, मुंबई के स्टूडियो में बैठकर उन्होंने हॉलीवुड का एक्शन डिजाइन किया है. फिल्म के गाने अच्छे हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक विनर है. वंदे मातरम गाने का बहुत ही खूबसूरती से पूरी फिल्म में इस्तेमाल किया गया है. और राहत की बात ये है कि फिल्म में देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं किया गया है. क्योंकि कई बार फिल्म में राष्ट्रगान बजाया जाता है और थिएटर में लोग उनके मूड के हिसाब से कभी खड़े होते हैं, तो कभी इसे इग्नोर करते हुए सीट पर बैठकर पॉपकॉर्न का आनंद लेते हैं, देखने में वो बड़ा अटपटा-सा लगता है. सिनेमेटोग्राफी की बात करें तो फिल्म में बेहतरीन एरियल शॉट का इस्तेमाल हुआ है. कश्मीर वैली में फिल्माया गया ऋतिक रोशन का हेलीकॉप्टर से बाहर निकलकर तिरंगा फहराने वाला सीन अद्भुत है. सिद्धार्थ के पठान की कोरियोग्राफी भी सचिन पॉल ने ही की थी.

‘फाइटर’ मूवी रिव्‍यू

बीते साल सुपरहिट फिल्म ‘पठान’ और उससे पहले ‘वॉर’ बना चुके सिद्धार्थ आनंद ने एयरफोर्स की थीम पर अच्छी फिल्म बनाई है। फिल्म की शुरुआत धीमी होती है। किरदारों का परिचय कराने में डायरेक्टर खासा वक्त लेते हैं। लेकिन इंटरवल से पहले ही फिल्म स्पीड पकड़ लेती है। सेकंड हाफ में कहानी रोमांच के चरम पर पहुंच जाती है। फिल्म का क्लाईमैक्स भी जबरदस्त है। खासकर फिल्म में कई बार फाइटर प्लेन की फाइट के जबरदस्‍त एक्शन सीन आपको रोमांचित कर देते हैं।

क्या बन पाएगी बॉक्स ऑफिस की पठान?

तकनीकी रूप से फिल्म काफी समृद्ध है। स्पेशल इफेक्ट्स के जरिये तैयार किए वायुसेना के विमानों की कलाबाजियों के दृश्य काफी रोमांचक हैं। खासतौर से ऋतिक का हवाईपट्टी के ठीक ऊपर उल्टा विमान उड़ाना और आसमान में उसे क्षैतिज दिशा में खड़ा कर देना, दोनों ही दृश्यों में दर्शकों को एक ऐसे रोमांच का अनुभव होता है जो शायद ही पहले किसी भारतीय फिल्म में दिखा हो। हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने भी अपने संवादों पर काफी मेहनत की है और इसके लिए उनकी तारीफ होनी ही चाहिए। सैटचिथ पाउलोज की सिनेमैटोग्राफी फिल्म की आत्मा है और आरिफ शेख का संपादन इसकी खूबसूरती है। संचित और अंकित बल्हारा का बैकग्राउंड म्यूजिक भी काफी प्रभावी है। फिल्म के दो गाने ‘मिट्टी’ और ‘दिल बनाने वाले’ गीतकार कुमार ने बहुत ही खूबसूरत लिखे हैं। विशाल शेखर और सिद्धार्थ आनंद का साथ शुरू से चला आ रहा है और इस बार भी इनकी ट्यूनिंग ठीक ही बैठी है। फिल्म को थ्रीडी में परिवर्तित करने की कोई खास जरूरत दिखती नहीं क्योंकि इसकी शूटिंग थ्रीडी प्रभाव दर्शकों को महसूस करा सकने के हिसाब से की नहीं गई है।

क्या उम्मीदों पर खरे उतरे ऋतिक ?

ऋतिक रोशन के बारे में बात करते हुए एक दर्शक ने रिव्यू दिया, “ऋतिक ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो बेस्ट क्यों है। वो सबसे टैलेंटेड एक्टर है और एक बार फाइटर के साथ ग्रैंड विनर बनते हैं।”

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