नई दिल्ली – हम सभी जानते है देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही है। पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ गिरावट जरूर देखने को मिली है। जिससे फ़िलहाल आम आदमी को कुछ राहत की साँस जरूर मिली है। मगर बावजूद कीमत अब भी लोगों को परेशान करने वाली ही है।
पिछले एक साल से एक लीटर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां एक बोतल पैकेज्ड पानी के बराबर है वहीं आम आदमी को चौगुने दाम पर बेचा जा रहा है। पेट्रोल या डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल से तय होती है।यानी जब कच्चे तल का भाव घटे या बढ़े तो पेट्रोल या डीजल के दाम को सस्ता या होना चाहिए, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है।
बता दे की मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रावसाहब दानवे ने कहा कि ईंधन के दाम अमेरिका में तय होते है और उनकी दरों में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत है। केंद्र ने तो इस माह के प्रारंभ में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क घटा दिये, लेकिन ज्यादातर गैर भाजपा शासित राज्यों ने ग्राहकों को और राहत देने के लिए उनपर वैट में कटौती नहीं की। भाजपा नेता ने यह बात मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद में नये पार्टी कार्यालय के उद्घाटन कार्यकम में कही। इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे।
मंत्री रावसाहब दानवे ने आगे कहा की ये दाम तो अमेरिका में तय होते है। इसलिए ईंधन के मूल्य में वृद्धि के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराना गलत है। केंद्र ने तो (दिवाली के मौके पर पेट्रोल एवं डीजल पर) अपने करों में कटौती की ,लेकिन कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल शासित राज्य ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। देश केंद्र सरकार के धन से चल रहा है। हमें यह लोगों को बताने की जरूरत है।
दुनिया भर में 160 किस्म के कच्चे तेल का कारोबार होता है। यह उनके घनत्व से लेकर तरलता के स्तर पर निर्भर करता है। ज्यादातर कच्चे तेल अपने भौगोलिक नामों जैसे ब्रेंट क्रूड, ओमान क्रूड, दुबई क्रूड से पहचाने जाते है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से आयात करता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से आयात करता है और इस आयातित कच्चे तेल का भाव ब्रेंटस, ओमान, दुबई के भाव से तय होता है।ऑयल मार्केटिंग कंपनियां और रिफाइनरी इस कच्चे तेल को खरीदकर ले आती है और उसे साफ सुथरा करके अलग-अलग पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल को देशभर में भेजती है।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में संशोधन करती है। भारत में कीमतों के इस तरह से तय होने की प्रक्रिया को डायनमिक प्राइसिंग कहते हैं और यह हर रोज तय होती है। सरकार का मूल्य निर्धारण पर कोई नियंत्रण नहीं है। बता दे की पेट्रोल कंपनियां कीमतों को तय करने के लिए स्वतंत्र होती है और सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करती।