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गर्भवती महिलाओं को कोविड न होने पर भी स्थिति खराब होने का खतरा होता है


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नई दिल्ली – गर्भवती महिलाओं पर इंग्लैंड में हुई रिसर्च अलर्ट करने वाली है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है, गर्भवती महिलाओं को कोविड न होने के बावजूद भी उनकी हालत बिगड़ने का खतरा है। महामारी का तनाव उनकी प्रेग्नेंसी में समस्याएं पैदा कर सकता है। रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 2020 में गर्भवती महिलाओं की गर्भनाल जांची। रिपोर्ट में सामने आया कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड हुआ था उनकी गर्भनाल में तीन गुना समस्याएं दिखीं। वहीं, संक्रमित न होने वाली महिलाओं के गर्भनाल में हुई दिक्कत के दोगुना मामले सामने आए।

महामारी की पहली लहर में कनाडा, फ्रांस और यूके से गर्भवती महिलाओं को रिसर्च में शामिल किया गया। इनकी गर्भनाल और अम्बलिकल कॉर्ड के सैम्पल लिए गए। इनमें से एक तिहाई महिलाएं संक्रमित थीं। वहीं, 50 फीसदी तक ऐसी महिलाएं थी जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ था। रिसर्च के दौरान सामने आया कि इनमें फाइब्रिन प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ था। यह प्रोटीन शरीर में रक्त के थक्के जमाता है। यह थक्के बच्चे के विकास में बाधा पैदा करते हैं और शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाते हैं।

शोधकर्ता कहते हैं, महामारी के कारण ऐसी महिलाओं में तनाव पैदा हुआ जिससे शरीर में सूजन हुई और अंगों में कई बदलाव हुए। इससे प्रेग्नेंसी में दिक्कतें बढ़ीं। मां और बच्चे पर किस हद तक यह तनाव बुरा असर डाल सकता है, इस पर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

रिसर्च करने वाली इंग्लैंड की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अलेक्जेंडर हेजेल का कहना है, महिलाओं की गर्भनाल में जो समस्या दिखी है वो महामारी के दौरान ही देखी गई है। लम्बे समय तक इस तनाव के असर को समझने की जरूरत है।

कोख में पल रहा बच्चा मां से एक गर्भनाल के जरिए जुड़ा होता है। इस गर्भनाल के जरिए मां से ऑक्सीजन और पोषक तत्व बच्चे के हर अंग तक पहुंचता है। यह सब ब्लड सर्कुलेशन से संभव होता है। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होने पर सीधा असर बच्चे की सेहत पर पड़ता है। इस रिसर्च में गर्भवती महिलाओं में ऐसी ही दिक्कतें सामने आई हैं।

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