लाउडस्पीकर के लिए बुलाई गई ऑल पार्टी मीटिंग, राज ठाकरे-सीएम उद्धव और देवेंद्र फडणवीस नहीं होंगे शामिल
मुंबई – महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद को लेकर आज सीएम उद्धव ठाकरे की सरकार ने इसके लिए गाइडलाइंस बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसके लिए सभी दलों ने अपनी सहमति दे दी है. लेकिन, धार्मिक स्थ्लों पर लाउडस्पीकर से जुड़ी गाइडलाइंस तय को लेकर बुलाई गई इस बैठक में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे नहीं शामिल होंगे. बता दें कि उद्धव सरकार ने इससे पहले भी पिछले दिनों लाउडस्पीकर को लेकर कुछ नए नियम बनाए थे, लेकिन यह विवाद अबतक खत्म होता नहीं दिख रहा है. इस विवाद के पीछे राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच लंबे समय से चले आ रहे टकराहट को भी हवा मिल रही है.
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस राज्य सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगे. आज होने वाली बैठक की अध्यक्षता महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार करेंगे. धार्मिक स्थ्लों पर लाउडस्पीकर से जुड़ी गाइडलाइंस तय को लेकर बुलाई गई आज की इस बैठक को लेकर अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस शामिल होने की बात कही गई थी लेकिन बाद में जानकारी मिली कि फडणवीस नहीं शामिल होंगे. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की तरफ से इस मीटिंग में नांदगावकर और संदीप देशपांडे के शामिल होने की खबर है. इसके अलावा कुछ और छोटे दलों के नेता भी बैठक में मौजूद रहेंगे.
क्या है विवाद –
महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर विवाद राज ठाकरे ने शुरू किया था. उन्होंने करीब 14 दिन पहले अपनी ही पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक कार्यक्रम में राज्य की उद्धव सरकार से कहा था कि राज्य में मौजूद सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा था कि अगर राज्य सरकार यह काम नहीं करेगी, तो वे उन लाउडस्पीकर को हटाकर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा बजवाएंगे. उनके इस बयान के बाद जमकर विवाद हुआ था.
करीब 10 दिनों के बाद फिर राज ठाकरे ने कहा था कि उन्होंने देश के हिंदुओं से एकजुट होने को कहा था. उन्होंने कहा था कि अगर 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो वह खुद इन्हें हटाना शुरू कर देंगे. वह किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर कोई कानून तोड़ेगा तो वह मंजूर नहीं है.