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Amar Singh Chamkila Review : दिलजीत दोसांझ-परिणीति चोपड़ा ने जीता दिल सबका दिल , ये सुंदर फिल्म जरूर देखें


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मुंबई – सुपरस्टार बनते कैसे हैं, सुपरस्टार होता क्या है, स्टारडम के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है, इन सितारों की असल जिंदगी में होता क्या है, पंजाब के सबसे कंट्रोवर्शियल और सुपरस्टार सिंगर अमर सिंह चमकीला की कहानी नेटफ्लिक्स पर फिल्म की शक्ल में आई है. चमकीला गंदे गाने बनाता था ऐसा लोग कहा करते थे लेकिन वही लोग छिपकर उसके ये गाने सुनते भी थे. इसलिए वो सुपरस्टार था लेकिन लोगों को जमाने के सामने तो चमकीला को बुरा भला कहना था ना क्योंकि जमाना ऐसा ही तो होता है. जान लीजिए कि नेटफ्लिक्स पर आई ये फिल्म कैसी है

कहानी

‘अमर सिंह चमकीला’ की शुरुआत चमकीला और अमरजोत दोनों की गोली मारकर हत्या से होती है जब वे एक शादी में गाना गा रहे थे। देखने को मिलता है कि शादी बीच में ही रूक जाती है और हर कोई अपनी जान बचाने के लिए भागने लगता है। यह कहानी चमकीला के शव को पुलिस स्टेशन ले जाने से होती है और उन्हें यह बताने के साथ आगे बढ़ती है कि कैसे अमर सिंह चमकीला बने।फिल्म मेकर इस बात का ध्यान रखा है कि कैसे दर्शकों को अपनी ओर खीचना है, जिसे वह चमकीला देखे और उसका आनंद ले। दिलजीत एक युवा लड़के के किरदार में दिखाते हैं कि गायक बनने के लिए कितनी मेहनत करनी होती हैं। प्रदर्शन करने और बिना किसी उम्मीद के सिर्फ परफॉर्म करने में लीन दिख रहे एक्टर का काम देख आपको याद ही नहीं रहेगा कि ये फिल्म है सबकुछ रियलिस्टिक लगता है। इस फिल्म की कहानी को इस तरह से पेशा किया है कि इसमें कोई कमी नहीं हैं। फिल्म ही नहीं इसकी स्टार कास्ट ने भी दर्शकों का दिल जीते में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इम्तियाज अली ने फिल्म में अमर सिंह चमकीला के जीवन की हर घटनाएं बहुत ही सरल और अच्छे तारीके से पेश की है। कहानी में चमकीला बाद में अपने स्टेज पार्टनर अमरजोत से मिलता है और जल्दबाजी में हुई शादी के बाद, उनकी जोड़ी अटूट हो जाती है। चमकीला अब एक फेमस गायिका बन गया है, लेकिन वह जानलेवा धमकियों से भी घिर जाता है। फिल्म तब और भी गंभीर हो जाती है जब कपल ऐसा रास्ता चुनता है जिसकी उनके बहुत बड़ी कीमत चुकानी होती है।

कैसी है फिल्म

ये फिल्म दिल को छूती है, आपको ऐसा लगता है कि आप कोई फिल्म नहीं देख रहे, चमकीला की कहानी देख रहे हैं. फिल्म को इतने सिंपल तरीके से बनाया गया है कि ये सीधे दिल में उतर जाती है. ना कोई तड़क भड़क, ना कोई ताम झाम, सिंपल सी कहानी को सिंपल से अंदाज से पेश किया गया है. ना कोई बड़े सेट ना कोई महंगे कॉस्ट्यूम, कमाल का म्यूजिक फिल्म को एक सधी हुई पेस से आगे ले जाता है और आप चमकीला के साथ उसके सफर पर बड़े आराम से चलने लगते हैं. फिल्म कहीं खींची हुई नहीं है, कहीं लंबी नहीं है, कहीं बोर नहीं करती, कहीं ऐसा नहीं लगता कि ये सीन क्यों डाला गया, बल्कि हर एक फ्रेम कमाल लगता है, दिल को छूता है, आप इस कहानी से जुड़ते हैं.

एक्टिंग

दिलजीत दोसांझ ने दिल जीत लिया, देखकर लगा कि चमकीला के किरदार को उनसे बेहतर कोई निभा ही नहीं सकता था. दिलजीत खुद एक सुपरस्टार सिंगर हैं तो आप उन्हें एक दूसरे सुपरस्टार सिंगर के किरादर में बड़ी आसानी से हजम कर लेते हैं, और दिलजीत का अंदाज दिल को छूने वाला है. चमकीला की जरूरत, उसकी मासूमियत, उसके दर्द, गानों के लिए उसकी शिद्दत, हर इमोशन को दिलजीत ने जिया है, ये दिलजीत का अब तक का बेस्ट परफॉर्मेंस हैं. परिणिति चोपड़ा ने दिलजीत का अच्छा साथ दिया है, बाकी के सभी कलाकारों ने अच्छा काम किया है, हर कोई अपने किरदार में फिट है.

स्टार कास्ट की एक्टिंग

नाम से पता चलता है कि अमर सिंह चमकीला की कहानी उनके जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। अभिनय और गायन के सही मिक्स अप के साथ अभिनेता ने सचमुच पूरी फिल्म को शानदार बना दिया। दिलजीत दोसांझ-परिणीति चोपड़ा ने जबरदस्त एक्टिंग की है। दिलजीत ने गायकी में अपना नाम कमाया है लेकिन इस बार अपनी एक्टिंग से दिल जीता है। परिणीति चोपड़ा ने अमरजोत कौर का रोल बहुत ही शानदार तारीके से पेश किया है। दोनों के काम से ही पता चलता है कि उन्होंने फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है।

डायरेक्शन

इम्तियाज अली ने फिल्म को लिखा भी है और डायरेक्ट भी किया है, इम्तियाज का डायरेक्शन दिल छू लेने वाला है, फिल्म पर उनकी रिसर्च साफ दिखती है, इस कहानी को शायद जिस तरह से पेश किया जाना चाहिे था, इम्तियाज ने वैसा ही किया है. कहीं ऐसा नहीं लगता कि फिल्म पर उनकी पकड़ ढीली पड़ी है.

म्यूजिक

ए आऱ रहमान का म्यूजिक शानदार है, इस फिल्म का म्यूजिक इतना जबरदस्त है कि कुछ गानों में तो आप खो जाते हैं. चमकीला खुद एक जबरदस्त सिंगर थे और फिल्म का म्यूजिक उन्हें जस्टिफाई करता है.

हर पहलू पर खुलकर बात करती है ये फिल्म

इम्तियाज अली ने अमर सिंह चमकीला पर फिल्म बनाई है, तो पिक्चर में भर-भरकर उनके गाने डाले गए हैं. एक-एक गाने के लिरिक्स इतने सटीक हैं कि बार-बार दिमाग में अलार्म की तरह बजते हैं- चमकीला, चमकीला, चमकीला… पर मुझे लगता है फिल्म में बहुत ज्यादा गानों का इस्तेमाल हुआ है. चमकीला के परफॉर्मेंस के अलावा भी जहां उसकी जिंदगी के दूसरे पहलुओं पर बात हो रही है, वहां भी गानों को जबरदस्ती चिपका दिया है. ऐसा लग रहा है कि लोग फिल्म देखते देखते भूल जाएंगे वो किसकी कहानी देख रहे हैं, तो एक और गाना डाल दो. फिल्म के विज़ुअल्स में बिल्कुल 80 वाला टच है, जिससे बेमतलब की छेड़छाड़ नहीं की गई है.बहरहाल ‘चमकीला’ की खूबी और खामी एक ही है कि, सबकुछ चमकीला के एंगल से दिखाया गया है. वो जिंदगी में कई गलतियां करता है पर वहां उसे गलत दिखाने की जगह हीरो बना दिया गया है. समाज के दो अलग-अलग चेहरों पर खुलकर बात हुई है. फिल्म के डायलॉग्स ने मुझे बहुत इम्प्रेस किया. वहीं ऑडियंस को पिक्चर से जोड़ने के लिए कई जगह पर चमकीला और अमरजोत के पुराने स्टेज परफॉर्मेंस को भी एड किया गया है ताकि कोई कमी महसूस न हो.

चमकीला बन चमक गए दिलजीत दोसांझ

यूं तो मैं शुरुआत में ही दिलजीत दोसांझ की तारीफ करना चाहती थी, लेकिन कुछ अच्छी चीजों को आखिर तक के लिए बचाकर रखना चाहिए. मुझे लगता है चमकीला का ये रोल दिलजीत से बेहतर कोई और कर ही नहीं सकता था. एक-एक सीन में ऐसा परफेक्शन, जिसे देख बार-बार मैं बोलने को मजबूर हो गई- वाह. दमदार अभिनय से तो वो हर बार ही दिल जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें एक ऐसा किरदार निभाना था, जो मुश्किल तो था ही, साथ ही उसकी तस्वीर लोगों के मन में बसी थी. पर दिलजीत ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ऐसी डायलॉग डिलीवरी, चेहरे के वो भाव, 80 वाला वो अंदाज सबकुछ एकदम परफेक्ट. वहीं परिणीति चोपड़ा ने भी अपने रोल के साथ न्याय किया है. दिलजीत दोसांझ के साथ स्टेज परफॉर्मेंस पर जिस अंदाज में वो गा रही हैं, देखकर ऐसा लगता है जैसे पंजाब के किसी गांव में एक परफॉर्मेंस चल रहा हो. सबकुछ एकदम रियल लग रहा था- नो ओवर एक्टिंग और ड्रामा.

ऐसी थी अमर सिंह चमकीला

‘अमर सिंह चमकीला’ जरूर देखना चाहिए। ये एक ऐसी फिल्म जो एक उभरते कलाकार के जीवन की कहानी गहराई से बताती है। फिल्म में आदर्श जीवन साथी की कहानी पेश की गई है और साथ ही इस फिल्म में कपल को साथ में सफलता का मजा लेने को मिला। इतना ही नहीं बल्कि दोनों साथ में दुनिया को अलविदा कहते हैं। ‘छम्मर हूं पर भूखा तो नहीं मारूंगा’ और ‘मैंने बनाया है चमकीले को’ जैसे डायलॉग दर्शकों को खूब पसंद आए हैं।फिल्म कुल मिलकर देखने लायक है। पंजाब में दंगों से लेकर उनके संगीत प्रेम तक, पंजाब में बढ़ते आतंकवाद से लेकर कलाकारों के बीच दुश्मनी तक सबकुछ देखने को मिला है। हालांकि फिल्म में अमरजोत के किरदार के साथ जुड़ाव बनाने में कमी लग सकती है, लेकिन चमकीला एक हिट किरदार है। इस किरदार को दिलजीत ने इतनी खूबसूरती से निभाया है कि आप खड़े होकर कलाकार के लिए ताली बजाना चाहेंगे।कुल मिलाकर ये फिल्म शानदार है और इसे जरूर देखा जाना चाहिए.

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