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हवाना सिंड्रोम : भारत से लेकर क्‍यूबा तक रहस्यमय तरीके से बीमार हुए अमेरिकी डिप्‍लोमैट,साइंस के गलत इस्तेमाल के पीछे कौन?


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नई दिल्लीः हवाना सिंड्रोम, वियतनाम में अमेरिकी अधिकारियों पर अस्पष्टीकृत स्वास्थ्य घटनाओं की एक श्रृंखला है, जिसे 2016 में अमेरिकी और कनाडाई सरकारी अधिकारियों और विदेशी स्थानों पर सैन्य कर्मियों द्वारा रिपोर्ट किया गया था। इसकी शुरुआत 2016 में हुई जब अमेरिका और कनाडाई अधिकारियों ने हवाना, क्यूबा में काम करने के दौरान असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं की सूचना दी।यह सिंड्रोम चीन, कोलंबिया, किर्गिस्तान, रूस, उज्बेकिस्तान और तटस्थ रुख रखने वाले देश ऑस्ट्रिया में भी दर्ज किया गया है। 2016 के अंत में, क्यूबा में तैनात अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवारों को अपने आवासों के पास तेज आवाज के संपर्क में आने के बाद चक्कर आना, सिरदर्द, सुनने की हानि और एकाग्रता में कठिनाई जैसे विभिन्न न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का अनुभव होने लगा।

अमेरिका के बीच तनाव

हवाना सिंड्रोम के कारण अमेरिका के बीच तनाव पैदा हो गया। और क्यूबा, ​​​​जिसके कारण कांग्रेस की पूछताछ हुई और कुछ व्यक्तियों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी तरह की घटनाएं अन्य देशों में भी दर्ज की गईं, जिससे अमेरिकी सरकार को इन मामलों को “विषम स्वास्थ्य घटनाओं” (एएचआई) के रूप में वर्गीकृत करना पड़ा।

हवाना सिंड्रोम क्या है?

पहली बार 2016 में रिपोर्ट की गई, हवाना सिंड्रोम को अमेरिकी और कनाडाई सरकारी अधिकारियों और विदेशी स्थानों में सैन्य कर्मियों द्वारा रिपोर्ट किए गए “अज्ञात लक्षणों के समूह” के रूप में परिभाषित किया गया है। इसकी शुरुआत 2016 में हुई जब अमेरिका और कनाडाई अधिकारियों ने हवाना, क्यूबा में काम करने के दौरान असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं की सूचना दी।2017 तक, दुनिया भर के अमेरिकी अधिकारियों ने चीन, भारत, यूरोप और यहां तक ​​कि वाशिंगटन डीसी से भी इसी तरह के लक्षणों की सूचना दी। हवाना सिंड्रोम के कुछ प्रमुख लक्षणों में मतली, चक्कर आना, माइग्रेन और दृष्टि और सुनने की समस्याएं शामिल हैं जो लंबे समय तक बनी रह सकती हैं।

क्या हैं हवाना सिंड्रोम के लक्षण

हवाना सिंड्रोम से पीड़ित ज्यादातर लोगों ने तेज आवाज सुनी और सिर में बहुत तेज दबाव या कंपन महसूस किया. साथ ही उनके कान या सिर में दर्द हुआ. इसके अलावा कुछ और लक्षण होते हैं: याददाश्त कमजोर होना, चक्कर आना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, जी मिचलाना, कानों में घंटी बजना (टिनिटस).ये लक्षण आमतौर पर सिर पर चोट लगने के बाद भी देखे जाते हैं. बाकी सारे लक्षण भी आम हैं, जो हमें कान से जुड़ी समस्याओं या माइग्रेन, कान के अंदर सूजन या किसी भी तरह के स्ट्रोक में देखने को मिलते हैं. अभी तक ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि हवाना सिंड्रोम किन कारणों से होता है. हालांकि, इसकी वजह को लेकर कुछ थ्योरी और सुझाव जरूर सामने आए हैं.

-दर्द
-कान में घंटी बज रही है
-संज्ञानात्मक शिथिलता
-बिना किसी बाहरी शोर के ध्वनि सुनना
-जी मिचलाना
-सिर का चक्कर
-सिर दर्द
-स्मरण शक्ति की क्षति
-संतुलन के मुद्दे

रूस की जीआरयू यूनिट ने कराए थे हमले

हालांकि, हवाना सिंड्रोम के सटीक कारणों की अभी तक पुष्टि नहीं की गई है लेकिन 60 मिनट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके पास ऐसे साक्ष्य है जो ये बताते हैं कि विदेशों में अमेरिकी अधिकारियों पर हुए स्वास्थ्य हमलों के पीछे रूसी सेना की खतरनाक जीआरयू यूनिट शामिल है। एक्सपर्ट के अनुसार, लक्षित ध्वनि या माइक्रोवेव हमलों के बाद अधिकारियों में इस सिंड्रोम के लक्षण देखे गए। हनोई के केस का हवाला देते हुए कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि हवाना सिंड्रोम हमले के लिए वियतनामी लोगों को कोई तकनीक दी गई थी। स्टडी में पाया गया है कि कोई था, जिसने वियतनामी लोगों को इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बारे में बताया था। इसके रूसी होने की सबसे अधिक संभावना है।

भारत में मिला था हवाना सिंड्रोम का मामला

भारत में साल 2021 में हवाना सिंड्रोम का एक मामला सामन आया था, जब एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स के साथ नई दिल्ली की यात्रा कर रहा था। 2021 की जुलाई में बेंगलुरु के एक निवासी ने हवाना सिंड्रोम की जांच और माइक्रोवेट ट्रांसमिशन की रोकथाम के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने केंद्र को इस सिंड्रोम पर गौर करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सिंड्रोम की मौजूदगी की संभावना की जांच के लिए सहमति जताई थी।

कहां कहां हवाना सिंड्रोम के मामले सामने आए

क्यूबा की घटना के बाद से कई देशों में तैनात अमेरिकी खुफिया और विदेश विभाग के अधिकारियों ने भी इसी तरह के लक्षणों की शिकायत की है. चीन में अमेरिकी राजनयिकों ने 2018 की शुरुआत में ऐसे ही आरोप लगाए थे. सबसे पहली शिकायत अप्रैल 2018 में ग्वांगझू वाणिज्य दूतावास से आई थी.एक अमेरिकी कर्मचारी ने बताया कि उन्हें 2017 के अंत से ही ये लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इससे पहले उज़्बेकिस्तान के ताशकंद स्थित अमेरिकी दूतावास में USAID के एक कर्मचारी ने भी सितंबर 2017 में इसी तरह की परेशानी बताई थी. 2019 और 2020 में अमेरिका (खासकर वाशिंगटन डीसी) में भी ऐसे मामले सामने आए थे. यहां तक कि व्हाइट हाउस के पास स्थित लॉन द एलिप्स में भी एक मामला देखने को मिला था.अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में 130 से ज्यादा अमेरिकी अधिकारियों ने ऐसे अनुभव बताए हैं, जिनमें रूस की राजधानी मॉस्को, पोलैंड, जॉर्जिया, ताइवान, कोलंबिया, किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ऑस्ट्रिया जैसे देश शामिल हैं.न्यूयॉर्क टाइम्स की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के वियतनाम दौरे के दौरान वहां तैनात एक अमेरिकी अधिकारी ने ऐसे लक्षणों की शिकायत की थी, जिस कारण हैरिस की हनोई जाने वाली फ्लाइट को तीन घंटे देरी से रवाना करना पड़ा था.

हवाना सिंड्रोम की वजह क्या है

हवाना सिंड्रोम की असल वजह अभी भी रहस्य ही है. क्यूबा में हुई घटना के बाद ये शक जताया गया था कि ये ‘ध्वनि हमला’ हो सकता है, जिसे क्यूबा ने अंजाम दिया था. क्यूबा और अमेरिका के रिश्ते पिछले पांच दशक से ज्यादा समय से तनावपूर्ण रहे हैं.लेकिन अमेरिका में वैज्ञानिकों के अध्ययन और पीड़ितों की जांच के बाद ये पता चला कि शायद उन लोगों को बहुत ज्यादा ताकत वाली माइक्रोवेव तरंगों के संपर्क में लाया गया था, जिससे उनके नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा. माना जाता है कि इस वजह से दिमाग के अंदर दबाव बन गया होगा और उन्हें तेज आवाज सुनाई देने का एहसास हुआ. तेज माइक्रोवेव तरंगों के ज्यादा संपर्क में आने से न सिर्फ शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है बल्कि याददाश्त कमजोर होने और दिमाग को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचने का भी खतरा होता है.

क्या भारत में भी आया है हवाना सिंड्रोम का मामला?

भारत में सितंबर 2021 में ऐसा मामला सामने आया था जब सीआईए डायरेक्टर विलियम बर्न्स नई दिल्ली दौरे पर आए थे. उस दौरान उनकी टीम के एक सदस्य ने ऐसे लक्षण बताए जो हवाना सिंड्रोम से मेल खाते थे और उन्हें इलाज करवाना पड़ा था. अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया था कि इस घटना से अमेरिकी सरकार में खलबली मच गई और बिल बर्न्स भी बहुत गुस्से में थे.भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने कहा था कि उन्हें किसी भी भारतीय एजेंसी के पास ऐसी किसी तकनीक या हथियार के होने की जानकारी नहीं है. अगर ऐसी कोई तकनीक होती भी तो संभव है कि सरकार उसे स्वीकार न करे, क्योंकि जासूसी और गुप्त सूचना जुटाने का काम बहुत ही संवेदनशील होता है और ऐसी किसी भी टेक्नोलॉजी को सार्वजनिक नहीं किया जाता.

साइंस का गलत इस्तेमाल किया जा रहा?

हवाना सिंड्रोम ने अमेरिका को इसलिए चिंतित कर दिया है कि यह बीमारी उनके राजनयिकों और खुफिया एजेंटों को निष्क्रिय कर सकती है. यह भी आशंका है कि हवाना सिंड्रोम साइंस के गलत इस्तेमाल का नतीजा हो सकता है. कुछ लोग मानते हैं कि यह किसी देश द्वारा अपने विरोधियों को कमजोर करने के लिए विकसित किया गया एक हथियार हो सकता है.हवाना सिंड्रोम का कारण जानने के लिए अमेरिकी सरकार कई तरह की रिसर्च और जांच कर रही है. अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है.

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