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अभी तक NDA से नाराज थे पशुपति पारस,अब खुद को बताया मोदी का परिवार


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नई दिल्लीः बिहार में बीजेपी के लिए राहत की खबर आई है. NDA नेताओं के सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद नाराज आरएलजेपी सुप्रीमो पशुपति पारस ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है. ऐसे में बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए पशुपति पारस की पार्टी एनडीए की जीत के लिए प्रचार करेगी. कुछ दिन पहले पशुपति पारस ने हाजीपुर से चुनाव लड़ने की बात लगातार कह रहे थे लेकिन अब एनडीए के लिए ये रास्ता साफ हो गया है.

पशुपति पारस की नाराजगी हुई दूर

पशुपति पारस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में पीएम मोदी के साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा कि हमारी पार्टी रालोजपा, एनडीए का अभिन्न अंग है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे भी नेता है और उनका निर्णय हमारे लिए सर्वोपरि है. उनके नेतृत्व में एनडीए पूरे देश में 400+ सीट जीतकर तीसरी बार रिकॉर्ड तोड़ बहुमत से सरकार बनेगी. साथ ही पशुपति पारस ने एक्स के बायो में मोदी का परिवार टैग भी जोड़ लिया है.

क्यों थे नाराज?

पशुपति पारस सीट शेयरिंग में चिराग पासवान की एलजेपीआर को 5 लोकसभा सीटें और अपनी पार्टी को एक भी सीट न मिलने की वजह से नाराज थे. इस वजह से उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था. इस्तीफा देने से पहले पशुपति मोदी सरकार में खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री थे. इसके अलावा उनका आरोप था कि सीट शेयरिंग की घोषणा से पहले उनसे बात तक नहीं की गई. उन्होंने कहा था कि मेरे और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई क्यों कि हमें एक भी सीट नहीं दी गई.

आरएलजेपी के साथ नाइंसाफी का लगाया था आरोप

एनडीए में सीट नहीं मिलने के बाद पशुपति कुमार पारस ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया था और आरोप लगाया कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नहीं करके उनकी आरएलजेपी के साथ नाइंसाफी कर रही है। एनडीए में सीट-बंटवारा समझौते में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) को पांच सीट देने का ऐलान किया गया था। पारस ने सीट-बंटवारे को लेकर नाखुशी जताने से पहले प्रधानमंत्री को बड़ा नेता बताते हुए उनका आभार भी जताया था। पारस ने कहा था कि उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा के साथ एनडीए की सेवा की लेकिन उनके साथ नाइंसाफी हुई। लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के छह सांसदों में से कुछ समय पहले तक पारस को पांच सांसदों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन प्रेस वार्ता में उनके साथ इनमें से कोई नहीं था।

इंडिया गठबंधन में जाने की थी चर्चा

केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि पशुपति पारस INDIA ब्लॉक के साथ जा सकते हैं. बिहार में बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं जेडीयू को 16 रामविलास की लोक जनशक्ति पार्टी 5, जीतनराम मांझी की पार्टी को 1 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को एक सीट मिली है.

बीजेपी के पुराने ऑफर पर ही राजी हुए पशुपति पारस?

सूत्रों के मुताबिक, पशुपति पारस के सामने ऐसी स्थिति बन गई थी कि वो या तो अकेले लोकसभा चुनाव में जाएं। या फिर बीजेपी से एक बार फिर बात कर पुराने ऑफर पर ही अपनी आगे की राजनीति करें। ऐसे में पशुपति पारस ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे से पहले ही बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पशुपति पारस के सामने उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाने का ऑफर रखा था।

चाचा-भतीजें ने बढ़ा दी थी भाजपा की परेशानी

इस बीच बिहार में इस समय हाजीपुर लोकसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। इस सीट पर 20 मई को मतदान होगा। यहां से दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस सांसद हैं। इस बार रामविलास के बेटे चिराग इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। चाचा-भतीजे के बीच की लड़ाई में एनडीए ने चिराग पर भरोसा जताया था और उन्हें पांच सीटों पर चुनाव लड़ने को कहा था। इसके बाद से ही पारस नाराज बताए जा रहे थे।

बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर चुनाव सात चरणों में होगा

बता दें कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर चुनाव सात चरणों में होगा। पहले चरण के लिए 28 मार्च को नोटिफिकेशन होगा। 19 अप्रैल को चुनाव होगा। दूसरे चरण का चुनाव 26 अप्रैल को होगा। तीसरे चरण का चुनाव 7 मई को होगा। 13 मई को चौथे चरण का चुनाव होगा। 20 मई को पांचवें चरण के लिए वोटिंग होंगी। 25 मई को छठे चरण का चुनाव होगा। अंतिम फेज का मतदान एक जून को होगा। नतीजे चार जून को आएंगे।

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