x
भारत

Shaheed Diwas 2024: इन वीर सपूतों की याद में मनाया जाता है शहीद दिवस


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः देश के इतिहास में आज का दिन बेहद अहम है। आज शहीदों के सम्मान और उनके बलिदान की याद में शहीद दिवस (Martyrs’ Day) मनाया जा रहा है। हर दिन हर साल 23 मार्च को मनाया जाता है। सन् 1931 में आज ही के दिन अंग्रेजों ने भारत के युवा स्वतंत्रता सैनानी भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी पर लटकाया था। आजादी की लड़ाई में हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान करने वाले अमर शहीदों की श्रद्धांजलि में यह दिन मनाया जाता है।

हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है

हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के प्रमुख आंदोलनकारियों और क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह शहीद हुए थे। भारत को अंग्रेजों की सदियों से चली आ रही गुलामी से आजाद कराने के लिए कई सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। कई बार क्रांतिकारी जेल गए, अंग्रेजों की प्रताड़ना झेली लेकिन हार नहीं मानी और उन्हें देश से खदेड़कर ही माने। इन्हीं क्रांतिकारियों में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम बेहद गर्व के साथ लिया जाता है।

तय तारीख से एक रात पहले गुपचुप तरीके से दे दी फांसी

शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। लाहौर षड़यंत्र के आरोप में तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 24 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी दी जानी थी लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को डर था कि उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाने पर देशवासी आक्रोशित हो जाएंगे। ऐसे में तीनों वीर सपूतों को तय तारीख से एक रात पहले गुपचुप तरीके से फांसी दे दी गई।

भारत में शहीद दिवस एक नहीं, बल्कि दो बार मनाया जाता है

भारत में शहीद दिवस एक नहीं, बल्कि दो बार मनाया जाता है। पहला शहीद दिवस 30 जनवरी को बापू यानी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है, जबकि साल का दूसरा शरीद दिवस हर साल 23 मार्च भारत के वीर सपूतों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को समर्पित है। इस मौके पर जानते हैं शहीद दिवस का इतिहास और शहीद भरत सिंह के कुछ अनमोल विचारों के बारे में-

क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस?

ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने और देश की आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु महज 23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे। देश के लिए अपना बलिदान देने वाले इन वीर स्वतंत्रता सैनानियों की याद में ही हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर विभिन्न संस्थायों और सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आइए जानते हैं भरत सिंह के कुछ अनमोल विचार-

वीर सपूतों के बलिदान की याद में शहीद दिवस

23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। आज उनकी पुण्यतिथि (Bhagat Singh Death Anniversary 2024) है। इस दिन को भारत के वीर सपूतों के बलिदान की याद में शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। शहीद दिवस (Shaheed Diwas 2024) के मौके पर क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के विचारों को पढ़ें। भगत सिंह के विचार युवाओं में ऐसा जोश और जुनून भर सकते हैं, कि वह भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति करके ही दम लेंगे।

दूसरा शहीद दिवस कब मनाते हैं?

साल का दूसरा शहीद दिवस मार्च माह में मनाते हैं। 23 मार्च को अमर शहीद दिवस मनाया जाता है। यह दिन भी शहीदों की शहादत की याद में मनाते हैं। 23 मार्च के शहीद दिवस का इतिहास और भी पुराना है।

23 मार्च के शहीद दिवस का इतिहास

23 मार्च 1931 को आजादी की लड़ाई में शामिल क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। अंग्रेजों ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने पर उन्हें फांसी की सजा सुनाई और भारतीयों के आक्रोश के डर के कारण तय तारीख से एक दिन पहले गुपचुप तरीके से तीनों को फांसी पर लटका दिया। अमर शहीदों के बलिदान को याद करते हुए शहीद दिवस मनाते हैं। इस दिन आजादी की लड़ाई में अपनी जान कुर्बान करने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

30 जनवरी के शहीद दिवस का इतिहास

30 जनवरी का शहीद दिवस महात्मा गांधी को समर्पित है। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी को पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस दिन 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। देश को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले गांधी जी के निधन के बाद उनकी पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

आजादी को लेकर लोगों में भरा उत्साह

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाने के बाद पुरे भारत में शोक की लहर छाने के साथ ही लोगों में उनको फांसी पर लटकाये जाने के खिलाफ गुस्सा भर गया था। जिस वजह से लोग में आजादी को लेकर और ज्यादा उत्साह भर गया था और लोग इसके लिए जागरूक होने लगे थे। जिस टाइम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया जा रहा था उस समय पुरे जेल में उनके समर्थन के लिए ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘हिंदुस्तान आजाद हो’ जैसे नारे गूंजने लगे थे। जेल में बंद दूसरे कैदी भी तेज-तेज नारे लगाने लगे थे। फांसी लगाए जाने के बाद जनाक्रोश बढ़ गया था।

अंग्रेजी हुकूमत का 200 सालों तक भारत पर शासन

भारत पर अंग्रेजी हुकूमत ने लगभग 200 सालों तक शासन किया। शासन के दौरान अंग्रेजो ने देशवासियों पर आतंक, अत्याचार और आघात किया, लोगों पर इतना अत्याचार और उन्हें लाचार देख कर कुछ लोग आगे आये और आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। आपको बता दें कि, शहीद दिवस साल में दो बार मनाया जाता है। एक शहीद दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है उस दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मार हत्या कर दी थी। और एक शहीद दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है जिस दिन भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी को ब्रिटिश सरकार द्वाराअपने जीवन का बलिदान दिया उसी की याद में मनाया जाता है। हमारे देश को जिन्होंने आजादी दिलाई, जिनकी वजह से आज हम शांति से आजादी का जीवन जी रहे हैं उन्हीं को यह दिन समर्पित है। शहीद दिवस हमें यह सीख देता है कि, हमें कभी भी अपनी आजादी को हल्के में नहीं लेना है और देश के उन वीर सपूतों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिनकी वजह से हमारा देश आज सविंधान से हमारी मर्जी से चल रहा है।

Back to top button