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लाइफस्टाइल

इन धातुओं की थाली में खाना खाने से शरीर को मिलते हैं कई स्वास्थ्य लाभ


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नई दिल्लीः हम किस तरह का खाना खाते हैं और किस तरह की थाली में खाते हैं, यह दोनों ही बातें स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी हैं। वर्तमान समय में लोग चीनी मिट्टी और स्टील की थाली में खाना खाते हैं या पानी पीते हैं। लेकिन बात जब त्योहार, शादी-समारोह की आती है, तब लोग अपने ट्रेडिशनल तरीकों की तरफ जाते हैं। इन्हीं तरीकों में कई जगहों पर पत्तों पर भी खाना खिलाया जाता और कई जगहों पर मिट्टी की थाली में भी खाना खिलाया जाता है।

किस तरह की थाली में खाना खाने से क्या लाभ मिलते हैं?

सोने की थाली में भोजन

लोकतंत्र के जमाने में सोने की थाली में खाना मायने नहीं रखता, लेकिन बात करें राजा-महाराजा की तो वे सोने की थाली में खाना इसलिए खाते थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उनके खाने में कोई जहर न मिला दे। सोने की थाली में खाना खाने से जहर की विषाक्तता से बचने के लिए वे ऐसा करते थे।सोने का उपयोग आज भारतीय महिलाएं गहनों के तौर पर ही करती हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब लोग सोने के बर्तनों में ही खाना खाया करते थे। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी सोने के बर्तनों में ही भोजन करना पसंद करते हैं।आपको बता दें कि सोने के बर्तन में भोजन करने से आपकी याददाश्त तेज होती है। ऐसे में सोने के बर्तन का उपयोग अल्जाइमर की बीमारी में भी फायदेमंद होता है। यही नहीं आयुर्वेद के अनुसार सोने के बर्तनों में भोजन करने से वात पित्त और कफ दोषों को भी संतुलित किया जा सकता है।

पीतल की थाली में खाना

आयुर्वेद के अनुसार, पीतल बुद्धि को बढ़ाने में मदद करती है। पीतल में खाना ज्यादा समय गर्म रहता है और खाना फ्रेश रहता है। पीतल में खाना खाने से शरीर का पीएच लेवल मेंटेन रहता है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी के अनुसार, पीतल की थाली में खाना खाने से भोजन के जितने भी पौष्टिक पदार्थ होते हैं, वे उनकी पौष्टिकता को बढ़ाते हैं। दाल में प्रोटीन होता है तो यह प्रोटीन को और मजबूत करेगा। चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है तो यह धातु उसे और अच्छा बना देती है।

एल्युमुनियम की थाली में भोजन

आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि एल्युमुनियम का दूर-दूर तक कोई फायदा नहीं है। बाकी धातु महंगी होती हैं, इसलिए लोग एल्युमुनियम और स्टील में खाते हैं। अगर हम एल्युमिनियम और स्टील में खाने बनाते हैं तो 13 फीसद गुण रह जाते हैं। बाकी गुण खत्म हो जाते हैं।

मिट्टी की थाली में भोजन करने के फायदे

मिट्टी की थाली में भोजन करना आयुर्वेद में सबसे अधिक लाभकारी माना गया है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि मिट्टी की थाली में खाने से मिट्टी के जितने गुण होते हैं, वे सभी शरीर को मिलते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना खाना और पकाना दोनों ही सेहत के लिए लाभदायक हैं।

चीनी मिट्टी की थाली में भोजन

वर्तमान समय में चीनी मिट्टी और स्टील के बर्तन ज्यादा चल रहे हैं। डॉ. भारत भूषण का कहना है कि इस तरह की थाली में खाना खाने से सेहत को कोई लाभ नहीं मिलता है। साथ ही डॉ. भूषण का कहना है कि प्लास्टिक डिशिज में गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक के गुण भोजन में आ जाते हैं। उसकी जगह कांच की बोतल लेनी चाहिए।

​एनीमिया की शिकायत है तो स्‍टील के बर्तन हैं अच्‍छे

भारत के गरीब और मध्यवर्गीय घरों में सबसे ज्यादा स्टील के बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बर्तन लंबे समय तक चलते हैं। जबकि बहुत कम लोग जानते हैं कि स्टील तेल और एसिड और ग्रीस पर रिएक्ट नहीं करता।यही नहीं स्टील के बर्तनों में आयरन मौजूद होता है जो आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर किसी को एनीमिया की शिकायत है तो उसे स्टील की प्लेट में भोजन करने से लाभ हो सकता है।इसके अलावा स्टील के बर्तनों को रिसाइकिल करना भी बेहद आसान होता है। कुल मिलाकर स्टील एक टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बर्तन है जिसका उपयोग भोजन करने के लिए किया जा सकता है।

​सिरेमिक के बर्तन होते हैं केमिकल फ्री

आज के समय में सिरेमिक के बर्तन सबसे ज्यादा चलन में हैं। यह बर्तन चीनी मिट्टी के नाम से भी जाने जाते हैं। चीनी मिट्टी के बर्तनों को तैयार करने के लिए, मिट्टी को अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है। बहुत से लोगों ने सिरेमिक के बर्तनों के अंदर भोजन पकाना भी शुरू कर दिया है। आप भी इन बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके भोजन को लंबे समय तक स्वस्थ रखते हैं क्योंकि इनमें किसी तरह का कोई भी रसायन मौजूद नहीं होता।

​मेटाबॉलिज्म तेज करता है तांबे का बर्तन

तांबे के बर्तनों का उपयोग पहले के समय में बहुत अधिक किया जाता था। बताया जाता है कि तांबे का संबंध सूर्य और आग से होतें पड़कर स्टील के बर्तनों में खाना खा रहे हैं, लेकिन जो लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत है, वे आयुर्वेदिक स्टाइल की तरफ भी आ रहे हैं।

​तांबे के बर्तन में खाने के फायदे

तांबे के गिलास में पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता क्योंकि कॉपर में एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो पानी से बैक्टीरिया को निकालती हैं, लेकिन कॉपर में खाना खाना सेहत के लिए लाभदायक नहीं है। क्योंकि कॉपर कुछ तरह के खाद्य पदार्थों के साथ रिएक्ट करता है और यह विषैला हो जाता है। कॉपर कुछ रोगों में लाभकारी है।

वजन घटाने में
बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने में
हीमोग्लोबिन बढ़ाने में
पाचन शक्ति बढ़ाने में
हृदय रोग से बचाने में
ब्लड प्रेशर को संतुलित करें
स्किन को बेहतर करें और बढ़ती उम्र के असर को कम करें
जोड़ों के दर्द और मस्कुलर दर्द से राहत

​चांदी के बर्तन में खाना खाने के फायदे

डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि चांदी रक्त को शोधित करता है और शरीर की गर्मी को शांत करता है। इसलिए चांदी की थाली में खाना खाना सेहत के लिए लाभदायक साबित होता है। तो वहीं, डॉ. भारत भूषण का कहना है कि चांदी थाली देखने में सुंदर लग सकती है, लेकिन इसमें खाना खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं मिलता।

चांदी के बर्तनों में अर्क होता है जो आपके मस्तिष्क की शक्ति में बढ़ोतरी करता है।
इसके अलावा अगर नन्हे शिशुओं को चांदी के बर्तन में दूध पिलाया जाए तो अधिक स्वस्थ रहते हैं।
चांदी के गिलास में पानी पीना भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। दरअसल चांदी के अंदर ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पानी के अंदर मौजूद किसी भी तरह की अशुद्धियों से लड़ने का कार्य करते हैं।

​केले के पेड़ का पत्ता

दक्षिण भारत के अंदर किसी धातु या प्लास्टिक के बर्तन का उपयोग नहीं किया जाता। बल्कि वहां केले के पेड़ के पत्तों को ही थाली की तरह इस्तेमाल में लिया जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि केले के पत्ते पर भोजन करने से भोजन का स्वाद बेहतर होता है और इससे भूख भी बढ़ती है। साथ ही केले के अंदर एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। साथ ही यह एक इको फ्रेंडली भी है।

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