x
लाइफस्टाइल

Rangbhari Ekadashi 2024 : कब है रंगभरी एकादशी?, भगवान विष्णु के भोग में शामिल करें ये चीजें,-जानें


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रंगभरी एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार यह तिथि 20 मार्च को है। वैसे तो एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है, लेकिन रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन महादेव मां पार्वती के संग काशी पहुंचे थे। यही वजह है कि इस एकादशी का बेहद खास महत्व है। इस दिन पूजा करने के बाद भगवान को विशेष चीजों का भोग लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से साधक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पूजा सफल का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं रंगभरी एकादशी के दिन किन चीजों को भोग में शामिल करना लाभकारी होता है।

लगाएं ये भोग

रंगभरी एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के अंत में ईश्वर को प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। भोग में तुलसी दल को जरूर शामिल करना चाहिए। माना जाता है कि तुलसी दल के बिना भगवान भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इसके अलावा भगवान शिव और मां पार्वती को आप फल, मिठाई और साबूदाने की खीर का भोग लगा सकते हैं।

ये है सही तारीख

पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी तिथि की शुरुआत 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च को किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी पूजा विधि

रंगभरी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत श्री हरि और भगवान शिव के ध्यान से करें।
इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
अब भगवान विष्णु का विधिपूर्वक गंगाजल से अभिषेक करें।
साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती का जल से अभिषेक करें।
इसके बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
अब देशी घी का दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें।
विशेष चीजों का भोग लगाएं। श्री हरि के भोग में तुलसी दल को जरूर शामिल करना चाहिए।
अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

भगवान को भोग लगाते समय निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस मंत्र का अर्थ है कि हे भगवान जो भी मेरे पास है। वो आपका ही दिया हुआ है। जो आपको ही समर्पित कर रहे हैं। कृपा करके मेरे इस भोग को आप स्वीकार करें।

रंगभरी एकादशी करने से 12 महीने की एकादशी का फल मिलता है

फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी कहा जाता है, इस बार 20 मार्च दिन बुधवार को रंगभरी एकादशी का त्योहार मनाया जाएगा, कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं को 12 महीने की एकादशी का फल मिलता है और जो कोई सच्चे मन से इस दिन दान, स्नान कर के व्रत उपवास रखता है. उस पर लक्ष्मीजी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. रंग भरी एकादशी पर भगवान शिव, माता पार्वती, महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. पंडित दुर्गेश ने रंग भरी एकादशी पर पूजा का महत्व भी बताया है, आइए इस दिन को महत्व के बारे में जानते हैं:

  • तुलसी की पूजा

रंगभरी एकादशी पर तुलसी की उपासना करनी चाहिए क्योंकि तुलसी में भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का वास होता है. ऐसे में तुलसी पूजा करने वालों पर विशेष रूप से माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और जो कोई इस एकादशी के दिन व्रत रखता है उसे कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है.

रंगभरी एकादशी के दिन पंडित ने उपायों के बारे में भी बताया है, जिन्हें आप फोलो कर सकते हैं.

  1. तुलसी की पत्ती

तुलसी की उपासना करते समय दीपक जलाएं इसके साथ भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और भोग में तुलसी के पत्ते डाले भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय होती है.

  1. 11 बार परिक्रमा

माता तुलसी की पूजा के समय 11 बार परिक्रमा करें, इससे शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है साथ ही परिवार में आर्थिक तंगी दूर हो जाती है.

  1. माता तुलसी को लाल चुनरी

जिन लोगों के दाम्पत्य जीवन में परेशानी हैं, उन्हें रंगभरी एकादशी पर माता तुलसी को लाल चुनरी चढ़ानी चाहिए, ऐसा करने से मैरिड लाइफ़ में खुशियाँ आती है.

Back to top button