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पाकिस्तान में रमजान दौरान टेंशन में लोग, बढ़ी कीमतों ने उड़ाए होश


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नई दिल्लीः पाकिस्तान में बीते काफी महीनों से आर्थिक तंगी चल रही है। इसकी वजह से वहां के लोगों को जीवनयापन कठिन हो गया है। पड़ोसी मुल्क में बुनियादी जरूरी चीजों का दाम भी आसमान छू रहा है।इसी बीच रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत होने वाली है। इससे पहले ही देश में खाने की चीजों की कीमत आसमान छूने लगे हैं। रमजान के महीने की शुरुआत के पहले ही खाद्य पदार्थों में 31.5 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। वहीं कुछ सामानों में ये बढ़ोतरी 60 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

रमजान के महीने में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी

कुछ भ्रष्ट व्यापारियों द्वारा जल्दी पैसा कमाने की कोशिश के कारण देश भर में सभी वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इससे निम्न और मध्यम आय वाले उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रमजान महीने में कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाल के महीनों में सामान्य तौर पर 31.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और कई खाद्य पदार्थों की दरों में रमजान से पहले ही 60 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। इस वक्त पाकिस्तान में प्याज की कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 300 रुपये तक पहुंच गई है।हालांकि, कुछ खुदरा विक्रेता 250 रुपये किलो भी प्याज बेच रहे हैं। वहीं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी इसी तरह की बढ़ोतरी देखी गई है। रमज़ान में एक किलो आलू की कीमत 50 रुपये से 80 रुपये हो चुकी है। पत्ता गोभी 80-100 रुपये से बढ़कर 150 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है और हरी मिर्च 200 रुपये की तुलना में 320 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेची जा रही है।

सब्जियों और फलो के कीमतों में लगी आग

रमजान के कारण पाकिस्तान में प्याज की कीमत 150 पीकेआर (पाकिस्तानी रुपये) से बढ़कर अब 300 रुपये तक हो गई हैं। हालांकि, कुछ विक्रेता इसमें थोड़ी छूट देकर इसे 250 पीकेआर प्रति किलो से बेच रहे हैं। इसके अलावा फल, सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। आलू की कीमत 50 पीकेआर से बढ़कर 80 रुपये तक हो चुकी है।वहीं गोभी की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। रमजान के कारण गोभी की कीमत 80-100 पीकेआर किलो से बढ़कर 150 पीकेआर हो गई है। हरी मिर्च को यहां 200 पीकेआर के बदले 320 पीकेआर प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। शिमला मिर्च भी 400 पीकेआर प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। हालांकि, पलक की कीमत में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

रमजान के महीने में फलों बिक्री बढ़ जाती है

रमजान के महीने में फलों की बिक्री बढ़ जाती है। छोटे आकार के केले की कीमत 80 पीकेआर से बढ़कर 120 पीकेआर प्रति दर्जन हो गई है। वहीं अच्छे गुणवत्ता वाले बड़े केले 200 पीकेआर प्रति दर्जन पर बेचे जा रहे हैं। सेव की कीमत भी बढ़कर 200 पीकेआर हो गई है। खरबूजे की कीमत भी बढ़कर 150-200 पीकेआर हो चुकी है। छोटे आकार के केले की कीमत 80 पीकेआर से बढ़कर 120 पीकेआर प्रति दर्जन हो गई है। उच्च गुणवत्ता वाले बड़े केले 200 पीकेआर प्रति दर्जन पर बेचे जा रहे हैं, जो कि उनकी पिछली दर 120-150 पीकेआर से अधिक है। हरे सेब 200-250 पीकेआर प्रति किलोग्राम पर बेचे जा रहे हैं, जो कि उनकी पिछली दर 150 पीकेआर से अधिक है। बहुप्रतीक्षित लाल और सुनहरे सेब की कीमत अब उनकी पिछली कीमत पीकेआर 300 की तुलना में 350-400 प्रति किलोग्राम है। रमज़ान के एक और पसंदीदा खरबूजे की दरें पीकेआर 100-120 के मुकाबले पीकेआर 150-200 प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं।

पाकिस्तान में फलों की कीमत भी दोगुनी

इसी तरह शिमला मिर्च की कीमत दोगुनी होकर 400 रुपये प्रति किलो हो गई है। हालांकि, पालक की कीमत 80-100 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित बनी हुई है। सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा विभिन्न फलों के दामों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। छोटे आकार के केले की कीमत 80 रुपये से बढ़कर 120 रुपये प्रति दर्जन हो गई है। हाई क्वालिटी वाले बड़े केले 200 रुपये प्रति दर्जन पर बेचे जा रहे हैं, जबकि पहले इनकी दर 120-150 रुपये थी। हरा सेब 200-250 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि इसकी पिछली कीमत 150 रुपये थी। लाल सुनहरे सेब की कीमत अब 350-400 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि पहले इसकी कीमत 300 रुपये थी। रमजान के एक और पसंदीदा खरबूजे की दरें 100-120 रुपये के मुकाबले बढ़कर 150-200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।

60 फीसदी तक बढ़ सकते हैं दाम

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रमजान के पवित्र महीने में भी आम लोगों को महंगाई की मार से मुक्ति नहीं मिलने वाली है. पाकिस्तान में लंबे वक्त से मुद्रास्फीति दर 31.5 फीसदी पर बनी हुई है, वहीं कुछ चीजों की कीमतों में 60 फीसदी तक का इजाफा दर्ज हुआ है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल पाकिस्तान के आम लोगों को इस महंगाई से छुटकारा नहीं मिलने वाला है.

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