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PM मोदी साबरमती आश्रम स्मारक परियोजना का ‘मास्टरप्लान’ करेंगे


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नई दिल्ली – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 12 मार्च को गांधी आश्रम स्मारक और परिक्षेत्र विकास परियोजना के मास्टरप्लान का अनावरण करने के लिए तैयार हैं – जो दांडी मार्च के 94 वर्ष का प्रतीक है – साथ ही 1200 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए भूमि-पूजन समारोह भी करेंगे, जिसका लक्ष्य है आश्रम को उसके “मूल गौरव” पर वापस ले जाएं।सूत्रों ने कहा कि आश्रम रोड, जो गांधी आश्रम की ओर जाती है, पुनर्विकास कार्य के लिए 12 मार्च से “क्रमबद्ध तरीके से” बंद होने की उम्मीद है और यातायात के लिए एक वैकल्पिक सड़क खोली जाएगी।

साबरमती आश्रम को किया जाएगा पुनर्स्थापित

बता दें कि महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी 1917 से 1930 तक साबरमती आश्रम में रहे। आश्रम पांच एकड़ के परिसर में है, जिसमें ऐतिहासिक महत्व की कुछ अन्य इमारतें हैं। गुजरात सरकार अब आश्रम को पुनर्स्थापित और नवीनीकृत करने और आगंतुकों को एक सहज अनुभव प्रदान करने के लिए एक योजना लेकर आई है, जो मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज है। इस परियोजना का क्रियान्वयन अहमदाबाद नगर निगम द्वारा किया जाएगा। पुनर्स्थापना परियोजना का डिजाइन अहमदाबाद स्थित प्लानर बिमल पटेल की ओर से किया जाएगा, जो नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा और वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के डिजाइन के पीछे भी हैं।

मास्टर प्लान में 55 एकड़ स्मारक

मास्टर प्लान में 55 एकड़ स्मारक और 322 एकड़ परिसर शामिल होने की संभावना है। एसएपीएमटी द्वारा प्रबंधित वर्तमान स्मारक में पांच एकड़ का हृदय कुंज – 1917 से 1930 तक गांधी और कस्तूरबा गांधी का निवास शामिल है। सूत्रों ने कहा कि मास्टर प्लान में 36 इमारतों का संरक्षण, बहाली और पुनरुत्पादन शामिल है।केंद्र और गुजरात सरकार संयुक्त रूप से 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना को क्रियान्वित कर रही हैं। इसके लिए गुजरात सरकार ने महात्मा गांधी साबरमती आश्रम मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की है।

आश्रम भूमि वंदना’’ कार्यक्रम होंगे शामिल

इसके अनुसार, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ‘‘आश्रम भूमि वंदना’’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ मौजूद रहेंगे। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का भी उद्घाटन करेंगे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित पहला आश्रम था और इसे एक स्मारक और पर्यटन स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है।

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