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हर 4 साल बाद ही क्यों आता लीप ईयर?,जानिए इसके बारे में सबकुछ


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नई दिल्लीः साल का दूसरा महीना फरवरी (February 2024) दो दिन बाद ख़त्म होने वाला है। फरवरी के महीने में 28 दिन होते हैं, लेकिन हर चौथे साल में ये 29 दिन की आती है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि फरवरी केवल 28 दिन की ही क्यों होती है 30 या 31 दिन की क्यों नहीं। तो चलिए आज हम आपके बताते हैं कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है।

आइए जानते हैं हर 4 साल में लीप ईयर आने की वजह

अंग्रेजी कैलेंडर में तारीखों की गणना सूर्य के आधार पर की जाती है. इस कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर भी कहा जाता है, जिसमें जनवरी 31 दिनों की होती है. इसके अनुसार साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन हर चार वर्ष बाद साल का एक दिन बढ़ जाता है, इसमें 365 की जगह 366 दिन हो जाते हैं. इसी को लीप ईयर कहा जाता है. हर 4 साल में बढ़ने वाले इस एक दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है और हर चार साल बाद फरवरी का महीना, 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का हो जाता है.

लीप ईयर क्या है

आपको बता दें दरअसल, हमारी पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लेती है। इसलिए ही हर 4 साल में फरवरी के महीने में एक दिन अधिक जोड़कर इसका संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि चौथे साल को लीप लीयर कहते हैं।

पहले साल में कितने महीने होते थे

दरअसल साल के अन्य महीनों में 30 या 31 दिन होने के बाद फरवरी में एडजस्ट करने के लिए सिर्फ 28 दिन और कुछ घंटे ही बचते हैं तो इस महीने में ऐसे ही एडजस्ट कर दिया गया। इस वजह से फरवरी में 28 दिन होते हैं और चार साल बाद 29 दिन हो जाते हैं। इसलिए इन दिनों को फरवरी में एडजस्ट किया जाता है।इसके पीछे कारण ये है कि पहले एक साल में सिर्फ 10 ही महीने होते थे और साल की शुरुआत मार्च से होती थी। वहीं, अभी की तरह साल का आखिरी महीना दिसंबर ही था। इतना ही नहीं दिसंबर के बाद मार्च आता था। इसके बाद जनवरी और फरवरी बाद में जोड़े गए।

इसलिए 4 साल में आता है एक बार आता है लीप ईयर

दरअसल, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती रहती है. पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे का समय लगता है. तब जाकर एक साल पूर्ण होता है और दूसरे साल की शुरुआत हो जाती है. इसी तरह हर साल 365 दिनों के साथ ही 6 6 घंटे जुड़कर 4 साल में 24 घंटे का पूरा एक दिन बन जाता है. 4 साल बाद आने वाले साल में 366 दिन हो जाते हैं और इसे लीप ईयर कहते हैं, जिसके चलते फरवरी 28 की जगह 29 दिन की हो जाती है.

1 मार्च होता था साल का पहला दिन

आपको बता दें पहले दिसंबर के बाद सीधा मार्च आता था। लेकिन इसके बाद जनवरी को 153 BC में जोड़ा गया। लेकिन इससे पहले 1 मार्च साल का पहला दिन होता था। साथ ही पहले जब 10 महीनों का साल होता था तो महीने के दिन ऊपर-नीचे होते रहते थे।जब साल में दो महीने जोड़े गए तो दिन को भी उसी हिसाब से बाँट दिया गया। फिर इसके बाद में फरवरी में 28 दिन हो गए और 4 साल के हिसाब से 29 दिन आने लगे। तभी से यही है कैलेंडर चलता आ रहा है। जबकि पहले यह कैलेंडर कई बार बदल चुका था।

जानें फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया एक्सट्रा दिन

साल के लीप ईयर (Leap Year 2024) का यह दिन फरवरी माह में ही क्यों जोड़ा गया है. इस सवाल का जवाब भी ज्यादातर लोग तलाशते रहते हैं. इसकी वजह ये है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar 2024) से पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था. ये रोमन सौर कैलेंडर था. इसमें लीप मार्च का पहला और फरवरी आखिरी महीना था. इसी कैलेंडर में लीप ईयर की व्यवस्था की गई थी. यही वजह है कि लीप ईयर (Leap Year) यानी चार साल बाद पड़ने वाले एक्सट्रा दिन को फरवरी में जोड़ दिया गया था, जब जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आया तो पहला महीना जनवरी हो गया, लेकिन फिर भी एक्‍सट्रा दिन को फरवरी में ही जोड़ा गया. इसकी वजह फरवरी का महीना सबसे छोटा होना भी है.

कैसे पता चलता है कि लीप ईयर है?

अभी भी बहुत से लोग लीप ईयर की गणना नहीं कर पाते हैं। आसान शब्दों में समझ सकते हैं. जिस साल को 4 से भाग करने पर शेष जीरो आ जाए, वो लीप ईयर होगा। उदाहरण के लिए समझे तो साल 2000 लीप ईयर था और 1900 लीप ईयर की श्रेणी में नहीं था, क्योंकि उसे 4 से भाग करने पर शेष जीरो नहीं बचता है। अगर साल 2024 को चार से भाग करें, तो इसका शेष जीरो आएगा। इसकी वजह से यह साल लीप ईयर है। इस क्रम में साल 2024 के बाद 2028, 2032 और 2036 लीप ईयर की श्रेणी में आएंगे।

29 फरवरी को बनेगा ग्रह-नक्षत्रों अद्भुत संयोग

जिन लोगों का जन्मदिन 29 फरवरी को होता है, उन्हें अपना जन्मदिन मनाने का सौभाग्य चार सालों में एक बार मिलता है. इस बार फरवरी माह की शुरुआत गुरूवार से हुई थी और इस महीने का अंत भी गुरूवार को ही होगा क्योंकि 29 फरवरी को गुरूवार है.इस बार 29 फरवरी के दिन कई अद्भुत संयोग भी बन रहे हैं. कुंभ राशि में सूर्य,शनि और बुध इन तीनों ग्रहों की युति हो रही है. गुरू ग्रह अपने मित्र मंगल की राशि में हैं. वहीं मकर राशि में मंगल और शुक्र की युति हो रही है.29 फरवरी की सुबह 7 बजकर 39 मिनट तक चित्रा नक्षत्र रहेगा इसके बाद स्वाति नक्षत्र शुरू हो जाएगा. 29 फरवरी को पैदा होने वाले जिन बच्चों की जन्मकुंडली में स्वराशि का शनि केंद्र में होगा, उनकी कुडंली में पंचमहापुरूष राजयोग बनेगा.

4 साल में एक बार आता है ये मौका

वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न में 29 तारीख को जन्मे बच्चों की कुंडली में शशक नामक पंचमहापुरूष राजयोग बनेगा. वहीं मेष, कर्क, तुला और मकर लग्न में पैदा होने वालों की जन्म कुंडली में रूचक नाम पंचमहापुरूष राजयोग बनेगा.इस साल 29 फरवरी को पैदा होने वाले बच्चों पर शनि और मंगल ग्रह की विशेष कृपा रहने वाली है. शनि और मंगल के शुभ प्रभाव से इनकी कुंडली मजबूत होगी और इन्हें जीवन में सारी सुख-सुविधाएं मिलेंगी.

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