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अमेजन के रेनफॉरेस्ट में मिला दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनाकोंडा,दुश्मन का शरीर तोड़ देता है ये सांप


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नई दिल्लीः अमेजन के रेनफॉरेस्ट में दुनिया का सबसे बड़ा सांप मिला है, जो असल में एक नॉर्दर्न ग्रीन एनाकोंडा है। वालइल्ड लाइफ टीवी प्रेजेंटर प्रॉफेसर फ्रीक वॉन्क (Freek Vonk) ने इसे खोजा है। सांप का साइज 26 फीट लंबा है और वो 200 किलो का है। सांप का सिर इंसानी सिर जितना बड़ा है, शरीर किसी कार के टायर जितना चौड़ा है। नीदरलैंड के 40 वर्षीय प्रोफेसर को उस सांप से जरा भी डर नहीं लगा और वो एक वीडियो में उसके साथ तैरते नजर आ रहे हैं।

सबसे दुर्लभ और रहस्यमय जानवरों में से एक

हरे एनाकोंडा को लंबे समय से अमेजन के सबसे दुर्लभ और रहस्यमय जानवरों में से एक माना जाता है। लेकिन हाल ही में इस प्रजाति के एक नए सांप को खोजा गया है, जिसे सामने देख कर कोई भी खौफ में आ जाए। इस सांप का सिर इंसान के सिर के बराबर है। वहीं इसका आकार 26 फीट लंबा है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के प्रोफेसर ब्रायन जी फ्राई ने कहा कि हमारा नया शोध इस शानदार प्राणी की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाता है, जिससे पता चलता है कि यह वास्तव में अनुवांशिक रूप से दो अलग-अलग प्रजातिया हैं। लगभग 1 करोड़ साल पहले ग्रीन एनाकोंडा अनुवांशिक रूप से अलग हुए। ग्रीन एनाकोंडा दुनिया के सबसे बड़े और भारी सांप हैं। यह दक्षिणी अमेरिका की नदियों में पाए जाते हैं।

सांपों की प्रजाति से अलग है नॉर्दर्न ग्रीन एनाकोंडा

प्रोफेसर वोंक ने आगे कहा कि जैसे कि हम सभी फिल्मों और कहानियों के जरिए जानते हैं कि दुनिया में अलग-अलग सांप की प्रजाति पाई जाती है, हालांकि ये सिर्फ 2 ही प्रजातियां हैं. सूरीनाम, वेनेजुएला और फ्रेंच गुयाना समेत साउथ अमेरिका में अपने बॉर्डर के नॉर्थ में पाए जाने वाले हरे एनाकोंडा पूरी तरह से अलग प्रजाति के लगते हैं, हालांकि पहली नजर में ये सभी देखने में करीबन एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनके बीच 5.5 प्रतिशत आनुवंशिक अंतर है, जो वाकई में काफी बड़ा है। एक चिंपाजी और मनुष्य में सिर्फ 2 प्रतिशत ही आनुवंशिक अंतर है।

सरीसृपों में हरे एनाकोंडा सच में राक्षस

इन्हें इनकी तेज गति और बड़े शिकार का दम घोंटने और फिर उन्हें जिंदा निगलने के लिए जाना जाता है। द हिंदू में प्रोफेसर फ्राई ने एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि पहली बार जब उन्होंने और उनके सहयोगियों ने इसे देखा तो हैरान रह गए। उनका मानना है कि हरे एनाकोंडा को बचाने की नीतियों पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है। ऐतिहासिक रूप से एनाकोंडा की चार प्रजातियों को मान्यता दी गई है, जिनमें हरे एनाकोंडा भी शामिल हैं। सरीसृपों में हरे एनाकोंडा सच में राक्षस हैं। इनका वजन 250 किग्रा से ज्यादा का हो सकता है।

शिकार को सीधे निगल जाता है एनाकोंडा

यह सांप पानी में रहने के लिए पूरी तरह अनुकूल हैं। उनकी नाक और आंख सिर से ऊपर होती है, ताकि वे देख सकें और सांस ले सकें। जबकि उनका बाकी शरीर पूरी तरह पानी में डूबा रहता है। एनाकोंडा बड़े काले धब्बों के साथ हरे रंग के होते हैं। यह सांप दक्षिण अमेरिका के अमेजन और ओरिनोको बेसिन के हरे-भरे जटिल जलमार्गों में रहते हैं। इन्हें छिपने, धैर्य और तेजी के लिए जाना जाता है। यह चूहों, मगरमच्छ की प्रजातियों के बड़े जानवर और हिरण को शिकार बना सकते हैं।

साइंटिस्ट ने इसका लैटिन नाम Eunectes akayima रखा

फ्रीक वॉन्क ने बताया कि सांप की खोज 9 देशों के 14 वैज्ञानिकों ने मिलकर की है और यह दुनिया का सबसे बड़ा सांप है, जिसका सिर इंसान के सिर जितना बड़ा है और शरीर कार के टायर जितना चौड़ा.अमेजन रेनफॉरेस्ट में दुनिया का सबसे बड़ा सांप पाया गया जो एक उत्तरी ग्रीन एनाकोंडा है. नीदरलैंड के प्रोफेसर को सांप को देखकर बिल्कुल डर नहीं लगा और उन्होंने उसके साथ तस्वीर भी खिंचाई.डायवर्सिटी की एक स्टडी के अनुसार, ग्रीन एनाकोंडा के जीन में दूसरे एनाकोंडा के मुकाबले 5.5 फीसदी का फर्क होता है.साइंटिस्ट ने इसका लैटिन नाम Eunectes akayima रखा है जिसका मतलब उत्तरी ग्रीन एनाकोंडा होता है.इस सांप की खोज वाइल्ड लाइफ टीवी एंकर फ्रीक वॉन्क ने की है. जब वो पानी में तैर रहे थे तभी अचानक से उनके सामने नई प्रजाति का सांप आ गया.

शिकार का शरीर तोड़ देता है एनाकोंडा

सिर्फ 25 फीसदी सांप जहरीले होते हैं। हरे एनाकोंडा में जहर नहीं होता। लेकिन इनकी ताकत बहुत ज्यादा होती है। ये अपने बड़े और लचीले जबड़ों का इस्तेमाल शिकार के लिए करते हैं। अपने शिकार को निगलने से पहले यह उसे अपनी पकड़ से तोड़ देते हैं। एनाकोंडा पर्यावरण परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। अगर एनाकोंडा की आबादी अच्छी है तो यह स्वच्छ पानी के साथ जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देता है। एनाकोंडा की घटती संख्या पर्यावरण संकट का संकेत दे सकती है। इसलिए एनाकोंडा की प्रजाति की मौजूदगी और उनकी संख्या की निगरानी जरूरी है।

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