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MSME से परेशान छोटे कारोबारियों,45 दिनों की भुगतान अनिवार्यता


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नई दिल्ली – छोटे कारोबारियों को फायदा पहुंचाने और कर चोरी करने वाले व्यापारियों पर नकेल कसने के मकसद पिछले साल बजट में घोषित किये गए MSME के लिए नए नियम अब छोटे-मझोले कारोबारियों को परेशान कर रही है। इस नए नियम के तहत अगर छोटे उद्यमी से खरीद के बाद व्यापारी सही वक्त पर भुगतान नहीं करता है, तो वो आय से जुड़ जाएगा और जिस पर उसे टैक्स भरना पड़ सकता है।इस नए नियम ने व्यापार का रुख ही बदल दिया है। व्यापारियों के बीच आपसी विवाद बढ़ा है जबकि कारोबार लगातार कम हो रहा है। कारोबारी संगठनों की तरफ से इस नियम में बदलाव की मांग की जा रही है।

एमएसएमई के मुताबिक आगामी एक अप्रैल से यह नियम लागू हो रहा है और अगर इस साल 31 मार्च तक वे खरीदारी का भुगतान नहीं करते हैं, तो खरीदारी की रकम उनकी आय मानी जाएगी और उन्हें 30 प्रतिशत तक का टैक्स देना पड़ सकता है।अब एमएसएमई इस नियम में बदलाव चाहते हैं। खासकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90 दिनों की मोहलत चाहते हैं। इस संबंध में गारमेंट व्यापारियों ने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री से भी मुलाकात की है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाई (MSME) के लिए भुगतान के नए नियम (धारा 43B) के तहत अगर छोटे उद्यमी जिसने एमएससी में के तहत उद्यम आधार में पंजीकृत किया है से खरीद के बाद व्यापारी अगर सही वक्त पर भुगतान नहीं करता है, तो वो आय से जुड़ जाएगा और जिस पर उसे टैक्स भरना पड़ेगा।भारत मर्चेंट चेंबर के सचिव अजय सिंघानिया कहते हैं कि कारोबार की जमीनी हकीकत को नजर अंदाज करके यह नियम तैयार किया गया। 45 दिनों में बिल का भुगतान हो पाना मुश्किल होता है। ऐसे व्यापारियों के अंदर एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना बन गई जो कारोबार को प्रभावित कर रही है। इसीलिए हमने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि इस नियम पर विचार किया जाए क्योंकि यह छोटे कारोबार और कारोबारियों के हित में नहीं है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) का कहना है कि यह बात सही है कि एमएसएमई से खरीदारी का समय 45 दिन से अधिक हो गया है और उनका भुगतान नहीं हुआ है तो 31 मार्च के बाद खरीदारी की रकम उस खरीदार के बैलेंस शीट में आय के रूप में दर्ज हो जाएगी और उन्हें टैक्स भी देना पड़ेगा, लेकिन बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान कर देने पर खरीदार अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकते हैं।फिस्मे के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक सरकार के इस नियम से उद्यमियों में चिंता जरूर हो गई है, लेकिन सरकार ने रकम लौटाने के बाद टैक्स की वापसी का प्रविधान भी अपने नियम में रखा है। एमएसएमई एक दूसरे से सामान खरीद कर अपना उत्पादन करते हैं, इसलिए सभी एमएसएमई इस नियम से प्रभावित हो रहे हैं।

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