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कैबिनेट से कोल गैसीफिकेशन को मिली मंजूरी,अदाणी समेत कई कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी


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नई दिल्लीः केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कोल गैसीफिकेशन को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर यानी CCEA की 24 जनवरी को सुबह मीटिंग में यह फैसला लिया है. साथ ही करीब 6000 करोड़ रुपए के विजिविलिटी गैप फंडिंग (VGF) को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दिखाई है. सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक VGF का 50% प्राइवेट कंपनियों को दिया जाएगा.

कैबिनेट से कोल गैसीफिकेशन को मंजूरी

CCEA ने मीटिंग में कोल गैसीफिकेशन को मंजूरी मिली. यह मामला काफी लंबे समय से अटका हुआ था. साथ ही कोल गैसीफिकेशन के लिए इक्विटी निवेश पर छूट भी मंजूर हुई है. ज़ी बिजनेस को मिली जानकारी के मुताबिक करीब 6000 करोड़ रुपए के VGF को भी कैबिनेट से अप्रूवल मिला है. इसमें VGF का 50% प्राइवेट कंपनियों को दिया जाएगा. यानी प्राइवेट कंपनियों को करीब 3000 करोड़ रुपए कोल गैसीफिकेशन के लिए जाएंगे. बाकी VGF सरकारी कंपनियों को मिलेंगे.

क्या होता है कोल गैसीफिकेशन

कोयले से गैस बनाने की प्रक्रिया को कोल गैसीफिकेशन कहते हैं. कोयले का गैसीफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोयले को ऑक्सीजन, भाप या कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा ऑक्सीडाइज किया जाता है. लेकिन इसमें कोयले को जलाया नहीं जाता है. आसान शब्दों में ऐसे समझें तो कुछ जलाकर इससे निकलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इस वजह से किया जाता है ताकि ईंधन-गैस बनाई जा सके. इस गरम ईंधन गैस को भाप बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस ईंधन से कई तरह के ईंधन और केमिकल भी बनाए जाते हैं. 1800 के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी.तब से लेकर अब तक, इस तकनीक का बहुत विकास हो चुका है. दुनियाभर में कोयले के गैसीफिकेशन को मेथनॉल, अमोनिया, एथनॉल और बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

NLC India ने मंगवाई बिड

ज़ी बिजनेस को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोल गैसीफिकेशन को जल्द शुरू किया जाएगा. नैवेली लिग्नाइट ने इसके लिए बिड भी मंगाई थी. L&T को पार्टनर के तौर पर चुना भी गया है. क्योंकि VGF का इंतजार हो रहा था. ऐसे में कैबिनेट से मिली मंजूरी के बाद अगले 2-3 महीने के भीतर कोल गैसीफिकेशन पर काम शुरू हो जाएगा.

भारत में भी हो रहा है लंबे से इस्तेमाल

सरकार की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक, भारत में साल 1960 के दशक से कोल गैसीफिकेशन का इस्तेाल हो रहा है. देश में झारखंड के सिंदरी में कोयले की गैसीफिकेशन यूनिट खोली गई थी. जो बाद में बंद कर दी गई.जिंदल ने ओड़िशा के अंगुल में प्लांट बनाया था, लेकिन वो भी बंद हो गया. लेकिन फिलहाल इस दिशा में काफ़ी प्रगति हुई है.भारत हेवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड ने तमिलनाडु के त्रिची में पाइलट प्रोजेक्ट शुरू किया. जिसमें 6.2 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है.

GST काउसिंल के फैसले पर भी रहेगी नजर

बता दें कि कोल गैसीफिकेशन बेहद किस्म की तकनीकि है. इस पर चुनिंदा देश ही काम कर रहे. कोल गैसीफिकेशन को लेकर एक और डिमांड GIST का है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले महीने होने जा रही GST काउंसिल की मीटिंग में इस पर फैसला हो सकता है. फिलहाल कोल गैसीफिकेशन को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है.

अभी कौन से देशों में हो रहा इस्तेमाल

चीन और जापान में फिलहाल इसका यूज हो रहा है. गैसीफिकेशन का सबसे ज्यादा यूज चीन कर रहा है. चीन इसे अपने कई उद्योगों में इस्तेमाल करता है.जापान में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन अगर बात दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की करें तो फिलहाल वहां न के बराबर ही इसका इस्तेमाल होता है.

अदाणी समेत कई कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी

कोयले से गैस बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. Coal Gasification के लिए फाइनेंशियल इंसेंटिव्स मिलेंगे. इसके लिए सरकार की ओर से प्लांट और मशीनों के लिए कैपिटल सपोर्ट मिलेगा.अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises), दीपक फर्टीलाइजर (Deepak Fertiliser), समेत कई प्राइवेट कंपनियों ने इसके लिए दिलचस्पी दिखाई है.CNBC Awaaz को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक इसके लिए कोल इंडिया, BHEL, GAIL, Indian Oil के साथ करार भी हो चुका है.

15 फीसदी कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी

PSU प्रोजेक्ट को प्रति प्लांट 1350 करोड़ रुपए कैपिटल सपोर्ट मिलेगा. इसके अलावा प्राइेट कंपनियों को 1000 करोड़ रुपए का कैपिटल सपोर्ट मिलेगा.प्लांट की कुल लागत का अधिकतम 15 फीसदी कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी और कम से कम 0.4 मिलियन टन क्षमता का प्रोजेक्ट होना चाहिए.

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