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Ratan Tata Birthday : एक डांट ने बदल दी रतन टाटा की जिंदगी,कर्मचारी को बचाने के लिए किया था ये काम


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नई दिल्लीः भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का आज यानी 28 दिसंबर को 86वां जन्म दिन है। ख्यातिप्राप्त बिजनेस मैन के अलावे रतन टाटा एक मोटिवेशनल स्पीकर भी रहे हैं। वे परोपकार और मानवता की भावना के बिना कारोबार का संचालन करने में भरोसा नहीं रखते हैं। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ। वे देश के प्रतिष्ठित टाटा परिवार का हिस्सा थे। उन्होंने टाटा ग्रुप में अपने करियर की शुरुआत 25 की आयु में की।

1959 में पढ़ाई के लिए अमेरिका गए रतन टाटा

वर्ष 1959 में आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका के काॅरनेल यूनिवर्सिटी गए। साल 1962 में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स के जोन्स और इमोन्स नामक कंपनी में उन्होंने नौकरी की। 1962 में भारत लौटने के बाद बाद उन्होंने टाटा ग्रुप ज्वाइन किया। ग्रुप में उन्हें पहला काम जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील डिविजन में मिला। वर्ष 1975 में उन्होंने हार्वार्ड बिजनेस स्कूल से प्रबंधन का कोर्स किया। वर्ष 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। ये तो वे बातें हैं कि जो रतन टाटा के बारे में सब जानते हैं। पर रतन टाटा के बारे में कुछ ऐसी भी बाते हैं जो कम ही लोगों को पता है

कैसे ज्वाइन किया टाटा ग्रुप

रतन टाटा आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए थे। डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में ही नौकरी करने का मन बना लिया था, लेकिन उनकी दादी यानी लेडी नवजबाई (Lady Navajbai) की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें भारत वापस आना पड़ा। यहां आकर उन्होंने आईबीएम ज्वाइन कर लिया था। उनकी पहली नौकरी के बारे में उनके परिवार को भी नहीं पता था। वर्ष 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में उनकी नौकरी लग गई थी। रतना टाटा भले ही टाटा फेमिली के मेंबर थे फिर भी उन्हें कंपनी के सार काम करने होते थे। वह अनुभव लेने के बाद कंपनी के सर्वोच्च पद पर पहुंचे थे। वर्ष 1991 में उन्होंने टाटा संस (Tata Sons) और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 21 वर्षों तक उन्होंने कंपनी का नेतृत्व किया और कंपनी को कई बुलंदियों तक पहुंचाने में मदद की।

पहली पूर्ण रूप से भारत में बनी कार लेकर आए रतन टाटा

रतन टाटा ने भारत में पहली बार पूर्ण रूप से बनी कार का उत्पादन शुरू किया। इस कार का नाम है टाटा इंडिका। भारत में सौ फीसदी बनी इस कार को पहली बार वर्ष 1998 में ऑटो एक्सपो और जेनेवा इंटरनेशनल मोटर शो में प्रदर्शित किया गया। इंडिका पहली देसज कार थी जो पेट्रोल और डीजल दोनों इंजनों में उपलब्ध था। रतन टाटा की अगुवाई में टाटा ग्रुप ने एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस, ब्रिटिश लग्जरी ब्रांड लैंड रोवर और जगुआर का अधिग्रहण कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंपना डंका बजाया। रतन टाटा के नाम दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो बनाने की भी उपलब्धि है।

टाटा स्टील में भट्ठी में चूना पत्थर डालने का काम किया।

अमेरिकी तकनीकी दिग्गज आईबीएम के साथ नौकरी की पेशकश के बावजूद, टाटा ने भारत लौटने का फैसला किया और टाटा स्टील के साथ अपना करियर शुरू किया। उनके परिवार के सदस्य कंपनी के मालिक थे, पर उन्होंने एक सामान्य कर्मचारी के तौर पर कंपनी में काम शुरू किया। उन्होंने टाटा स्टील के प्लांट में चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने जैसा काम भी किया।

कर्मचारी को बचाने के लिए किया था ये काम

रतन टाटा एक बार कर्मचारी की जान बचाने के लिए खुद विमान उड़ाने को तैयार हो गए थे। यह वाकया अगस्त 2004 का है। पुणे में टाटा मोटर्स के एमडी प्रकाश एम तेलंग की तबीयत अचानक खराब हो गई और डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत मुंबई ले जाने की सलाह दी। रविवार का दिन था और डॉक्टर एयर एंबुलेंस का जुगाड़ नहीं कर पा रहे थे। जब इस बारे में रतन टाटा को बताया गया तो वह कंपनी का प्लेन उड़ाने के लिए तैयार हो गए। टाटा के पास पायलट का लाइसेंस है। लेकिन इस बीच एयर एंबुलेंस का प्रबंध हो गया और प्रकाश को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाया गया। वहां उनका सफल इलाज हुआ। प्रकाश करीब 50 साल तक टाटा मोटर्स में रहने के बाद 2012 में रिटायर हुए।

ट्रेंड पायलट

रतन टाटा एक ट्रेंड पायलट हैं और उनके पास विमान उड़ाने का लाइसेंस है। उनके पास एक दसॉ फाल्कन 2000 प्राइवेट जेट भी है, जिसकी कीमत करीब 150 करोड़ रुपये बताई जाती है। कुछ साल पहले उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी जिसमें वह एक फाइटर विमान की कॉकपिट में नजर आ रहे थे। यह तस्वीर 2011 की थी जब रतन टाटा ने बेंगलुरु एयरशो में बोइंग के F-18 सुपर हॉर्नोट विमान में उड़ान भरी थी। इसे उन्होंने 28 फरवरी, 2019 को अपने 82वें जन्मदिन के मौके पर इंस्टाग्राम पर शेयर किया था।

रतन टाटा को विमान उड़ाने और कारों का शौक

रतन टाटा को उड़ने का बहुत शौक है। वह 2007 में F-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें कारों का भी बहुत शौक है। उनके संग्रह में मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल और जगुआर एफ-टाइप जैसी कारें शामिल हैं।

फोर्ड कंपनी के चेयरमैन ने रतन टाटा का किया था अपमान

90 के दशक में जब इंडिगो पहली बार लॉन्च किया गया तब कंपनी की सेल उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो पाई। उस वक्त टाटा ग्रुप ने चुनौतियों से जूझ रही टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का फैसला लिया। इसके लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से बात की। बातचीत के दौरान बिल फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम्हारे ऊपर एक बड़ा अहसान होगा। फोर्ड चेयरमैन के इन शब्दों से रतन टाटा बहुत आहत हुए पर उन्होंने इसे जाहिर नहीं किया। उसके बाद उन्होंने पैंसेजर कार डिविजन बेचने का अपना फैसला टाल दिया और अपने अंदाज में उनसे इसका बदला लिया।

भारत रत्न देने की उठी मांग

रतन टाटा देश के एकमात्र उद्योगपति हैं जिन्हें कई बार देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग हो चुकी है। पिछले साल की शुरुआत में उन्हें भारत रत्न देने की मांग को लेकर ट्विटर पर #BharatRatnaForRatanTata हैशटैग के साथ एक अभियान चलाया गया था। हालांकि तब रतन टाटा ने लोगों से इस कैंपेन को बंद करने की मांग करते हुए कहा था कि वह एक भारतीय होने पर खुद को भाग्यशाली मानते हैं। रतन टाटा को साल 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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