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जानें 26 दिसंबर क्यों मनाया जाता हैं वीर बाल दिवस, PM मोदी ने कही ये बात


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नई दिल्लीः आज 26 दिसंबर है और आज के दिन को भारत में वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को राजधानी स्थित भारत मंडपम में ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की और युवाओं के एक मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. पिछले साल 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों- साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्‍मृति में ‘वीर बाल दिवस’ मनाया जाएगा. तो चलिए जानते हैं क्या है वीर बाल दिवस, क्या रहा है इसका इतिहास और इसका महत्व क्या है?

26 दिसंबर क्यों मनाया जाता हैं वीर बाल दिवस

सिक्खों के दसवें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह के पुत्रों की शहादत के सम्मान में इस दिन को मनाया जाता है. गुरु गोबिन्द सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी. जिसका काम लोगों को मुगलों के उत्पीड़न से बचाया था. आनंदपुर साहिब में ही उनका किला था. मुगलों ने कई बार इन्हें यहां से निकालने का प्रयास किया पर असफल रहें. फिर बाद में मुगलों के समझौता हुआ कि अगर आनंदपुर छोड़ देंगे तो युद्ध नहीं होगा. लेकिन गुरु गोबिंद सिंह और उनके अनुयायियों पर सरसा नदी के पास हमला कर दिया गया.

वीर बाल दिवस: इतिहास

इसके पीछे एक कहानी है. मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे. उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था. 1699 में गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी. तीन पत्नियों से गुरु गोबिंद सिंह चार बेटे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, सभी खालसा का हिस्सा थे. उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था. उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

वीर बाल दिवस का महत्व

वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपने आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. यह उनकी कहानियों को याद करने का भी दिन और यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी निर्मम हत्या की गई- खासकर जोरावर और फतेह सिंह की. सरसा नदी के तट पर एक लड़ाई के दौरान दोनों साहिबजादे को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था. इस्लाम धर्म कबूल नहीं करने पर उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था.

साल 2022 में आज के दिन पहली बार मना था ‘वीर बाल दिवस’

पीएम ने कहा, “पिछले साल देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था। तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था। वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती।”

पीएम मोदी का कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारत मंडपम, प्रगति मैदान में समारोह की अध्यक्षता करेंगे और कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे जिसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा पोस्ट कर दिया गया है.

कब हुई थी दिवस की घोषणा

इस साल 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा.

छत्तीसगढ़ में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

वीर बाल दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होने वाला है, जिसमें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शामिल होंगे. मुख्यमंत्री सुबह 11 से 12 बजे तक तेलीबांधा गुरुद्वारा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. फिर उसके बाद दोपहर 12 से 01 बजे तक माता सुंदरी परिसर कार्यक्रम में शामिल होने का कार्यक्रम है. फिर शाम 5 से 6 बजे तक सीएम आवास पहुना में वीर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा. उप मुख्यमंत्री अरुण साव बिलासपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रम में शामिल होंगे.

वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया जानेगी’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा, “मुझे खुशी है कि वीर बाल दिवस अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाने लगा है। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, UAE और ग्रीस में भी वीर बाल दिवस से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया और ज्यादा जानेगी…।”

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