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National Mathematics Day: श्रीनिवास रामानुजन के सम्मान में मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस


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नई दिल्लीः भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जीवन कई आश्चर्यों से भरा हुआ है। रामानुजन ने गणित विषय की कोई औपचारिक पढ़ाई किए बिना ही कई गणितीय सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। रामानुजन ने मैथमेटिकल एनालिसिस इंफाइनट सीरीज फ्रैक्शन नंबर थ्योरी आदि जैसे गणित के कठिनतम क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। इसके चलते उनकी जयंती को हम हर साल राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाते हैं।

श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान

भारत में हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. इस दिन देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के सम्मान में मनाया जाता है. श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है. गणित के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन पर गणित दिवस मानाने की घोषणा की थी. आइए जानते है, कि कौन थे गणितज्ञ रामानुजन? कैसे उन्होंने गणित (Maths) के क्षेत्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया.

कौन थे श्रीनिवास रामानुजन?

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड (Erode, Tamilnadu) में एक तमिल ब्राह्मण आयंगर परिवार में हुआ था. रामानुजन ने 1903 में कुंभकोणम (Kumbhakodam) के सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी. कॉलेज में, गणित के अलावा वो बाकी के विषयों में लापरवाही के कारण वो असफल रहें थे. 1912 में रामानुजन ने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट (Madras Port Trust) में क्लर्क (Clerk) के रूप में काम करना शुरू किया था. लेकिन प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले वे ट्रिनिटी कॉलेज (Trinity College) में शामिल हुए.

बहुत कम से दिखी गणित में अनोखी प्रतिभा

स्कूल में रामानुजन को 11 साल की उम्र से ही गणित विषय में अनोखी प्रतिभा वाले बच्चे के रूप में पहचान मिल गयी थी. 11 साल की उम्र में वे कॉलेज स्तर के प्रश्न हल कर लेते थे. रामानुजन नंबर 1729 को मैजिक नंबर (Ramanujan Magic Number) कहते थे. मैथेमैटिकल अनालिसिस (Mathematical Ananlysis), नंबर थ्योरी (Number Theory), इनफिनिट सीरीज (Infinite Series) और कंटीन्यूड फ्रैक्शन (Continued Fraction) जैसे गणित के विषय रामानुजन ने ही दिए है. 2015 की फिल्म ‘द मैन हू न्यू इनफिनिटी’ (The Man Who Knew Infinity) श्रीनिवास रामानुजन की बायोपिक पर आधारित थी.

इस दिन को मनाने का उद्देश्य

सुविख्यात गणितज्ञों का मानना है कि गणित का मानव जीवन के विकास में बहुत महत्व है. लोगों को गणित के प्रति जागरुक करना इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है. विश्व विख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने गणित को आसान बनाने और लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ाने की काफी कोशिशें की. गणित के शिक्षकों को इसे आसानी से समझाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है.

जब रामानुजन से कैंब्रिज के मैथमेटिशियन ने मान ली हार

श्रीनिवास रामानुजन ने आरंभ में अकेले ही अपनी गणितीय शोध पर काम करते रहे। अपने किए गए गणितीय अनुसंधानों की समझने की क्षमता रखने वाले गणितज्ञों की खोज में रामानुजन ने विश्वविख्यात गणितज्ञों से डाक के माध्यम से संपर्क करना शुरू किया। इस क्रम में जब इंग्लैण्ड के कैंबिज विश्वविद्यालय के अंग्रेज गणितज्ञ जी. एच. हार्डी ने उनके गणितीय सिद्धातों को देखा तो उनके कैंब्रिज आने की व्यवस्था की। हाईडी ने इसके बाद अपने एक लेख में लिखा कि रामानुजन ने अविश्वसनीय नए गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं, इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंन मुझे पूरी तरह से हरा दिया है

छोटे जीवनकाल में दिए 3900 हल

श्रीनिवास राजानुजन की जीवनकाल अधिक नहीं रहा। तारीख 22 दिसंबर 1987 को जन्में महान भारतीय गणितज्ञ राजानुजन का जीवन 26 अप्रैल 1920 को 32 वर्ष की आयु में ही टीबी और कई विटामिन की कमीं के चलते समाप्त हो गया। उन्होंने अपने इस छोटे जीवनकाल में ही गणितीय जगत को 3900 से अधिक हल प्रदान किए, इनमें अधिकतर आइडेंटीटीज और इक्वेशन शामिल हैं।

बेहद ही कम उम्र में निधन

13 साल की उम्र में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. एल. लोनी की विश्व प्रसिद्ध त्रिकोणमिति (trigonometry) पर लिखित किताब को पढ़कर का अपनी खुद की मैथमेटिकल थ्योरी बनाई. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में बिना किसी की मदद लिए कई प्रमेय रच दिया था. इस विशेष योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें कई सम्मान से नवाजा था. इसके बाद उन्होंने कई नए-नए गणित के फॉर्मूले लिखें. श्रीनिवास रामानुजन की बेहद ही कम उम्र में (33 वर्ष) टीबी रोग से ग्रस्त होने के कारण 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया. तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 26 फरवरी 2012 को मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ के समारोह के उद्घाटन समारोह के दौरान 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाए जाने कि घोषणा की थी.

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