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विज्ञान

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत सातवें स्थान पर,पिछले साल की तुलना में बेहतर प्रदर्शन


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नई दिल्लीः जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए वैश्विक रणनीति बनाने के इरादे से फिलहाल दुबई में संयुक्त राष्ट्र की 28वीं बैठक चल रही है। इस बीच क्रिश्चियन ऐड द्वारा जारी किये गये एक अध्‍ययन में जलवायु परिवर्तन के कारण अरब प्रायद्वीप पर पड़ने वाले विनाशकारी आर्थिक प्रभावों को रेखांकित किया गया है।दूसरी बातों के साथ इस रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि अगर वर्ष 2100 तक ग्‍लोबल वार्मिंग में तीन डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होने दी जाए तो अरब प्रायद्वीप की जीडीपी को औसतन 69 प्रतिशत का नुकसान होगा। साथ ही, कॉप28 की मेजबानी कर रहे यूएई और सऊदी अरब दोनों ही जलवायु परिवर्तन के चलते जीडीपी के 72 प्रतिशत नुकसान का सामना कर रहे हैं।

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती

सम्मेलन में शुक्रवार को जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सूची में सातवें स्थान पर है। भारत पिछली बार जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में आठवें स्थान पर था। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती होने के वजह से भारत को उच्च रैंकिंग मिली है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। बावजूद इसके यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे डाटा से साफ होता है कि प्रति व्यक्ति जीएचजी श्रेणी में भारत दो डिग्री सेल्सियस से नीचे के बेंचमार्क को छूने वाला है। यह आंकड़ा सकारात्मक रुझानों को दर्शाता है। हालांकि, इसकी गति बहुत धीमी है।

पहली बार खाड़ी देश में आयोजित कॉप28 में हिस्‍सा ले रहे है

शुक्रवार को यहां वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन सीओपी28 के दौरान जारी की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक तैयार करने के लिए 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु शमन प्रयासों की निगरानी की गई, जो दुनियाभर में 90 प्रतिशत से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करते हैं।वर्ष 2012 के बाद से पहली बार खाड़ी देश में आयोजित कॉप28 में हिस्‍सा ले रहे प्रतिनिधि वैश्विक स्‍तर पर जीवाश्‍म ईंधन के इस्‍तेमाल को क्रमिक रूप से चलन से बाहर करने की तारीख पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं, नयी रिपोर्ट बढ़ते तापमान के उन क्षेत्रों पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभावों का खाका खींचती है जो पहले से ही दुनिया के सबसे गर्म इलाके माने जाते हैं।

भारत अब भी तेल-गैस और पेट्रोल पर निर्भर

सीसीपीआई के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत दीर्घकालिक नीतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को पूरा करने की कोशिश कर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत की जरूरतें अब भी तेल और गैस के साथ-साथ कोयले पर पूरी तरह से निर्भर करती है। तेल-गैस और कोयला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत है। यह वायु प्रदूषण का भी अहम कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पेट्रोल-डीजल पर अपेक्षाकृत अधिक कर है। इस कर की कुछ विशेषज्ञ सराहना करते हैं, उनका कहना है कि इससे पेट्रोल-डीजल की खपत में कटौती हो सकती है। वहीं कुछ जानकार इसे राजस्व को बढ़ाने का तरीका बताते हैं।

भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रैंकिंग प्राप्त

सूचकांक में भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है, लेकिन जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा में पिछले वर्ष की तरह मध्यम रैंकिंग मिली है।सूचकांक में कहा गया है कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। सूचकांक पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा डेटा दिखाता है कि प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस श्रेणी में, देश दो डिग्री सेल्सियस से नीचे के मानक को पूरा करने की राह पर है।

पिछले साल की तुलना में बेहतर प्रदर्शन

भारत जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में इस साल पिछली बार की तुलना में एक पायदान ऊपर, सातवें स्थान पर पहुंच गया और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों में शुमार रहा। यहां वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन सीओपी28 के दौरान जारी की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। सूचकांक में कहा गया है कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है।हालांकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में थोड़ा सकारात्मक रुझान दिखता है, लेकिन यह रुझान बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।”जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) विशेषज्ञों ने बताया कि भारत स्पष्ट दीर्घकालिक नीतियों के साथ अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूरा करने की कोशिश कर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और नवीकरणीय ऊर्जा घटकों के घरेलू विनिर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।

दुनियाभर में 90 प्रतिशत से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करते हैं

रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बावजूद, भारत की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतें अभी भी तेल और गैस के साथ-साथ कोयले पर भारी निर्भरता से पूरी हो रही हैं।जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक तैयार करने के लिए 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु शमन प्रयासों की निगरानी की गई, जो दुनियाभर में 90 प्रतिशत से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करते हैं। सूचकांक में भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है, लेकिन जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा में पिछले वर्ष की तरह मध्यम रैंकिंग मिली है।

2024 में भारत को उच्च पायदान पर देखने में होगी खुशी

वसुधा फाउंडेशन के सीईओ श्रीनिवास कृष्णास्वामी का कहना है कि जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक- 2024 में भारत को इस पायदान से ऊपर देखने में खुशी होगी। भारत के साथ-साथ अन्य देशों ने भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की है।

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