x
बिजनेस

कभी अंबानी से भी अमीर था ये शख्स,बेटे ने पाई-पाई को किया मोहताज-जानें


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीःसिंघानिया परिवार में तलाक का तूफान थमने का नाम नहीं रे रहा है. कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम सिंघानिया की पत्नी नवाज मोदी ने तलाक के समझौते के तहत 75 फीसदी संपत्ति की मांग की है. इस मांग ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है. गौतम के पिता और रेमंड के पूर्व एमडी विजयपत सिंघानिया ने इस मामले में चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वे अपने बेटे के बजाय नवाज के समर्थन में हैं.

रेमंड साम्राज्य के मालिक थे विजयपत

एक समय था जब विजयपत सिंघानिया पूरे रेमंड साम्राज्य को चलाते थे। वह उस समय भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे। एक समय था वो मुकेश अंबानी से भी ज्यादा अमीर थे क्योंकि जब विजयपत रेमंड ग्रुप के मालिक थे तब अंबानी बहुत छोटे थे। लेकिन, उनकी किस्मत ने तब करवट ली जब उनके बेटे ने उन्हें घर से निकाल दिया। आज वो किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर हैं।

विजयपत सिंघानिया आज पाई-पाई को है मोहताज

‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फील्स लाइक हैवन’के दम पर देश-विदेश में अपनी पहचान बनाने वाली कंपनी रेमंड आज फिर से सुर्खियों में है। कंबल बेचने वाली छोटी सी फैक्ट्री को रेमंड जैसा ब्रांड बनाने वाले विजयपत सिंघानिया आज पाई-पाई को मोहताज है। सौ साल पुरानी कंपनी रेमंड के फाउंडर विजयपत सिंघानिया आज किराए के घर में जिंदगी गुजार रहे हैं। जिनके पास कभी अंबानी से ज्यादा संपत्ति थी। मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया से बड़ा घर था, लेकिन आज वो अभाव की जिंदगी बिता रहे हैं। उनके पास ना घर हैं और ना कार। ये हैरान करने वाली बात है कि जिस शख्स ने रेमंड को घर-घर तक पहुंचाया, उसे खुद बेघर होना पड़ा। विजयपत सिंघानिया इस बात तो स्‍वीकार कर चुके हैं कि उनके पास कुछ नहीं बचा। वो मुश्किल में जिंदगी बिता रहे हैं। उनकी कंपनी आज बुलंदियों पर है, पर विजयपत के सितारे गर्दिश में हैं। जो कभी अपने प्राइवेट प्लेन में उड़ा करते थे, आज उनके पास कार तक नहीं है। कभी 12000 करोड़ की दौलत के मालिक विजयपत सिंघानिया ने बेटे को सारी संपत्ति सौंपकर सबसे बड़ी गलती की। आज कहानी विजयपत सिंघानिया के अर्श से फर्श तक पहुंचने की…

कंबल बेचने वाली कंपनी को बनाया रेमंड ब्रांड​

रेमंड की शुरुआत सौ साल पहले मुंबई से हुई। साल 1900 में महाराष्ट्र के ठाणे में एक वुलन मिल था, जहां कंबल बनाया जाता था। बाद में वहां सेना के जवानों के लिए यूनिफॉर्म तैयार होने लगा। साल 1925 में मुंबई के एक कारोबारी ने इस मिल को खरीदा, लेकिन कुछ साल बाद ही साल 1940 में कैलाशपत सिंघानिया ने उनसे वो मिल खरीद लिया। उन्होंने मिल का नाम वाडिया मिल से बदलकर रेमंड मिल रखा। सिंघानिया परिवार, जो राजस्थान से पलायन कर कानपुर आए थे, वहां जेके कॉटन स्पिनिंग और वीविंग मिल्स कंपनी चलाते थे। उन्होंने अब रेमंड मिल का इस्तेमाल ब्रिटेन से आने वाले कपड़ों को टक्कर देने के लिए किया ।

​ऐसे बन गया ‘कंप्लीट मैन’​

कैलाश सिंघानिया ने फैब्रिक पर फोकस किया और सस्ते कपड़े बनाने शुरू किए। उन्होंने साल 1958 में मुंबई में सबसे पहला रेमंड शोरूम खोला। साल 1960 में उन्होंने विदेशी मशीनों को इंपोर्ट किया और उनसे कपड़े बनाना शुरू किया। साल 1980 में विजयपत सिंघानिया के हाथों में रेमंड की कमान सौंपी गई। उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी बखूबी संभाली और रेमंड का विस्तार करते रहे। साल 1986 में सिंघानिया ने फैब्रिक बिजनेस के साथ-साथ परफ्यूम ब्रांड पार्क एवेन्यू लॉन्च किया। उन्होंने देश के साथ-साथ विदेशों में भी भी विस्तार पर फोकस किया। साल 1990 में विजयपत सिंघानिया ने भारत के बाहर पहला शोरूम खोला।

बेटे ने घर से बाहर निकाला

विजयपत सिंघानिया अपने जीवन को बनाए रखने और जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब सिंघानिया ने अपनी कंपनी के सारे शेयर गौतम के नाम कर दिए और तभी से उनका रिश्ता टूटने लगा। विजयपथ सिंघानिया ने बताया था कि एक बार जमीन को लेकर झगड़ा इतना बढ़ गया कि गौतम ने पिता विजयपत सिंघानिया को अपने ही घर से निकाल दिया।

​बेटे को कंपनी सौंपना सबसे बड़ी गलती​

विजयपत सिंघानिया ने साल 2015 में रेमंड की कमान बेटे गौतम सिंघानिया के हाथों में सौंप दी। उन्होंने अपने सारे शेयर बेटे के नाम ट्रांसफर कर दिए। उस वक्त उन शेयरों की कीमत 1000 करोड़ रुपये थी। गौतम के हाथों में कंपनी की कमान आते ही उसने रंग दिखाना शुरू कर दिया। बाप-बेटे का रिश्ता बिगड़ने लगा। एक फ्लैट को लेकर दोनों के बीच इतना विवाद हुआ कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। फ्लैट को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि बेटे ने अपने पिता के घर से बाहर निकाल दिया। विजयपत सिंघानिया ने मुंबई के पॉश इलाके में आलीशान घर जेके हाउस बनाया, लेकिन बेटे ने उन्हें उस घर से बाहर निकालकर किराए के घर में रहने को मजबूर कर दिया।

अब रह रहे किराये के घर में

बता दें, एक वक्त था जब विजयपत सिंघानिया पूरे रेमंड एम्पायर को चलाते थे. उस वक्त वो भारत के सबसे अमीर शख्स में से एक थे. लेकिन अब वो किराये के घर में रहते हैं. उस समय वो मुकेश अंबानी से भी ज्यादा अमीर हुआ करते थे, वो इसलिए क्योंकि उस समय विजयपत रेमंड ग्रुप के मालिक थे और मुकेश अंबानी काफी छोटे थे. किस्मत ने करवट ली और बेटे ने विजयपत को घर से निकाल दिया. अच्छी जिंदगी जीने के लिए वो अभी भी संघर्ष कर रहे हैं.

​मुझे सड़क पर देखकर खुश होता है​-विजयपत सिंघानिया

बिजनेस टुडे को दिए एक इंटरव्‍यू में विजयपत सिंघानिया ने कहा कि उन्होंने अपना सबकुछ अपने बेटे को सौंप दिया, लेकिन उनके बेटे ने उनसे ही सब कुछ छीन लिया। विजयपत सिंघानिया ने कहा कि उसने मुझे कंपनी का कुछ हिस्सा देने का वादा किया था, लेकिन, बाद में उससे भी मुकर गया। उन्होंने कहा कि उनका बेटा उन्हें सड़क पर देखकर बहुत खुश होता। उन्होंने अपने बेटे गौतम सिंघानिया को गुस्सैल, लालची और घमंडी इंसान बताया। उन्होंने कहा कि बेटे को अपनी सारी संपत्ति सौंपना उनकी सबसे बड़ी गलती थी।

बहू का दिया साथ

विजयपत सिंघानिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि ‘जैसा कि मैं जानता हूं, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, तलाक के बाद पति की संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा पत्नी के पास चला जाता है। एक बहुत ही साधारण सा वकील भी उसे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ये हक दिला सकता है। फिर वो 75% के लिए क्यों लड़ रही है? गौतम कभी भी हार मानने वाला नहीं हैं क्योंकि उनका मकसद सबको खरीदना और सब कुछ खरीदना है। उसने मेरे साथ भी यही किया है। मेरे पास उससे लड़ने के लिए उतने पैसे नहीं बचे थे। उसने सब कुछ खरीद लिया। गौतन सब कुछ खरीद लेगा, मुझे नहीं लगता कि इस तरह लड़कर नवाज को कुछ खास मिलेगा।’

Back to top button