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मंकी पॉक्स क्या है? कांगो में मंकीपॉक्स के यौन संचरण की हुई पुष्टि


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नई दिल्लीः दुनिया के कई देशों में धीरे-धीरे मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे लेकर पहले ही चिंता जता चुका है. इस बीच मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. अब तक के सबसे बड़े अध्ययन के मुताबिक  मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामलों में यौन गतिविधि की वजह से संक्रमण देखा गया है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicine) में गुरुवार को प्रकाशित ये शोध तब आया है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों में वैश्विक इमरजेंसी को लेकर चर्चा हो रही है.लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में नए शोध में 27 अप्रैल से 24 जून, 2022 के बीच 16 देशों में 528 मंकीपॉक्स संक्रमणों का अध्ययन किया गया.विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में मंकीपॉक्स के यौन संचरण की घटना की पुष्टि की है, जो देश में चल रहे प्रकोप में एक महत्वपूर्ण विकास को चिह्नित करता है और अफ्रीकी वैज्ञानिकों के बीच इसे रोकने में बढ़ती कठिनाई की संभावना के बारे में चिंताएं बढ़ाता है। बीमारी।

अफ्रीका में वायरस के यौन संचरण का पहला पुष्ट उदाहरण

एक हालिया बयान में, डब्ल्यूएचओ ने खुलासा किया कि मार्च में डीआरसी का दौरा करने वाले बेल्जियम के एक व्यक्ति ने अपने आगमन के तुरंत बाद मंकीपॉक्स के लिए सकारात्मक परीक्षण किया। वह व्यक्ति, जो अपनी पहचान समलैंगिक के रूप में बताता है, पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुषों (एमएसएम) की सेवा के लिए अक्सर भूमिगत क्लबों में जाता था।इसके बाद, जिन पांच व्यक्तियों के साथ उस व्यक्ति ने यौन संपर्क किया था, उनमें भी मंकीपॉक्स के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया, जो डब्ल्यूएचओ से संबद्ध नाइजीरियाई वायरोलॉजिस्ट ओयेवले तोमोरी के अनुसार, अफ्रीका में वायरस के यौन संचरण का पहला पुष्ट उदाहरण है।

क्या है मंकीपॉक्स वायरस?

  1. मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला) है. यह वायरस बंदर के अलावा चूहा, गिलहरी और डॉर्मिस जैसे जानवरों में भी मिलता है. मंकीपॉक्स वायरस, स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है.

2.मंकीपॉक्स 1958 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद 1970 में यह 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया था. पहली बार 2003 में अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे.

3.मंकीपॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक 2017 में नाइजीरिया में हुआ था, जिसके 75% मरीज पुरुष थे. ब्रिटेन में इस वायरस से संक्रमण के मामले पहली बार 2018 में सामने आए थे.

4.चेचक के बाद मंकीपॉक्स पब्लिक हेल्थ के लिए ऑर्थोपॉक्स वायरस के रूप में उभरा है. मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट के नजदीक वाले इलाकों, जैसे मध्य और पश्चिम अफ्रीका में पाए जाते हैं.

5.इस वायरस के संक्रमण का इलाज उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6% रहा है.

6.फिलहाल मंकीपॉक्स ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के कुछ इलाकों में पाया जाता है. इस साल 6 मई को ब्रिटेन में मिला पहला मरीज नाइजीरिया से ही लौटा था.

क्या यौन संपर्क से तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर शोध के लेखक जॉन थॉर्नहिल ने एक बयान में कहा इस बात पर जोर देना काफी अहम है कि मंकीपॉक्स पारंपरिक अर्थों में यौन संचारित संक्रमण नहीं है. किसी भी तरह के निकट शारीरिक संपर्क के जरिए संक्रमण हो सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि स्टडी से पता चलता है कि अब तक के अधिकांश संक्रमण यौन गतिविधि से संबंधित हैं.

41 फीसदी संक्रमित मरीजों को एचआईवी!

यह शोध अध्ययन मंकीपॉक्स के फैलने के तरीकों और जिन समूहों में यह फैल रहा है, उनकी समझ को बढ़ाता है. नए मामलों के तेजी से पहचान में ये शोध काफी मददगार साबित हो सकता है, जिससे रोकथाम की रणनीतियों पर काम करने में मदद मिल सके. कुल मिलाकर 98 फीसदी संक्रमित लोग समलैंगिक या बाईसेक्सुअल पुरुष थे. 41 फीसदी संक्रमित मरीजों को एचआईवी (HIV) था और उनकी औसत आयु 38 साल के करीब थी.

मंकीपॉक्‍स वायरस संक्रमण कितना खतरनाक?

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरस है, जिसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है. इस वायरस के दो स्‍ट्रेन्‍स हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन. दोनों ही स्ट्रेन 5 साल से छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं. कांगो स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 10% और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 1% है.

मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के लक्षण


डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं. शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं. इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं. संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं.यदि फीवर केबाद शरीर पर रैशेज दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

मंकीपॉक्स का वायरस इंसानों में कैसे फैलता है?


विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर के संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलता है. यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. यह संक्रमण बंदर, कुत्ते और गिलहरी जैसे जानवरों या मरीज के संपर्क में आए बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है. एक संक्रमित व्यक्ति सिर्फ एक ही व्यक्ति को संक्रमण फैला सकता है.ऐ से में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और मरीज को आइसोलेट करना आसान है. विशेषज्ञों की मानें तो हाई रिस्क मंकीपॉक्स मरीजों को 21 दिन के लिए आइसोलेट करने की सलाह दी जाती है.

मंकीपॉक्‍स संक्रमण से कितना डरने की है बात?


विशेषज्ञों के मुताबिक इस वायरस का व्यवहार कोविड-19 से काफी अलग है. ऐसे में इसके महामारी में तब्दील होने की संभावना बहुत कम है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके फैलने का तरीका भी कोविड से अलग है. मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दवा और टीका दोनों ही उपलब्ध है. डॉक्टरों की मानें तो इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने के लिए 85 फीसदी कारगर है. वर्ष 2019 में मंकीपॉक्स से वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए एटेन्यूएटेड वैक्सीनिया वायरस (अंकारा स्ट्रेन) पर आधारित एक नई वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी.

मध्य और पश्चिम अफ्रीका में मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने की संभावना

मंकीपॉक्स, जो पहले मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में संक्रमित कृंतकों से मनुष्यों में फैलने वाले छिटपुट प्रकोप तक सीमित था, पिछले साल यूरोप में एमएसएम के बीच व्यापक महामारी का अनुभव हुआ, जिसमें 100 से अधिक देशों में लगभग 91,000 मामले दर्ज किए गए। डब्ल्यूएचओ ने डीआरसी में समलैंगिक संबंधों को बढ़ावा देने वाले कई विवेकशील क्लबों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला है, और इन नेटवर्कों के भीतर मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने की संभावना की चेतावनी दी है। विशेष रूप से, 12,500 से अधिक संक्रमणों और लगभग 580 मौतों के साथ डीआरसी में मौजूदा प्रकोप पहली बार देश की राजधानी किंशासा और संघर्षग्रस्त दक्षिण किवु प्रांत में फैल गया है।

टोमोरी ने कहा कि डीआरसी प्रकोप में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या कम आंकी जा सकती है, जिससे पता चलता है कि अपर्याप्त रोग निगरानी के कारण पूरे अफ्रीका में इसी तरह की घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने जोखिम वाली आबादी को भूमिगत करने के प्रति आगाह किया, क्योंकि इससे बीमारी की रोकथाम के प्रयासों में बाधा आ सकती है। प्रकोप की गंभीरता के बावजूद, टोमोरी ने अफ्रीका में टीकाकरण अभियानों की कमी पर अफसोस जताया और बढ़ती स्थिति से निपटने के लिए अधिक व्यापक दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

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