x
भारत

दुनियाभर में दूसरा सबसे ज्यादा पटाखे बनाने वाला देश है भारत,इस शहर को कहा जाता है ‘पटाखों‘ का शहर


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 7000 से अधिक शहर बसे हुए हैं। हर शहर की अपनी विशेषता और स्थान है, जिनमें से कुछ शहर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने में भी कामयाब हुए हैं। अभी दीपावली का पर्व आ गया है और भारत के कई शहरों में पटाखों का बाजार भी सज गया है। हालांकि, भारत के कुछ शहरों में प्रदूषण की वजह से पटाखों पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है। इस बीच क्या आप जानते हैं कि भारत का कौन-सा शहर पटाखों का शहर भी कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस संबंध में जानेंगे।

चीन से जुड़ा है इतिहास

क्या आप जानते हैं पटाखों की शुरुआत कब और कहां से हुई थी और कैसे यह भारत पहुंचा? इतिहासकार बताते हैं कि पटाखों की शुरुआत चीन में छठी सदी में हुई. इसकी खोज के पीछे एक दुर्घटना बताई जाती है. चीन में एक रसोइये ने जब आग में सॉल्टपीटर यानी पोटाशियम नाइट्रेट फेंका तो आग की लपटें निकली और फिर इसके साथ कोयले और सल्फर मिलाने से धमाका भी हुआ. यहीं से इसकी खोज हुई.

15वीं सदी से भारत में पटाखों का इतिहास

13वीं सदी में पटाखे चीन से बाहर निकले. वहीं भारत में पटाखों का इतिहास 15वीं सदी से भी पुराना बताया जाता है. बहरहाल आपको बता दें कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा पटाखे बनाने वाला देश चीन ही है. इसके बाद यानी दूसरे नंबर पर भारत का स्थान आता है. आपने पटाखों के ज्यादातर पैकेट्स में शिवाकाशी प्रिंटेड देखा होगा. क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों है?

अलग-अलग शहरों की अलग-अलग पहचान

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां हर शहर की अपनी एक खास पहचान बनी हुई है। कुछ शहरों को उनके खान-पान, वेशभूषा, अनोखी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासतों के लिए जाना जाता है, तो कुछ शहरों को वहां मिलने वाले स्थानीय उत्पादों की वजह से भी पहचान मिली हुई है।इनमें से कुछ शहर ऐसे भी हैं, जो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान को मजबूत बनाने में कामयाब हुए हैं और अब उन शहरों को उनके मूल नाम के अलावा उपनाम से भी जाना जाता है। इससे शहरों के प्रति देशी- विदेशी सैलानियों का आकर्षण बढ़ता है और शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे अंततः रोजगार भी बढ़ता है।

किस शहर को कहा जाता है पटाखों का शहर

भारत के दक्षिण में स्थित तमिलनाडु राज्य के विरुदुनगर जिले में स्थित शिवकाशी शहर को भारत में पटाखों का शहर भी कहा जाता है। देशभर में दीपावली और अन्य शुभ अवसर पर दिखने वाली पटाखे की रोशनी और सुनाई देनी वाली आवाजों के लिए भारत के इस शहर को गढ़ कहा जाता है। दरअसल शिवाकाशी दक्षिण भारत में तमिलनाडु का एक शहर है, जो चेन्नई से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर है. देश में सबसे ज्यादा पटाखे इसी शहर में बनाए जाते हैं. शिवाकाशी में पटाखों की करीब 800 फैक्ट्रियां हैं, जहां देश के कुल उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा तैयार किया जाता है. पटाखा उद्योग से यहां लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है.

शिवाकाशी के नडार ब्रदर्स का बड़ा नाम

पटाखा उद्योग में शिवाकाशी के नडार ब्रदर्स का बड़ा नाम है. षणमुगम नडार और अय्या नडार ने वर्ष 1922 में कोलकाता से माचिस बनाने की कला सीखी और फिर अपने शहर शिवाकाशी लौट आए. यहां दोनों ने पहले माचिस की एक फैक्ट्री लगाई. 4 साल बाद 1926 में दोनों भाई अलग हो गए और फिर पटाखों का निर्माण शुरू किया. आज श्री कालिश्वरी फायर वर्क्स और स्टैंडर्ड फायर वर्क्स के नाम से दोनों भाइयों की कंपनियां देश की दो सबसे बड़ी पटाखा बनाने वाली कंपनियां हैं. यहां निर्मित पटाखे अन्य देशों में भी निर्यात किए जाते हैं. भारत में पटाखों का कारोबार 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जाता है.

क्यों कहा जाता है पटाखों का शहर

भारत के शिवकाशी शहर को पटाखा उद्योग की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। यहां लगभग 8000 से अधिक छोटे-बड़े कारखाने मौजूद हैं, जिनमें करीब 90 फीसदी पटाखों का ही उत्पादन होता है।

तीन उद्योगों का एक शहर नाम से मशहूर

आपको बता दें कि भारत का शिवकाशी शहर को तीन उद्योगों का एक शहर भी कहा जाता है। दरअसल, यहां पर प्रमुख रूप से तीन उद्योग स्थापित हैं, जिनमें से पहला उद्योग पटाखों के निर्माण से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा उद्योग छपाई या ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस का है और तीसरा उद्योग सेफ्टी माचिस से जुड़ा हुआ है।माचिस के उत्पादन में भारत का यह शहर करीब 80% योगदान देता है। वहीं, पटाखों के उत्पादन में यह शहर 90 फीसदी योगदान देता है। इसके अलावा प्रिंटिंग सॉल्यूशन में भारत के इस शहर का योगदान करीब 60% तक है।यही वजह है कि इस शहर को तीन उद्योगों का शहर भी कहा जाता है। यहां पहुंचने पर आपको प्रिंटिंग, पटाखें और माचिस प्रमुख रूप से देखने को मिल जाएंगी।

शिवकाशी का इतिहास

शिवकाशी के इतिहास के बात करें, तो इस शहर का इतिहास करीब 600 साल से अधिक पुराना बताया जाता है। दरअसल, 1428 और 1460 ई के बीच मदुरै के तत्कालीन महाराज राजा हरिकेसरी परक्कीरामा ने यहां के दक्षिण भाग पर शासन किया था।ऐसा माना जाता है कि वह दक्षिण मदुरै में भगवान शिव का मंदिर बनना चाहते थे। इसके लिए वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पहुंचे और वहां शिव की पूजा की और वहां से एक शिवलिंग लेकर यहां की ओर चल दिए।इस दौरान लौटते समय वह एक पेड़ के नीचे बैठ गए, जहां से शिवलिंग को ला रही उनकी गाय ने आगे जाने से मना कर दिया। इसके बाद यहीं पर उन्होंने शिवलिंग स्थापित किया है और इसके बाद इस शहर का नाम शिवकाशी पड़ गया।

भारतीय सेना के साथ इसके संबंध

इस औद्योगिक शहर की एक और खूबी है और वो है भारतीय सेना के साथ इसके संबंध. यहां से सेना के लिए अस्त्र-शस्त्र और तोपखानों के लिए खास तरह से बनाए गए विकल्प दिए जाते हैं. मिसाल के तौर पर यहां से सेना के लिए तूफान, बारिश, बर्फ में भी काम करने वाली माचिस जाती है. प्रैक्टिस के लिए बम भी शिवकाशी में बनाए जाते हैं.

आतिशबाजी उद्योग को प्रतिबंधित व्यवसाय की श्रेणी में है

तमाम खूबियों और विश्व में आतिशबाजी निर्माण में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद यहां से पटाखे दूसरे देशों को नहीं जाते हैं. इसकी एक वजह है पर्याप्त स्टोरेज न होना. शिपिंग की सुविधा भी उतनी अच्छी नहीं, जितनी बाहरी देशों की मांग रहती है. चूंकि डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने आतिशबाजी उद्योग को प्रतिबंधित व्यवसाय की श्रेणी में रखा है, इसी वजह से पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोजिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (पीईएसओ) ने अब तक इसके निर्यात के लिए किसी को भी लाइसेंस नहीं दिया है. दूसरे किसी देश को भी भले ही वो यूनाइटेड स्टेट्स हो, स्पेन, जर्मनी या फिर चीन- किसी को भी पटाखा निर्यात की इजाजत नहीं है. यानी चीन से जो पटाखे और आतिशबाजियां ली जा रही हैं, वो भी अवैध की श्रेणी में आती हैं.

Back to top button