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साइटिका – लक्षण, कारण, इलाज एवं अन्य प्रमुख बातें-जाने


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नई दिल्लीः इंसान के जीवन में किसी ना किसी तरह का दर्द होना आम बात है। यह एक ऐसी स्थिति है जो हमारे दिनचर्या के कामों को में बाधा डाल सकती है। दर्द भी कई प्रकार का होता है। आमतौर पर हमारे अंदर इसे सहने की क्षमता होती है। लेकिन कुछ मौके ऐसे होते हैं जो हमें बुरी तरह प्रभावित करते हैं। आज मेवाड़ हाॅस्पिटल की टीम आपको साइटिका के बारे में परिचित कराएगी जो कि एक आम समस्या मानी जाती है।
साइटिका क्या है?

साईटिका को मुख्य रूप में पैरों में होने वाला दर्द माना जाता है

साईटिका को मुख्य रूप में पैरों में होने वाला दर्द माना जाता है। ऐसा साईटिक नर्व में जलन, दबाव या किसी अन्य कारण से होने लगता है। आपको बताते चलें साइटिक नर्व (sciatic nerve) के बारे में, ये हमारे शरीर की सबसे लंबी, मोटी, और बेहद महत्त्वपूर्ण नर्व (तंत्रिका, नस) में से एक है जो कि कमर के निचले हिस्से से होती हुई कूल्हे के रास्ते दोनों पैरों में जा पहुंचती है। दर्द की तीव्रता हल्के से लेकर बहुत तेज़ भी हो सकती है। कई बार तीव्र और जलन वाला दर्द इंसान को परेशान कर देता है। आमतौर पर यह दर्द एक तरफ के पैर में ही पाया जाता है। लेकिन मुमकिन है कि इसका प्रभाव दोनों पैरों में देखने को मिले।

सायटिका के लक्षण

कुछ सबसे सामान्य लक्षण जो साइटिका दर्द के रोगियों को अनुभव हो सकते हैं वे इस प्रकार हैं:

पीठ के निचले हिस्से के एक या दोनों तरफ क्रोनिक दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन। कूल्हे या पिछले हिस्से में दर्द भी आम है।

पैरों में तेज दर्द जो बैठने या खड़े होने पर बढ़ जाता है।

पैरों में सुन्नता और कमजोरी महसूस होना।

पैरों, टाँगों और पंजों में झुनझुनी या 'पिन और सुई' जैसी अनुभूति।

दुर्लभ मामलों में, कॉडा इक्विना के कारण मूत्राशय पर नियंत्रण खो सकता है।

ऐसी स्थितियों में जहां आप साइटिका के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं और वे लंबे समय तक बने रहते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाने से आपके लक्षणों को तेजी से कम करने में मदद मिलेगी।

कैसा होता है साइटिका में होने वाला दर्द?

कुछ मौकोें पर यह दर्द इतना परेशान कर देने वाला हो जाता है कि व्यक्ति को किसी जगह से दोबारा उठने का मन नहीं करता। इस प्रकार का दर्द विभिन्न तरह से हो सकता है। यानि कि यह निरंतर रूप से आपको परेशान कर सकता है। या फिर ये समय – समय पर अपना प्रभाव डाल कर गायब हो जाता है। और कमर के मुकाबले साईटिका से पीड़ित होने वाले व्यक्ति को पैरों में ज़्यादा दर्द महसूस होता है। इस तरह का दर्द उठते समय या फिर ज़्यादा लंबे समय तक बैठने की वजह से बैचेन कर सकता है। कभी-कभी तो इसका प्रभाव छींकते या खांसते वक्त भी देखने को मिलता है।

साइटिका को बढ़ावा देने वाली स्थितियां

कई ऐसी परिस्थतियां हैं जिनके कारण साईटिका होने का खतरा बढ़ जाता है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैंः-

  1. डायबिटीज़- इस प्रकार की बीमारी के कारण नर्व डैमेज होने की आंशका बढ़ जाती है।
  2. धुम्रपान- जो लोग सिगरेट आदि का सेवन करते हैं, उनके स्पाइनल डिस्क (spinal disc) की बाहरी सतह को नुकसान पहुंच सकता है।
  3. उम्र- विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को इस तरह की समस्या हो सकती है। लेकिन ज़्यादातर यह ढलती उम्र वाले लोगों के साथ होता है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि ज़्यादा उम्र में अंगों को नुकसान पहुंचने की संभावना अत्यधिक हो जाती है।
  4. मोटापा- शरीर में ज़्यादा वज़न होने के कारण हमारे पीठ की मांसपेशियों का कार्य और भी बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ मुश्किलें का सामना करना पड़ सकता हैं, जैसे कि दर्द, पीठ में तनाव आदि।
  5. अन्य- जो व्यक्ति ज़्यादा वज़न उठाते हैं या ज़्यादा देेर तक बैठे रहते हैं, उन्हें भी सतर्क रहने की ज़रूरत है। क्योंकि ऐसे लोगों को भी साईटिका की समस्या हो सकती है।

साइटिका का निदान

आपका डॉक्टर कटिस्नायुशूल का निदान कैसे करेगा? आपके कटिस्नायुशूल दर्द का इलाज शुरू करने से पहले , आपका डॉक्टर प्रारंभिक जांच शुरू करेगा, जहां वे आपकी जीवनशैली और आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछताछ करेंगे। वे आपकी रीढ़ और पिंडली की मांसपेशियों की स्थिति देखने के लिए शारीरिक परीक्षण करेंगे। वे यह भी जांचते हैं कि वे कितने मजबूत हैं और वे उस तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं, जिस तरह से उन्हें करना चाहिए।

फिर वे अधिक गहन चिकित्सा जांच के साथ आगे बढ़ेंगे। इनमें से कुछ का उल्लेख नीचे दिया गया है:

एक्स-रे: यह आपकी हड्डियों की एक छवि लेगा। यह डॉक्टर को आपके रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में किसी भी असामान्य वृद्धि का पता लगाने और ट्यूमर, डिस्क फ्रैक्चर या सूजन की जांच करने में मदद करेगा।

चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) और कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन : ये प्रक्रियाएं संयुक्त रूप से आपके शरीर की हड्डी की संरचना और नरम ऊतकों की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने में मदद करेंगी। यह डिस्क हर्नियेशन का पता लगाने में भी मदद करेगा और दिखाएगा कि तंत्रिका का कोई हिस्सा संकुचित है या नहीं। 

इलेक्ट्रोमायोग्राफी: यह परीक्षण यह पता लगाने में मदद करेगा कि आपकी कटिस्नायुशूल तंत्रिकाएं विद्युत चुम्बकीय आवेगों को कितनी अच्छी तरह से ले जाती हैं।

साइटिका दर्द के लिए डॉक्टर से कब मिलें?

यदि आप मांसपेशियों में दर्द या दर्द का अनुभव कर रहे हैं जो एक सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है, समय के साथ बिगड़ता जाता है, तो जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलने पर विचार करें।

जमीनी स्तर

साइटिका दर्द एक सामान्य घटना है और एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, यह लगभग 10% से 40% आबादी को प्रभावित करता है। लेकिन घर पर उचित देखभाल और चिकित्सीय मार्गदर्शन से, आप अपने लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं।

शीघ्र पता लगने से उचित उपचार योजना तैयार करने में मदद मिलती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके उपचार के परीक्षण पहलू का अच्छी तरह से ध्यान रखा गया है, मेट्रोपोलिस लैब्स पर जाने पर विचार करें। आप स्वास्थ्य जांच करवा सकते हैं और साथ ही उपलब्ध परीक्षण प्रोफाइलों में से वह विकल्प चुन सकते हैं जो आपकी चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो। परीक्षण शेड्यूल करने के लिए आज ही मेट्रोपोलिस जाएँ!

साइटिका में स्वयं की देखभाल के उपाय

साईटिका होने पर आप बर्फ या गर्म सेक की सहायता ले सकते हैं। बर्फ के सेक के माध्यम से सूजन और दर्द में आराम मिल सकता है। जिस जगह आप असहजता महसूस कर रहे हैं, उस जगह पर बर्फ के सेक को लगभग 20 मिनिट तक लगाए रखें। ऐसा दिन में कुछ बार करने से आराम मिलने की संभावना है। उसके बाद गर्म सेक की मदद लें और हीटिंग पैड के माध्यम से उसे भी उतने ही समय के लिए लगाए रखें। अगर इसके बावजूद भी दर्द से छुटकारा नहीं मिलता तो दोनों पैक को चेन्ज करते रहें और यदि दोनों में कोई एक ही फायदा दे रहा है तो उसे ही इस्तेमाल में लें। लेकिन यह बेहतर होगा कि इस तरह की गतिविधियों को अपनाने से पहले आप डाॅक्टर या फिज़िकल थैरेपिस्ट की सलाह लें।

याद रखें


यदि कोई व्यक्ति पीठ में मोच, हर्निएटेड डिस्क या फिर लम्बार डीजनरेटिव डीजीज (lumbar degenerative disease) से ग्रस्त है, तो ऐसी स्थिति में साईटिका अस्थाई रहेगा। लेकिन फिर भी यह बता पाना मुश्किल है कि आखिर कितने दिन या हफ्ते तक इसका प्रभाव रहेगा। कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक साईटिका का दर्द आमतौर पर चार से छः हफ्तों में बेहतर होना शुरू हो जाता है। पर यदि बात की जाए सुन्नता और कमज़ोरी की, इसे बेहतर होने में एक लंबा समय लग सकता है।
कभी कभी ऊपर बताई गई अवस्थाओं के कारण साईटिका भयावह स्थिति में भी आ सकता है। कुछ मौके ऐसे भी होते हैं जहां बिना सर्जरी की सहायता के दर्द में आराम मिल ही नहीं पाता। यदि कभी आपको कोई चोट लगे या किसी तरह के एक्सीडेन्ट के कारण दर्द महसूस हो रहा हो, तो शीघ्र ही मेडिकल सहायता लें।

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