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विज्ञान

आज चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन में डाल लें तुलसी के पत्ते,जानें-आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व


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नई दिल्लीः साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2023 in India) 28-29 अक्‍टूबर की मध्‍य रात्रि में लगने जा रहा है. ये ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा. ऐसे में सूतक काल और इसके नियम भी यहां लागू होंगे. सूतक काल से लेकर ग्रहण तक के समय को को दूषित काल माना जाता है क्‍योंकि इस दौरान वातावरण में कई नकारात्‍मक तत्‍व मौजूद रहते हैं. यही वजह है कि सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी का पत्‍ता तोड़कर खाने-पीने की चीजों में डाल दिया जाता है. लेकिन क्‍या कभी आपने ये सोचा है कि इन चीजों को सुरक्षित रखने के लिए तुलसी के पत्‍ते का इस्‍तेमाल ही क्‍यों‍ किया जाता है.

आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

तुलसी के पत्‍ते को लेकर धार्मिक मान्‍यता है कि जिन चीजों में तुलसी का पत्‍ता पड़ जाता है, उन चीजों में किसी भी तरह का नकारात्‍मक प्रभाव नहीं होता. तुलसी को दोषों का नाश करने वाला माना गया है, इसलिए जिस चीज में तुलसी का एक भी पत्‍ता मौजूद हो, वो चीज अशुद्ध नहीं हो सकती.वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो तुलसी के पत्ते में पारा और ऐसे आर्सेनिक गुण मौजूद होते हैं, जो वातावरण में मौजूद नकारात्‍मक किरणों के प्रभाव से चीजों को दूषित नहीं होने देते. आयुर्वेद में तुलसी को एंटी-बैक्‍टीरियल माना गया है. ऐसे में तुलसी के पत्‍ते खानपान की चीजों को वातावरण में मौजूद बैक्‍टीरिया आदि के प्रभाव से बचाते हैं.

प्रेगनेंट महिलाओं रखे ये ध्यान

सूतक काल में पूजा-पाठ करने की मनाही होती है, हालांकि मानसिक जाप कर सकते हैं. इस समय में प्रेगनेंट महिलाओं को कैंची, चाकू, मशीन, सुई वगैरह किसी भी तरह की नुकीली चीजों के इस्‍तेमाल पर पाबंदी होती है. प्रेगनेंट महिलाओं को सूतक लगने के बाद से लेकर ग्रहण काल तक बाहर निकलने की मनाही होती है. ऐसा इसलिए ताकि बच्‍चे पर हानिकारक किरणों का दुष्‍प्रभाव न पड़े. सूतक काल शुरू होने से ग्रहण काल खत्‍म होने तक खाना बनाने और खाने के लिए मना किया जाता है. हालांकि बुजुर्ग और प्रेगनेंट महिलाओं पर खाने पीने को लेकर कोई मनाही नहीं होती. खानपान की तमाम चीजों में तुलसी के पत्‍ते डालने की सलाह दी जाती है. तुलसी का पत्‍ता सूतक शुरू होने से पहले ही डाल देना चाहिए और सामान को ढक कर रख देना चाहिए.

सूतक समय

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक चंद्रग्रहण 28 और 29 अक्‍टूबर की मध्‍यरात्रि में लगने जा रहा है. खगोल शास्त्रियों के मुताबिक चंद्र ग्रहण आज यानी 28 अक्‍टूबर को देर रात 1 बजकर 05 बजे शुरू होगा और 2 बजकर 24 मिनट पर खत्म हो जाएगा. ये ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है. साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए यहां सूतक के नियम भी लागू होंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भी चंद्र ग्रहण लगता है तो उससे 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस हिसाब से आज शाम 4 बजकर 5 मिनट से सूतक काल शुरू हो जाएगा. इस दौरान कई नियमों का पालन करना जरूरी होगा वरना अनर्थ झेलना पड़ सकता है.

सूतक काल के नियम

सूतक काल (Chandra Grahan 2023 Sutak Kaal) शुरू होने से लेकर ग्रहण खत्‍म होने तक खाना बनाने या खाना वर्जित होता है. हालांकि बीमार, बच्चे और बुजुर्ग लोग भोजन कर सकते हैं. सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सुईं, चाकू, कैंची, मशीन समेत किसी भी तरह की नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस अवधि के दौरान घर से बाहर निकलने और पूजा-पाठ करने भी मनाही होती है. हालांकि आप अपने मन में जाप जरूर कर सकते हैं.

ग्रहण में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक जब भी कोई ग्रहण लगता है तो जातकों को उसका नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ता है. तुलसी (Chandra Grahan 2023 and Tulsi Use) को इस तरह के नकारात्मक प्रभावों का खात्मा करने का रामबाण माना जाता है. कहते हैं कि अगर किसी भी चीज में तुलसी का एक भी पत्ता डाल दिया जाए तो वह चीज कभी भी अशुद्ध नहीं हो सकती. दूसरी बात ये है कि तुलसी में तमाम एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो खाने-पीने की चीजों को बैक्टीरिया से दूषित होने से बचाते हैं. इसलिए ग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ते इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

तुलसी पत्ते पर आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक तर्क

ज्योतिष शास्त्री संजय शुक्ला के अनुसार सनातन धर्म में तुलसी का पत्ता बेहद पवित्र माना गया है. तुलसी के बारे में पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण एवं गरुड़ पुराण में कई विशेषताएं वर्णित है. यह जिस भी वस्तु में डाला जाता है, उसमें निहित नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं, यानी जिस चीज में तुलसी का पत्ता मौजूद होता है, उससे चीज अशुद्ध नहीं होने पाती. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी माना गया है कि तुलसी के पत्ते में पारा और ऐसे आर्सेनिक गुण उपस्थित होते हैं, जो वातावरण में व्याप्त प्रदूषित वायु अथवा किरणों को शुद्ध करते हैं, इसके अलावा भी तुलसी पत्ते में ऐसे कई औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं. इसलिए ग्रहण अथवा सूतक काल में खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी का पत्ता डाला जाता है. इससे खाने-पीने की वस्तुएं ग्रहण काल के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रहती हैं.

सूतक लगने से पूर्व तोड़ लें तुलसी पत्ता

ग्रहण काल अथवा अमावस्या तिथि में तुलसी को स्पर्श करना भी वर्जित है, क्योंकि इसलिए 28 तारीख को सूतक काल (सायंकाल 04.02 बजे) लगने से पूर्व ही तुलसी पत्ता तोड़ कर रख ले, और सूतक लगने से पूर्व घर में बने हुए खाद्य पदार्थ अथवा पेय पदार्थों (दूध, दही आदि) में तुलसी पत्ता डालकर उसे अच्छे से ढक कर रखें, ताकि ग्रहण काल की नुकसानदेह किरणें खाद्य पदार्थों को प्रदूषित नहीं करेंग्रहण काल में तुलसी से जुड़े आवश्यक नियम.चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी की ना पूजा करें और ना ही इसे स्पर्श करें.ग्रहण काल में तुलसी पर जल भी नहीं चढ़ाएं.तुलसी के सामने दीप प्रज्वलित नहीं करें,ग्रहण काल में तुलसी को हाथ लगाना अशुभ माना जाता है.

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