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Mission GaganYaan: भारत पहली बार Space में भेजेगा इंसान,अंतरिक्ष पर भारत के बढ़ते कदम


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नई दिल्ली – गगनयान भारत सरकार और इसरो का वो प्रोजेक्ट है जिसकी मदद से भारत स्पेस टेक्नोलॉजी में उस मुकाम तक पहुंच जाएगा, जहां तक फिलहाल दुनिके सिर्फ गिने चुने देश पहुंचे हैं. सीधी भाषा में कहें तो चंद्रयान की सफलता के बाद पूरी दुनिया की नजर भारत के इस प्रोग्राम पर गड़ी हुई है. अगर ये मिशन भी सफल रहा तो भारत दुनिया की स्पेस टेक्नोलॉजी में एक बड़ा प्लेयर बन कर उभरेगा. चलिए आज आपको बताते हैं कि 21 अक्टूबर को हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने वाला गगनयान का क्रू-मॉड्यूल कितना बेहतरीन है.

इंडियन एयरफोर्स का होगा इसमें अहम योगदान

गगनयान मिशन में इसरो के साथ इंडियन एयरफोर्स भी लगी है. इसके एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर को इसके लिए तैयार किया जा रहा है. फिलहाल इन लोगों को बैंगलुरु में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जा रही है. आपको बता दें, इसरो फिलहाल गगनयान के क्रू मॉड्यूल का हाई-अल्टीट्यूड ड्रॉप टेस्ट करवा रहा है. इसके साथ कुछ ऐसे भी टेस्ट किए जा रहे हैं, जिसमें क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट से अलग होकर 2 किमी दूर जाकर गिरेगा. इसरो का कहना है कि सबसे पहले उन्होंने ड्रैग पैराशूट का सफल परीक्षण अगस्त में किया था.

फ्लाइट के तीन हिस्से होंगे

गगनयान Test Vehicle Abort Mission-1 में फ्लाइट के तीन हिस्से होंगे। अबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम.ISRO के इस मिशन को गगनयान टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि एबॉर्ट टेस्ट का मतलब है कि समस्या के समय एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल सुरक्षित नीचे ले आए.

कुछ और बाते

मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा जहां तीन दिनों तक अंतरिक्ष यात्री धरती की कक्षा के चक्कर लगाएंगे.इसके बाद इन अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित धरती पर लैंड कराया जाएगा. गगनयान में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाले कैप्सूल को बंगाल की खाड़ी में वापस लैंड किया जाएगा जहां भारतीय नौसेना इन्हें ढूंढकर सुरक्षित बचाएगी. यह पूरी तकनीक स्वदेशी है और इसरो के साथ मिलकर भारत की तकनीकी कंपनियों ने इन्हें विकसित किया है. इसकी सफलता भविष्य में भारत की स्वदेशी स्पेस नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, रिमोट ड्राइविंग, रिमोट नेविगेशन जैसी स्वदेशी तकनीक में नई इंडस्ट्रीज के द्वार खुलेंगे. शनिवार (21 अक्टूबर) को इस मिशन की पहली टेस्‍ट उड़ान के तहत क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजा जा रहा है जिसे वापस समुद्र में उतारा जाएगा. उड़ान के दौरान सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, एनर्जी आदि पहलुओं की जांच होगी जो अंतरिक्ष में मानव भेजने की चुनौतियों को समझने में मददगार होंगे.

पीएम मोदी ने साल 2018 किया एलान

PM नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में दिए अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान गगनयान मिशन की घोषणा की थी.आशा है कि मिशन 2024 के अंत या फिर 2025 की शुरुआत में पूरा होगा. गगनयान मिशन की सफलता से देश के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के बारे में जानने, उसका अध्ययन करने और वहां के वातावरण को समझने का शानदार मौका मिलेगा,Gaganyaan Mission की सफलता के बाद चीन, अमेरिका और रूस के बाद भारत ये कारनामा करने वाला चौथा मुल्क बनकर उभरेगा.

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