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Navratri 2023 Day 4 : नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्‍मांडा की पूजाविधि,जानें महत्व, मंत्र और भोग रेसिपी


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नई दिल्लीः नवरात्र का पर्व हर जगह बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है. माना जाता है कि मां के कुष्मांडा (Maa Kushmanda) रूप की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है, आज यानी नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। देवी मां के इस रूप को पूजा करने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है। माता कूष्मांडा को अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है आइए जानते हैं मां को प्रसन्न करने के लिए भोग में क्या लगाएं।

मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कुष्मांडा की मुस्कान की एक झलक ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया। इन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप इस त्योहार को मना रहे हैं,नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्‍मांडा की पूजा की जाती है और उनके भोग में पेठा अर्पित किया जाता है। नवरात्रि का चौथा दिन समृद्धि और शांति का प्रतीक है। इस दिन देवी कुष्मांडा को पीले रंग के फूल या चमेली का फूल अर्पित करना चाहिए। माता को श्रृंगार में सिन्दूर, काजल, चूड़ियां, बिंदी, बिछिया, कंघी, दर्पण और पायल भी अर्पित कर सकते हैं। मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगा सकते हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना करने के लिए सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले वस्त्र पहनें. पूजा के दौरान देवी मां को पीला चंदन, कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाएं और एक पान के पत्ते को ओम बृं बृहस्पतये नमः मंत्र बोलते हुए माता को चढ़ाएं. इस बीच ॐ कूष्माण्डायै नम: मंत्र का जाप करें और पूजा करने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें.

नवरात्र के चौथे दिन का महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्‍मांडा स्‍वरूप की पूजा होती है। मां कुष्‍मांडा अष्‍टभुजाओं वाली देवी कहलाती हैं। मान्‍यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्‍मांडा की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्‍तों को सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। मां कुष्‍मांडा को लेकर ऐसी मान्‍यता है पढ़ने वाले छात्र यदि कुष्‍मांडा देवी की पूजा करें तो उनके बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है। दुर्गा माता के चौथे रूप में मां कुष्‍मांडा भक्‍तों को रोग, शोक, विनाश से मुक्‍त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।

ऐसे पड़ा मां का नाम कुष्‍मांडा

देवी कुष्‍मांडा को लेकर भगवती पुराण में बताया गया है कि मां दुर्गा मां के चौथे स्‍वरूप की देवी ने अपनी मंद मुस्‍कान से ब्रह्मांड की उत्‍पन्‍न किया था, इसलिए इनका नाम कुष्‍मांडा पड़ा। माना जाता है जब सृष्टि के आरंभ से पहले चारों तरफ सिर्फ अंधेरा था। ऐसे में मां ने अपनी हल्‍की सी हंसी से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। वह सूरज के घेरे में रहती हैं और उन्‍हीं के अंदर इतनी शक्ति है कि वह सूरज की तपिश को सह सकती हैं।

मां कुष्‍मांडा का स्‍वरूप

मां कुष्‍मांडा का स्‍वरूप बहुत ही दिव्‍य और अलौकिक माना गया है। मां कुष्‍मांडा शेर पर सवारी करते हुए प्रकट होती हैं। अष्‍टभुजाधारी मां, मस्‍तक पर रत्‍नजड़ित मुकुट धारण किए हुए हैं अत्‍यंत दिव्‍य रूप से सुशोभित हैं। मां कुष्‍मांडा ने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र, गदा, धनुष, बाण और अक्षमाला धारण किया है। मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।

मां कुष्‍मांडा का भोग

मां कुष्‍मांडा को कुम्‍हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए। आप देवी की पूजा में सफेद समूचे पेठे के फल की बलि चढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही देवी को मालपुए और दही हलवे का भी भोग लगाना अच्‍छा होता है।

पीले रंग का महत्‍व

मां कुष्‍मांडा की पूजा में उपासकों को व्रत करने वाले लोगों को पीले रंग के वस्‍त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए। मां को पीला रंग सबसे प्रिय है। मां की पूजा में पीले वस्‍त्र, पीले फल, पीली मिठाई और पीले फूल भी अर्पित करने चाहिए।

मां कुष्‍मांडा की पूजाविधि

मां कुष्‍मांडा की पूजा के लिए नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और मां कुष्‍मांडा का व्रत करने का संकल्‍प करें। पूजा स्‍थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्‍थापित करें और मां कुष्‍मांडा का स्‍मरण करें। पूजा में पीले वस्‍त्र फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत आदि अर्पित करें। मां के इस स्‍वरूप की पूजाने करने अनाहत चक्र जागृत होता है। सारी सामिग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं। सबसे आखिर में क्षमा याचना करें और ध्‍यान लगाकर दुर्गा सप्‍तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मां कुष्मांडा के मंत्र

ॐ कूष्माण्डायै नम:

ध्यान मंत्र – वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

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