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आईआईटी कानपुर में साहित्य महोत्सव अक्षर आरंभ,संगीत, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा


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नई दिल्ली – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान Kanpur में तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव अक्षर का दूसरा संस्करण 15 अक्टूबर से शुरू होगा. यह जानकारी Saturday को शिवानी केंद्र समन्वयक एवं डीन ऑफ रिसोर्स एण्ड अलम्नाइ आईआईटी Kanpur के प्रोफेसर कांतेश बलानी ने दी.उन्होंने बताया कि इस महोत्सव का आयोजन शिवानी सेंटर फॉर द नर्चर एंड रीइंटीग्रेशन ऑफ हिंदी एंड अदर इंडियन लैंग्वेजेज, राजभाषा प्रकोष्ठ, एप्रिसिएशन एंड प्रमोशन ऑफ आर्ट, कल्चर एंड हेरिटेज (एप्रोच) सेल ऑफ आईआईटी कानपुर, हिंदी साहित्य सभा आईआईटी Kanpur की एक student संस्था और गाथा- एसआईआईसी आईआईटी Kanpur की एक इनक्यूबेटेड कंपनी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.

हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संचार

शिवानी सेंटर का उद्देश्य हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संचार करते समय भाषा रचनात्मकता को बढ़ावा देना और गर्व और आत्मविश्वास पैदा करना है.इसका इरादा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम, कार्यशालाएं, पुस्तक मेले आदि आयोजित करने का है.शिवानी सेंटर की स्थापना मुक्तेश पंत ने की थी, जिन्होंने 1976 में आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की उपाधि प्राप्त की थी.इस केंद्र की स्थापना उनकी दिवंगत मां गौरा पंत, जिन्हें उनके उपनाम ‘शिवानी’ से जाना जाता है, कि स्मृति में ‘मिक्की और विनीता चैरिटेबल फाउंडेशन’ के अनुदान से की गई थी, जो 20वीं सदी के सबसे लोकप्रिय हिंदी लेखकों में से एक थी.

कई प्रसिद्ध कवि और कलाकार

कई प्रसिद्ध कवि और कलाकार आईआईटी परिसर समुदाय को साहित्य की विभिन्न शैलियों, कहानियों, कविताओं और नाटकों की सराहना करने का अवसर प्रदान करेंगे,इसके अलावा, अक्षर कार्यक्रम के दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक शाम, विचारोत्तेजक पैनल चर्चा, एक कथक प्रदर्शन, रवीन्द्र संगीत, कबीर – भजन और कई अन्य प्रदर्शन प्रस्तुत किए जाएंगे,कुछ प्रतिष्ठित हस्तियों में बॉलीवुड के फिल्म निर्माता, निर्देशक, आर बाल्की, कोमल नाहटा, प्रसिद्ध व्यापार विश्लेषक नयनी दीक्षित, बॉलीवुड अभिनेत्री और श्री पुष्पेश पंत, अकादमिक, खाद्य समीक्षक और इतिहासकार, अशोक चक्रधर, लेखक और कवि फरहत एहसास, अग्रणी समकालीन उर्दू कवि शारिक कैफी, प्रसिद्ध उर्दू कवि भाग्यश्री देश पांडेय और कई अन्य शामिल हैं.

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