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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस : आखिर देश में छात्राओं के एजुकेशन की क्या स्थिति है


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नई दिल्ली –दुनिया भर में आज यानी कि 11 अक्टूबर, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 मनाया जाएगा। इस मौके देश सहित अन्य मुल्कों में लड़कियों को उनके अधिकारों और बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए उन्हें जागरुक करने के साथ-साथ कई अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इनमें, गर्ल्स चाइल्ड एजुकेशन, करियर और उनकी हेल्थ सहित अन्य टॉपिक भी शामिल हैं। इसी मौके पर, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर देश में छात्राओं के एजुकेशन की क्या स्थिति है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की शिक्षा का स्तर किया है तो आइए डालते हैं एक नजर।

क्यों मनाया जाता है

हर वर्ष 11 अक्टूबर का दिन अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन पर परिवार, समाज और देश के लिए बालिकाओं के महत्व को दर्शाया जाता है। इसके साथ ही यह संदेश दिया जाता है कि बालिकाओं की क्षमताओं और शक्तियों को पहचान कर उनके लिए दिल खोलकर अवसर मुहैया कराने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि दुनियाभर की बालिकाओं के आवाज का सशक्त करना है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है,जिसका सामना दुनिया भर में लड़कियां करती हैं, जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है।

कब हुई अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत?

एक गैर सरकारी संगठन ने प्लान इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के रूप में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की। एनजीओ ने एक अभियान चलाया, जिसका नाम ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं।’ रखा गया। इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया।कनाडा सरकार ने एक आम सभा में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। साल 2011 में 19 दिसंबर के दिन संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 11 अक्तूबर के दिन बालिका दिवस मनाने का फैसला लिया और 11 अक्तूबर 2012 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक गैर-सरकारी संगठन ‘प्लान इंटरनेशनल’ प्रोजेक्ट के रूप में की गई। इस संगठन ने ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ नाम से एक अभियान की भी शुरुआत की थी। इसके बाद इस अभियान को इंटरनेशनल लेवल पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया। फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना। इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day ) 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था ‘बाल विवाह को समाप्त करना’

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का उद्देश्य बालिकाओं को जागरूक करना है। अपने अधिकारों के लिए, अपनी सुरक्षा और बराबरी के लिए। जिससे वो आने वाली सभी चुनौतियों और परेशानियों का डटकर मुकाबला कर पाएं। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है, जिसका सामना दुनिया भर में लड़कियां करती हैं, जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है।

बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य

इस खास दिन मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी शक्ति को बढ़ावा देना। बालिकाओं के जीवन को विकसित करना और लोगों को महिलाओं की चुनौतियों के प्रति जागरूक करना है। इसके साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि महिलाएं भी देश और समाज के विकास में योगदान दे सकें। उन्हें सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए बालिका दिवस के मौके पर कई देशों में कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम

दुनियाभर के 50 से ज्यादा देशों में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। हर साल बालिका दिवस की एक खास थीम होती है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम ‘अब हमारा समय है- हमारे अधिकार, हमारा भविष्य’ है।

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