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Ganesh Chaturthi Special : यहां है गणेश जी का ऐसा मंदिर,जहां बप्पा के मानव स्वरुप की होती है पूजा


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नई दिल्लीः गणपति बप्पा को आने में अब सिर्फ दो से तीन दिन का समय ही बचा है. देशभर में गणेश चतुर्थी के त्योहार की धूम है. लोगों ने बप्पा के स्वागत की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. खासकर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के त्योहार की अलग ही नजारा देखने को मिलता है. सिद्धिविनायक से लेकर खजराना तक, देशभर में बप्पा के मंदिरों में लोगों की भीड़ देखने को मिलती है.

आप जब भी गणेश भगवान (ganesh chaturthi) के चेहरे के बारे में सोचते होंगे आपको एक बड़ा सा सिर, लंबा सूढ़, बड़ा सा कान और एक टूटा हुआ दांत दिखता होगा. यहां तक कि घर में लगे किसी फोटो में भी आप यही देखते होंगे. दादी- नानी से भी आपने उनके इसी रूप की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एकमात्र (temple where human face of ganesh is found) ऐसा मंदिर भी है जहां गणेश भगवान का मानवीय चेहरा (human face of ganesh) देखने को मिलता है

गणपति बप्पा के गजमुख स्वरूप की पूजा तो आज तक आपने की ही होगा, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां उनके इंसानी स्वरूप की पूजा होती है। देखा जाए तो भारत में कहीं भी बप्पा के इंसान रूप की पूजा करते नहीं देखा गया है।लेकिन तमिलनाडु में एक ऐसा मंदिर है, जहां उनके इंसान स्वरूप को पूजा जा रहा है। इस मंदिर को आदि विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की खास बात यह है कि बप्पा के ऐसे स्वरूप की पूजा केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहीं नहीं होती।

हर मंदिर की अपनी एक खासियत और पौराणिक महत्व होता है. उन्हीं मंदिरों में शामिल है तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित आदि विनायक मंदिर. यहां गणेश जी की प्रतिमा एक नए रूप में विराजमान है. यहां गणेश भगवान की मूर्ति सूढ़ और दांत की नहीं बल्कि मनुष्य की है. और इसलिए दुनिया के कोने-कोने से लोग भगवान गणेश के इस नए रूप का दर्शन करने इस मंदिर में आते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था और यह तमिलनाडु राज्य के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है.

ये बात तो गणपति बप्पा को सर्वप्रथम पूजनीय देव माना गया है। किसी भी शुभ काम को करने से पहले गणपति महाराज की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इनकी पूजा से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं, इसलिए सभी लोग गणेश जी की पूजा करते हैं। आजतक आप सभी ने गणेश भगवान के गजमुख स्वरूप की पूजा की होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां उनके मनाव स्वरुप की पूजा होती है। आइए इस मंदिर के बारे में जानते हैं।

इन सभी मंदिरों में गणपति जी की मूर्ति सूंड वाली है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में इकलौता गणेश मंदिर ऐसा भी है, जहां गणेश जी की प्रतिमा इंसान रूप की है. अब तक आपने भी बप्पा की सूंड वाली मूर्ति ही देखी होगी तो चलिए आपको इस विशेष मंदिर के दर्शन करवाते हैं.आदि विनायक मंदिर केवल भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां बप्पा के इसंनी स्वरूप की मूर्ति विराजमान है। यहां मंदिर में बप्पा के शरीर पर गजमुख नहीं, इंसानी मुख देखा जा सकता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि बप्पा के ऐसे स्वरूप की पूजा केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहीं नहीं होती।

गणपति जी का ये मंदिर तमिलनाडु में है. इस मंदिर का नाम आदिविनायक है, जहां गणेश जी की इंसान के रूप की पूजा की जाती है. दिलचस्प बात ये है कि ये प्रतिमा दुनियाभर में सिर्फ आदिविनायक मंदिर में ही है. इस मंदिर में बप्पा के शरीर पर गजमुख नहीं इंसानी मुख है.

तमिलनाडु के इस अनोखे आदि विनायक मंदिर में पाए जाने वालें गणेश भगवान की प्रतिमा भी अनोखी है. इस मूर्ति को ग्रेनाइट का इस्तेमाल करके बनाया गया है. जहां भगवान गणेश के एक हाथ में कुल्हाड़ी है वहीं दूसरे हाथ में उन्होंने अपना पसंदीदा भोजन मोदक लिया हुआ है.

दुनिया का पहला मानव स्वरुप में पूजा जाने वाला गणपति महाराज का आदि विनायक मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुवरूर जिले में कुटनूर से लगभग 3 किमी दूर तिलतर्पण पुरी में स्थित है।यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुवरूर जिले में कुटनूर से लगभग 3 किमी दूर तिलतर्पण पुरी में स्थित है। यहां आप फ्लाइट के जरिए भी आ सकते हैं। मंदिर के सबसे नजदीक तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी करीब 110 किमी है।

इस मंदिर का नाम आदि विनायक इसलिए पड़ा है क्योंकि मंदिर में आदि यानी उनके पहले स्वरुप की पूजा होती है। लोगों का मानना है कि भगवान पहले ऐसे दिखते थे इसलिए इस मंदिर में उनके मानव स्वरुप की पूजा की जाती है।मान्यता है कि जब भगवान् शंकर गणेश जी पर क्रोधित हो गए थे, उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. जिसके बाद गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगाया गया था. लेकिन यहां बप्पा के उस स्वरूप की पूजा की जाती है. मंदिर का नाम भी इसलिए ही आदि विनायक पड़ा क्योंकि यहां आदि यानी गणपति जी के पहले स्वरूप की पूजा होती है.

कहा जाता है कि एक बार भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए आदि विनयगर मंदिर में पूजा करवाई थी. तब से इस मंदिर में लोग अपने पितरों की शांति की पूजा- पाठ करवाने आते हैं. पूजा नदी के किनारे की जाती है. वैसे तो ये मंदिर बहुत साधारण दिखाई देता है लेकिन लोगों के बीच में इसकी बहुत लोकप्रियता है.

अगर आप ट्रेन के जरिए मंदिर दर्शन का प्लान बना रहे हैं, तो यह मंदिर आपको तिरुवरुर रेलवे स्टेशन के पास पड़ेगा। यहां से मंदिर की दूरी केवल 23 किमी है। इसके सिवा अगर आप चेन्नई से यहां दर्शन के लिए आ रहे हैं, तो यह आपको 318 किमी की दूरी पर पड़ेगा।यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुवरूर जिले में कुटनूर से लगभग 3 किमी दूर तिलतर्पण पुरी नामक जगह पर है. इस मंदिर में आप फ्लाइट के जरिए भी जा सकते हैं. मंदिर के सबसे नजदीक तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी करीब 110 किलोमीटर है. वहीं, अगर आप ट्रेन से यहां जाना चाहते हैं तो चेन्नई पहुंचकर तिरुवरूर के लिए ट्रेन लेनी होगी.

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