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चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में रचाया अनोखा इतिहास,भारत ने अंतरिक्ष में लहराया तिरंगा


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नई दिल्लीः भारत के मिशन मून चंद्रयान-3 ने चांद को चूमकर इतिहास रच दिया है. ISRO का ये मिशन 23 अगस्त (बुधवार) को शाम 6.04 बजे चांद पर उतरा. इसी के साथ चंद्रमा पर उतरने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया. इससे पहले अमेरिका, USSR (पूर्व सोवियत संघ) और चीन ये कारनामा कर चुके हैं. भारत के चंद्रयान-3 की सबसे खास बात ये है कि वह साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र) पर उतरा, जो अब तक कोई भी देश नहीं कर पाया था. इसरो के इस कारनामे पर पीएम मोदी ने कहा, हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया…भारत अब चंद्रमा पर है.हालांकि इनमें से कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हुई है. चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगे. चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया गया था.

देश-दुनिया की धड़कन चंद्रयान 3 मिशन पर टिकी थीं. आखिरकार दशकों की मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया. ISRO के मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सफल हो गई है. भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है.चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत ने आज इतिहास रच दिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल सफलता पूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया. लैंडर विक्रम (Lander Vikram) और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की और इतिहास रच दिया

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से युक्त लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा ने सॉफ्ट लैंडिंग की. इसरो को चार साल में दूसरी कोशिश में ये सफलता मिली है. चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है. इसका उद्देश्य चांद पर विचरण करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना है. चंद्रयान-3 14 जुलाई को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपण किया गया था. इसकी कुल लागत 600 करोड़ रुपये है.भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है. इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही. हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था.

चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे 6, 9, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके.चांद की सतह पर लैंडर विक्रम ने लैंडिंग कर ली है. अब इसके बाद उसके अंदर रखे प्रज्ञान रोवर की बैटरी एक्टिवेट हो जाएगी और उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे. इसके बाद रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा. सतह पर पहुंचने के बाद उसका कैमरा और दूसरे हिस्से एक्टिव हो जाएंगे. इसके बाद रोवर सतह पर आगे बढ़ने लगेगा और वहां डेटा इकट्ठा करने का काम करेगा. रोवर छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को चन्‍द्रयान-3 के लैंडर विक्रम के चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अपना कदम रखने पर देशवासियों और वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि यह सफलता भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्षमता और शक्ति का प्रमाण है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “मिशन चंद्रयान 3 की सफलता पर टीम इसरो को बहुत बधाई. अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियां अब अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू चुकी हैं. सारा देश उन वैज्ञानिकों पर गर्व महसूस कर रहा है जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, मेहनत और प्रबल इच्छाशक्ति से इस मिशन की सफलता के साथ इतिहास रच दिया है.”चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के तुरंत बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि लैंडर और यहां स्थित अंतरिक्ष एजेंसी के मिशन संचालन परिसर (एमओएक्स) के बीच संचार लिंक स्थापित हो गया है. एमओएक्स इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में स्थित है. इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान ‘लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे’ द्वारा ली गईं तस्वीरें भी जारी कीं.

भारत ने इतिहास रच दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया अध्याय रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की. इस सफलता के साथ सोशल मीडिया पर देश-विदेश के कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. साथ ही साठ इसरो के सभी लोगों को शुभकामनाएं दी हैं. आइए देखते हैं सोशल मीडिया पर लोग क्या-क्या प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.बता दें, अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है. लेकिन आज यानी 23 अगस्त, 2023 को भारत ने भी इस सफलता में अपना नाम दर्ज कर लिया है. ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत चौथा देश बन गया है.

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