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UCC : आदिवासी क्षेत्रों को UCC के दायरे से बाहर रखा जा सकता है


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नई दिल्ली –देश के कुछ हिस्सों में आदिवासी समूहों को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया जा सकता है। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को अपनी अध्यक्षता वाली कानून व न्याय संबंधित संसदीय समिति की बैठक में यह विचार रखा। इस बैठक में यूसीसी के स्वरूप को लेकर शुरूआती चर्चा करते हुए उनकी राय ली गई। बैठक में विभिन्न दलों के 17 सांसद एवं विधि आयोग के सदस्य शामिल थे।

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा और डीएमके सांसद पी विल्सन ने बैठक में लिखित बयान पेश किए. उन्होंने यूसीसी को अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव से जोड़ा. वहीं, शिवसेना और बीएसपी ने यूसीसी का विरोध नही किया, लेकिन इसे सशर्त समर्थन दिया. दोनों पार्टियों का कहना था कि आम चुनाव को ध्यान में रखकर यूसीसी को नहीं लाया जाना चाहिए. केसीआर की पार्टी टीआरएस (TRS) ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है। पीएम मोदी के बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने भी यूसीसी का समर्थन किया है।

कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यूसीसी संविधान के खिलाफ है. यह संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत कुछ पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों को दी गई कुछ गारंटी को नुकसान पहुंचाएगा. छठीं अनुसूची नामित आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाती है। विपक्षी नेताओं की इस दलील के जवाब में सुशील मोदी ने कहा, “आदिवासियों को छूट देने पर विचार किया जा सकता है.” बैठक में बताया गया कि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में उनकी सहमति के बिना केंद्रीय कानून लागू नहीं होते हैं।

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