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इलाहाबाद HC ने आदिपुरुष मेकर्स को लगाई फटकार, कहा- धार्मिक ग्रंथों को तो बख्श दीजिए


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मुंबई – इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने फिल्म ‘आदिपुरुष’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। फिल्म को रिलीज हुए 10 दिन बीत चुके हैं लेकिन इसके बावजूद फैंस फिल्म के मेकर्स को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं। अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेकर्स और सेंसर बोर्ड की फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने फिल्म के सह-लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को भी मामले में पक्षकार बनाने और नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

बता दें कि, एडवोकेट कुलदीप तिवारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पिटीशन फाइल की थी। जिस पर 26 जून को सुनवाई हुई। याचिका दायर करने वाले वकील कुलदीप तिवारी ने एक बयान जारी किया और उन्होंने बताया कि, फिल्म आदिपुरुष के मेकर्स और सेंसर बोर्ड पर फटकार लगाई। कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक समेत अन्य प्रतिवादी पार्टियों की कोर्ट में गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताई। यह फिल्म हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित एक पौराणिक एक्शन फिल्म होने का दावा कर रही है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म में डायलॉग एक बड़ा मुद्दा है। रामायण हमारे लिए आदर्श है। लोग घर से निकलने से पहले रामचरितमानस पढ़ते हैं। लेकिन इस गलत ढंग से पेश किया गया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं, बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रन्थ साहिब और गीता जी जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए बाकी जो करते हैं, वो तो कर ही रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट में फिल्म में दिखाए आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए जिसमें हनुमान जी लंका तेरे बाप की कहते हैं। कोर्ट ने कहा हि कि यह अच्छा है कि लोगों ने फिल्म देखने के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति को नुकसान नहीं पहुंचाया। भगवान हनुमान और माता सीता को ऐसे दिखाया गया है, जैसे वे कुछ भी नहीं हैं। इन चीजों को शुरुआत से ही हटा दिया जाना चाहिए था। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ दृश्य ‘ए’ श्रेणी (वयस्क) के लगते हैं।

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