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विज्ञान

भीषण गर्मी के कारण जलवायु परिवर्तन की गति नहीं थम रही है -जानें


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नई दिल्लीः द स्टेट ऑफ़ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 (State of the Global Climate in 2022) नाम की यह रिपोर्ट, गर्मी सोखने वाली ग्रीनहाउस गैसों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने के कारण भूमि, समुद्र और वातावरण में वैश्विक स्तर के बदलाव को दर्शाती है। वैश्विक तापमान के लिए, पिछले तीन वर्षों से ला नीना घटना के शीतलन प्रभाव के बावजूद वर्ष 2015-2022 लगातार रिकॉर्ड पर आठ सबसे गर्म साल थे। पूरी दुनिया में महासागरों में गर्मी और अम्लता (एसिडिटी) अपने रिकॉर्ड स्तर पर थी और अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ और यूरोप के बर्फीले एल्प्स ग्लेशियर अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गए थे।

चेतावनी दी है कि मौसम और जलवायु से जुड़ी घटनाओं ने पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरण को प्रभावित करने के साथ-साथ इंसानों के लिए भी कई मानवीय पैदा किए हैं। डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने अपने एक बयान में कहा कि, “जबकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि और जलवायु में होता बदलाव जारी है, ऐसे में दुनिया भर में आबादी चरम मौसमी और जलवायु घटनाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।“दुनिया में मौसम के हालात को परखने के लिए वैज्ञानिकों ने जिन ग्लेशियरों को परखा, वे महज 2022 में ही करीब 1.3 मीटर यानी 51 इंच तक पिघल चुके हैं। इसी के साथ यह इतिहास में पहली बार हुआ कि स्विट्जरलैंड के बर्फीले ग्लेशियरों में भी गर्मी के मौसम में बिल्कुल बर्फ नहीं बची।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्बन और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने के बावजूद मौसमी स्वरूपों और सभी मानकों में नकारात्मक बदलाव 2060 तक जारी रह सकता है। तालस के मुताबिक, प्रदूषण पहले ही वातावरण को काफी नुकसान पहुंचा चुका है, जिसकी वजह से दुनिया पहले ही ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्रों के जलस्तर को को बढ़ने का खेल हार चुकी है।”हमारे पास उपकरण, ज्ञान और समाधान हैं। लेकिन हमें रफ्तार पकड़नी होगी। हमें वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उत्सर्जन में गहरी, तेज कटौती के साथ त्वरित जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता है। हमें अनुकूलन और लचीलापन में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है, विशेष रूप से सबसे कमजोर देशों और समुदायों के लिए जिन्होंने संकट पैदा करने के लिए कम से कम काम किया है।”

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