अफ्रीकी देश गिनी में फैला खतरनाक मारबर्ग वायरस मचा दिया कोहराम
नई दिल्ली – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। इससे संक्रमित होने वाले 50% मरीजों की मौत हो जाती है। साल 2005 में अंगोला में यह बीमारी फैली थी, जिसमें 88% मरीजों ने अपनी जान गंवाई थी।
अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में कुछ लोग एक अंतिम संस्कार में शामिल हुए और इसके कुछ दिन बाद इनमें से 9 लोगों में एक जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए और फिर इन लोगों की मौत हो गई.मारबर्ग वायरस के संक्रमण की शुरुआत कुछ इसी तरह से हुई है. हालांकि, इक्वेटोरियल गिनी के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जिन दो गांवों के लोगों में ये संक्रमण पाया गया, फिलहाल वहां किसी के भी जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ताजा जानकारी के अनुसार, वो लोग भी क्वारंटाइन का पालन कर रहे हैं, जो संक्रमित लोगों से सीधे जुड़ाव में रहे हैं. फिलहाल 16 लोग संदिग्ध हैं और करीब 4 हजार 3 सौ लोगों को क्वारंटाइन किया गया है।
मारबर्ग वायरस का इंसानों में पाया जाना दुर्लभ है। यह ज्यादातर चमगादड़ों में मिलता है। यह इबोला वायरस के परिवार से आता है। इसकी पहचान पहली बार 1967 में जर्मनी की मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शहरों की लैब्स में हुई थी। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति या चीज को छूने से फैलती है।मारबर्ग वायरस से संक्रमित होने पर इंसान को तेज बुखार, हरारत, नाक से खून, खून की उल्टी और डायरिया होता है। लक्षण में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीलिया, सिर चकराना और पेट के निचले हिस्से में दर्द भी शामिल है।