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गूगल का आज का डूडल : एक्ट्रेस दलित रोजी की जिंदगी,लोगो जला डाला था घर


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नई दिल्ली – एक्ट्रेस पीके रोजी, जिसे आज 120वीं बर्थ एनिवर्सरी पर गूगल ने डूडल बनाकर ट्रिब्यूट दिया है। ये नाम कई लोगों ने पहली बार सुना होगा, लेकिन ये मलयाली सिनेमा की पहली हीरोइन थीं। इनके लिए हीरोइन बनना अपनी जिंदगी को जीते-जी नर्क बनाना साबित हुआ। पहली फिल्म के पहले ही शो के बाद लोग उसकी जान लेने पर आमादा हो गए, थिएटर जला दिए गए। उसे अपनी बाकी जिंदगी गुमनामी में गुजारनी पड़ी।

1903 से जब पीके रोजी उर्फ राजम्मा का जन्म नंदकोड, तिरुवनंतपुरम के एक गरीब दलित परिवार में हुआ. वही दलित और अछूता वर्ग जिसे तालाब, कुओं, मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी. पिता बचपन में गुजर गए तो रोजी ने घास बेचकर छोटी बहन और मां की जिम्मेदारी उठाई. दर-दर भटक रहे परिवार को रिश्तेदार घर ले आए. जाति छोटी थी, लेकिन सपने बड़े थे, सपना नायिका बनना. अंकल की मदद से रोजी ने आर्ट स्कूल में डांस और अभिनय सीखा.

रोजी फिल्म में अपर कास्ट नायर महिला के रोल में थी, जिससे भीड़ पहले ही गुस्से में थी. जैसे ही स्क्रीन पर हीरो रोजी के बालों में लगा फूल चूमता दिखा तो भीड़ ने स्क्रीन पर खूब पत्थर बरसाए. इससे भी गुस्सा शांत नहीं हुआ तो लोग रोजी को मारने दौड़ पड़े. रोजी जान बचाते हुए एक थिएटर में जाकर छिप गई. जिसे भीड़ ने आग लगा दी. घर भी आग में फूंक दिया गया. जान बचाकर रोजी देर रात तक ब्रिज के पास छिपी रही.

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