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G-20 संमेलन में भारत ने विकसित देशों को उत्सर्जन में कटौती करने का दिया संदेश


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रोम – इटली की राजधानी रोम में इस समय G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इस शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा ले रहे है। इस शिखर सम्मेलन में भारत ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठाने वाले विकसित देशों से उत्सर्जन में कमी करने की अपील की है।

केंद्रीय कैबिनेट में वाणिज्य, उद्योग एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जलवायु सम्मेलन या कान्फ्रेंस ऑफ पार्टी 26 (COP26) में भारत ‘विकासशील दुनिया की आवाज का प्रतिनिधित्व करेगा’ क्योंकि भारत जलवायु परिवर्तन से लड़ रहा है, ताकि भविष्य की पीढ़ी के लिए ग्रह को बेहतर किया जा सके। विकसित देशों ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठाया है, अब उन्हें कार्बन उत्सर्जन में कमी करने की आवश्यकता है। ताकि विकासशील देश भी कार्बन का लाभ उठा सकें। कई देशों के पास बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त तकनीक नहीं है। नेट जीरो हासिल करने के लिए कोई वर्ष घोषित करने से पहले, इन देशों को अधिक तकनीक और इनोवेशन की जरूरत है।

इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि इटली जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए गरीब देशों के वित्तपोषण के लिए अगले पांच साल के लिए जताई गई प्रतिबद्धता की राशि में तीन गुना वृद्धि कर 1.4 अरब डॉलर करेगा। यह घोषणा रोम में G-20 के शिखर सम्मेलन के समापन पर की। यह राशि अमीर देशों द्वारा संयुक्त रूप से हर साल 100 अरब डॉलर की सहायता उन विकासशील देशों को देने की जताई गई प्रतिबद्धता में इटली का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल इन देशों को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले विकल्पों को चुनने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिए किया जाना है।

इस शिखर संमेलन में ऊर्जा और जलवायु स्पष्ट तौर पर हमारी चर्चा में मुख्य विषय रहा। भारत और कई अन्य विकासशील देशों ने विकसित हो रही दुनिया के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर जोर दिया। प्रतिबद्धता के वर्तमान स्तर से महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए कई विकसित देश भारत से जुड़े है। विकसित दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की ओर पर्याप्त प्रयास नहीं किए है। एक स्वच्छ ऊर्जा वाली दुनिया के निर्माण के लिए जरूरी परिवर्तनों को लाने के लिए वित्त, प्रौद्योगिकी और सक्षमता प्रदान करनी होगी।

ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए COP26 जलवायु वार्ता को आखिरी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं जंगलों में आग लग रही है, तो कहीं बिनमौसम बरसात के कारण बाढ़ आ रही है। विशेषज्ञों ने बार-बार चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वक्त में हालात और बेकाबू हो सकते है।

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