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क्या पृथ्वी पर खत्म हो जाएंगे सभी पुरुष?,पुरुषों के Y गुणसूत्र के खात्मे पर वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा


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नई दिल्लीः महिला और पुरुष दोनों ही मानव जीवन का आधार हैं. अगर इनमें से कोई भी एक न हो, तो जिंदगी को आगे बढ़ाना नामुमकिन हो जाएगा. क्या होगा अगर दुनिया से सभी पुरुष विलुप्त हो जाएं और सिर्फ महिलाएं ही रह जाएं? शायद आपके लिए इसकी कल्पना करना भी मुश्किल होगा, लेकिन भविष्य में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो पुरुषों के जन्म के लिए जरूरी Y क्रोमोसोम तेजी से कम हो रहा है और यह सिलसिला चलता रहा, तो एक दिन धरती से पुरुष पूरी तरह गायब हो जाएंगे.

यदि पुरुष गायब हो जाएं तो क्या होगा?

क्या आपने कभी सोचा है कि धरती से यदि पुरुष गायब हो जाएं तो क्या होगा? सोचने में ही डर लगता है, लेकिन असल में ऐसा हो सकता है, वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले वक्त में पुरुषों में Y क्रोमोसोम (गुणसूत्र) का सफाया हो सकता है, यह दिन ब दिन सिकुड़ते जा रहे हैं. यही हाल रहा तो एक दिन धरती से पुरुष खत्म हो जाएंगे.

Y गुणसूत्र तेजी से सिकुड़ रहे हैं

होक्काइडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर असातो कुरोइवा कहते हैं कि स्तनधारी प्राणियों में Y गुणसूत्र तेजी से सिकुड़ रहे हैं, इसलिए इनके गायब होने के चांस बढ़ गए हैं. इससे पहले पुरस्कार विजेता आनुवांशिकीविद् जेनी ग्रेव्स 20 साल पहले ही ये दावा कर चुके हैं एक दिन हमारा Y गुणसूत्र चला जाएगा.मेलबर्न के ला ट्रोब विवि के प्रो. ग्रेव्य ने इस रिसर्च की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि रिसर्च चौंकाने वाली है. खासतौर से इसलिए क्योंकि कांटेदार चूहों और मानव की संरचना में कोई अंतर नहीं. यानी जो चूहों में दिख रहा है उसका असर मानवों पर होना तय है

ऐसा हुआ तो सिर्फ महिलाएं बचेंगी

द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के शरीर में दो X क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों के शरीर में एक X और एक Y क्रोमोसोम होता है. जब महिला और पुरुष के XX क्रोमोसोम मिलते हैं, तब भ्रूण फीमेल बन जाता है और जब XY क्रोमोसोम मिलते हैं, तब भ्रूण मेल बनता है. Y क्रोमोसोम को पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता है और पुरुषों के अस्तित्व के लिए यह बेहद जरूरी होता है. पुरुषों का Y क्रोमोसोम खत्म हो जाए, तो दुनिया में लड़के पैदा होना बंद हो जाएंगे और सिर्फ लड़कियां पैदा होंगी. ऐसा सिलसिला चलता रहा, तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब दुनिया में कोई पुरुष बचे ही ना.

Y क्रोमोसोम बच्चे का लिंग तय करता है

इंसान व स्तनधारी जीवों की बात की जाए तो फीमेल में दो X क्रोमोसोम होते हैं। वहीं मेल में एक X क्रोमोसोम के साथ एक छोटा Y क्रोमोसोम भी होता है। X क्रोमोसोम में 900 जीन्स होते हैं। इनका लिंग को तय करने से कोई लेना-देना नहीं है।Y क्रोमोसोम में 55 जीन्स होते हैं। यह क्रोमोसोम भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन इसका काम बड़ा और महत्वपूर्ण है। इसमें एक जरूरी जीन SRY होता है, जो गर्भधारण के 12 हफ्ते बाद बच्चे में टेस्टिस विकसित करता है। भ्रूण में यह टेस्टिस मेल हॉर्मोंस रिलीज करते हैं, जिससे बच्चा नर पैदा होता है।

पुरुषों के Y गुणसूत्र के खात्मे पर

अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि Y क्रोमोसोम तेजी से खत्म हो रहा है. महिलाओं के X क्रोमोसोम पूरी तरह नॉर्मल हैं, लेकिन पुरुषों का X क्रोमोसोम तो ठीक है, लेकिन Y क्रोमोसोम धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है. अगर पतन की यही स्पीड जारी रही, तो अगले 46 लाख साल में Y क्रोमोसोम पूरी तरह खत्म हो जाएगा. ऐसा हुआ तो पुरुषों का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है. आपको लग रहा होगा कि 46 लाख साल तो बहुत लंबा समय है, लेकिन यह भी जानने की जरूरत है कि अभी भी पृथ्वी पर करीब 350 करोड़ साल जीवन बाकी है. इसकी तुलना में 46 लाख साल बेहद कम समय है.

गायब हो रहा Y क्रोमोसोम

रिसर्च के अनुसार, नर इंसान और मैमल्स में Y क्रोमोसोम घटता जा रहा है। इसका अंदाजा ऑस्ट्रेलियन प्लैटीपस से लगाया जा सकता है। इनमें X और Y क्रोमोसोम में मौजूद जीन्स की संख्या बराबर है। इससे वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि एक दौर में इंसान में भी X और Y क्रोमोसोम के जीन्स की संख्या बराबर होती थी। यानी Y क्रोमोसोम में भी 55 की जगह 900 जीन्स होंगे।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 16.6 करोड़ साल से अब तक इंसान Y क्रोमोसोम के 845 जीन्स खो चुका है। इसका मतलब हम हर 10 लाख साल में 5 जीन्स खो रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो अगले 1.1 करोड़ साल में Y क्रोमोसोम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

Y क्रोमोसोम X क्रोमोसोम की तुलना में हमेशा कमजोर

अगर वैज्ञानिकों का अनुमान सही निकला, तो धरती पर जीवन खत्म होने से करोड़ों साल पहले ही पुरुष पूरी तरह विलुप्त हो जाएंगे. ऐसा नहीं है कि Y क्रोमोसोम X क्रोमोसोम की तुलना में हमेशा कमजोर रहा हो. अगर 16.6 करोड़ साल पहले दोनों क्रोमोसोम एक ही साइज के थे और इनमें बराबर संख्या में जीन होते थे. धीरे-धीरे Y क्रोमोसोम में जीन्स की संख्या कम होती गई और इसके खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है. हालाकि इस बारे में वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं और हर साल नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. कई वैज्ञानिकों के बीच भी इसे लेकर मतभेद हैं. उम्मीद है समय के साथ तस्वीर साफ होगी.

चूहों ने जगाई बचने की उम्मीद

विशेषज्ञों की मानें तो रोडेंट्स (कुतरने वाले जीव) की दो प्रजातियों में Y क्रोमोसोम खत्म हो गया है, लेकिन फिर भी वे विलुप्त नहीं हुए हैं। ये हैं पूर्वी यूरोप के मोल वोल्स और जापान के स्पाइनी चूहे। रिसर्चर्स ने इनमें केवल X क्रोमोसोम ही पाए हैं। इनमें SRY जीन भी नहीं मिला है।

भविष्य में नया सेक्स जीन विकसित होने की संभावना

वैज्ञानिकों ने पाया कि स्पाइनी चूहे में SOX9 नाम का एक सेक्स जीन होता है। नर चूहों में इस जीन के पास डुप्लिकेट DNA पाया गया। इसके जरिए SOX9 जीन SRY की तरह काम करने लगता है। यही DNA एक्टिविटी नर और मादा चूहों को एक दूसरे से अलग करती है। भविष्य में हो सकता है कि इंसान में भी कोई दूसरा जीन SRY के गुण विकसित कर ले या कोई नया सेक्स जीन बन जाए। नई खोज एक वैकल्पिक संभावना का समर्थन करती है – कि मनुष्य एक नया लिंग निर्धारण जीन विकसित कर सकता है। हालांकि, एक नए लिंग निर्धारण जीन का विकास जोखिम के साथ आता है। क्या होगा अगर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में एक से अधिक नई प्रणाली विकसित हो जाए? सेक्स जीन का एक “युद्ध” नई प्रजातियों के अलगाव का कारण बन सकता है, जो वास्तव में मोल वोल और स्पाइनी चूहों के साथ हुआ है। इसलिए, यह संभव है कि एक करोड़ 10 लाख साल के बाद पृथ्वी पर कोई मनुष्य न मिले – या कई अलग-अलग मानव प्रजातियाँ हों, जिन्हें उनके अलग-अलग लिंग निर्धारण प्रणालियों द्वारा अलग रखा गया हो।

पुरुषों के Y गुणसूत्र का अंत मानव जाति के विलुप्त होने का अग्रदूत

पुरूषों के भविष्य के लिए इसका क्या मतलब है कुछ छिपकलियां और सांप केवल मादा प्रजातियां हैं और पार्थेनोजेनेसिस के रूप में जाने जाने वाले जीन से अंडे बना सकते हैं। लेकिन यह मनुष्यों या अन्य स्तनधारियों में नहीं हो सकता क्योंकि हमारे पास कम से कम 30 महत्वपूर्ण ऐसे जीन हैं जो केवल तभी काम करते हैं जब वे शुक्राणु के माध्यम से नर से आते हैं। पुनरुत्पादन के लिए, हमें शुक्राणु की आवश्यकता है और हमें पुरुषों की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि वाई गुणसूत्र का अंत मानव जाति के विलुप्त होने का अग्रदूत हो सकता है।

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