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‘राम सेतु’ राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का उठा मुद्दा,सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट


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नई दिल्ली – सरकार की अपील के बाद कोर्ट ने यह फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने सीजेआई की बेंच से कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बाहर होने की वजह से इस मामले की सुनवाई अभी नही हो सकती इसलिए सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाया जाए। शीर्ष अदालत ने सरकार की यह अपील मान ली और छह हफ्ते बाद सुनवाई की बात कही। दरअसल ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित करने की मांग बीजेपी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की है। उन्होंने अदालत के समक्ष याचिका दायर कर अपील की है कि इस संबंध में सरकार को निर्देश दिया जाए।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ को सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि यह एक छोटा मामला है जहां केंद्र को इस पर सिर्फ हां या ना कहना है। इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि हलफनामा तैयार है। हमें मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करना है। वकील ने जब वक्त मांगा तो पीठ ने कहा, ‘वे (केंद्र) अपने पैर क्यों खींच रहे हैं? ‘

राम सेतु तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूने के पत्थरों की एक श्रृंखला है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि वे इस मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसमें केंद्र सरकार ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।

स्वामी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकार की ओर से शुरू की गई विवादित सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा उठाया था। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां 2007 में राम सेतु पर परियोजना के लिए काम पर रोक लगा दी गई। बाद में केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने परियोजना के सामाजिक-आर्थिक नुकसान पर विचार किया था और राम सेतु को नुकसान पहुंचाए बिना शिपिंग चैनल परियोजना के लिए एक और मार्ग तलाश करने की कोशिश की थी।

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