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भारतीय तेजस फाइटर के सामने अन्‍य विमानों की बुरी हालत


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नई दिल्ली – भारत दुनिया के 70 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। एक समय में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का आयात करने वाला भारत अब रक्षा उपकरणों के निर्यात के क्षेत्र में महाशक्ति के रुप में उभरा है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर के साथ इस दावे को थोड़ी मजबूती मिली थी। अब मलेशिया ने भारतीय तेजस विमान में दिलचस्‍पी दिखा कर इस दावे को गति दी है। रणनीतिक रूप से देखा जाए तो भारत दक्षिण पूर्व एशिया में चीन के दुश्मनों को घातक हथियार प्राथमिकता के आधार पर बेच रहा है।

तेजस दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साधने में सक्षम है। अपने अत्‍याधुनिक सिस्‍टम के कारण जंग के मैदान में यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर दुश्‍मन पर गाज गिरा सकता है। यह विमान उतने ही हथियारों और मिसाइलों को लेकर उड़ने में सक्षम है, जितना की भारीभरकम वजन वाला सुखोई विमान। तेजस विमान आठ से नौ टन तक भारी बोझ लेकर उड़ान भर सकता है। तेजस की सबसे बड़ी खूबी इसकी स्‍पीड है। अपनी गति के कारण यह दुनिया के अन्‍य विमानों से श्रेष्‍ठ है। यह विमान अन्‍य युद्धक विमानों की तुलना में हल्‍का है। हल्‍के होने के कारण तेजस की गति बेजोड़ है। इसके अलावा तेजस 52 हजार फीट की ऊंचाई तक ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं। तेजस में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान इलेक्‍ट्रानिक रूप से स्‍कैन रडार, बियांड विजुअल रेंज मिसाइल, इलेक्‍ट्रानिक वारफेयर सुइट से संपन्‍न है।

स्वदेशी तेजस मार्क-1 विमान को दुनिया भर के प्रतिभागियों के साथ पेश करेगी। तेजस निम्न-स्तरीय एरोबेटिक्स के अपने प्रदर्शन के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। इससे इसकी बेहतर हैंडलिंग विशेषताओं और गतिशीलता को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। भारत वास्तव में मलेशिया को LCA तेजस की बिक्री के लिए एक सौदा हासिल करने की कोशिश में जुटा है। भारतीय वायुसेना रायल मलेशियाई वायु सेना से आर्डर हासिल करने के लिए जी-जान से जुटी है, जो अपनी पावर 55 योजना के तहत 36 हल्के लड़ाकू संस्करणों का मिश्रण खरीदना चाह रही है। यह सौदा लगभग 900 मिलियन डालर का होगा। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि भारत अपनी रक्षा उपकरणों के बाजार के आधार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा सके।

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