x
बिजनेसभारत

Ford and Hyundai : हुंडई बन गई नंबर 2 और फोर्ड को हुआ नुकशान


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली –
फोर्ड और हुंडई
फोर्ड और हुंडई ने एक साथ भारत में एंट्री मारी थी। हुंडई ने अपनी छोटी और सस्ती कार सैंट्रो (Santro) के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश किया जबकि फोर्ड ने एस्कॉर्ट (Escort) सैलून लॉन्च की। इसे सबसे पहले 1960 के दशक में यूरोप में उतारा गया था। मारुति की कारें खरीदने के आदी भारतीय ग्राहकों के एस्कॉर्ट की कीमत सुनकर होश उड़ गए। LMC में एनालिस्ट Ammar Master के मुताबिक फोर्ड की EcoSport और Endeavour बेस्ट सेलिंग गाड़ियां रही लेकिन कंपनी के पास इस अपील को कैश करने के लिए ज्यादा मॉडल नहीं थे।

कंपनी के मुताबिक उसने अपने और मॉडल्स को भारत लाने पर विचार किया था लेकिन उसे लगा कि यह नुकसान का सौदा होगा। Ammar Master ने कहा कि विदेशी कंपनियों के साथ हमेशा से यह दिक्कत रही है कि वे भारत विदेशी बाजारों के लिए बनाए गए महंगे मॉडल्स लेकर आईं। देश में लंबी गाड़ियों पर ज्यादा टैक्स लगता है, इसलिए फोर्ड जैसी कंपनियों के लिए मुकाबले में रहना मुश्किल हो गया। अमेरिकी कंपनियां भारतीय बाजार के मुताबिक छोटी गाड़ी बनाने में नाकाम रहीं। इससे उनका घाटा बढ़ता गया।

पिछले हफ्ते फोर्ड ने 2 अरब डॉलर का नुकसान उठाते हुए भारत में कार बनाने का काम बंद करने का फैसला किया। इससे पहले जनरल मोटर्स कंपनी और हार्ली डेविडसन इंक भी भारत में अपनी फैक्ट्रीज बंद कर चुकी हैं। अब भारत में मौजूद विदेशी ऑटो कंपनियों में जापान की निसान मोटर कंपनी लिमिटेड (Nissan Motor Co Ltd) और जर्मनी की फोक्सवैगन एजी (Volkswagen AG) रह गई हैं। फोक्सवैगन बिक्री के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी है। उनकी भारतीय कार मार्केट में 1 फीसदी से भी कम हिस्सेदारी है।

अनुमान लगाया जा रहा था कि 2020 तक चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार मार्केट होगा। यहां सालाना बिक्री 50 लाख होगी। लेकिन देश में कारों की सालाना बिक्री का आंकड़ा 30 लाख पर अटका हुआ है। पिछले दशक में इसकी ग्रोथ 3.6 फीसदी रह गई है जो एक दशक पहले पहले 12 फीसदी थी।
भारत में कार बनाने का काम बंद करने का फैसला किया। इससे पहले जनरल मोटर्स (General Motors) और हार्ली डेविडसन (Harley Davidson) भी भारत में अपनी फैक्ट्रीज बंद कर चुकी हैं। आखिरकार इन कंपनियों को क्यों रास नहीं आया।

Back to top button