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Nestle Controversy : गरीब और विकासशील देशों में अधिक चीनी वाले उत्पाद बेच रही नेस्ले


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नई दिल्ली – भारत में नेस्ले के दो सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में बड़ी मात्रा में एडेड शुगर या कहें अतिरिक्त चीनी मिली होने का खुलासा हुआ है. स्विट्जरलैंड की कंपनियों पर निगरानी रखने वाली वेबसाइट ‘पब्लिक आई’ की जांच में पता चला है कि नेस्ले जब इन बेबी-फूड प्रोडक्ट्स को ब्रिटेन, जर्मनी जैसे विकसित देशों में बेचता है, तो उसमें चीनी नहीं होती है. नेस्ले स्विट्जरलैंड की एक नामी कंपनी है, जिसके प्रोडक्ट्स दुनियाभर में बेचे जाते हैं.

भारत में बिकने वाले नेस्ले के बेबी फुड प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा कितनी?

रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिकने वाले नेस्ले के बच्चों से जुड़े उत्पादों की हर सर्विंग में करीब 3 ग्राम चीनी पाई गई. चीनी की इस मात्रा के बारे में पैकेट पर कंपनी की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है.नेस्ले की ओर से गरीब और विकासशील देशों में बेचे जा रहे उत्पादों में चीनी मिलाने का खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएफएएन (इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क) ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले कंपनी के बेबी फूड उत्पादों के नमूने बेल्जियम की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजे.

Nestle India ने क्‍या कहा

बुधवार को जब ये रिपोर्ट सामने आई तो नेस्‍ले का ये डबल स्‍टैंडर्ड मुद्दा गर्मा गया. इसके बाद Nestle India की ओर से बयान सामने आया है. ‘नेस्‍ले इंडिया के प्रवक्‍ता की ओर से कहा गया है कि हम बच्‍चों के प्रोडक्‍ट्स में हाई क्‍वालिटी वाली सामग्री के इस्‍तेमाल को प्राथमिकता देते हैं. पिछले 5 वर्षों में, नेस्ले इंडिया ने हमारे शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज बेस्‍ड फूड) में वैरिएंट के आधार पर अतिरिक्त शर्करा को 30% तक कम कर दिया है. हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना अतिरिक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार जारी रखते हैं.’

पैकेजिंग से चीनी की बात छिपा रहा नेस्ले

नेस्ले की चालाकी इस बात से भी पता चलती है कि वह अक्सर ही प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर इस बात की जानकारी नहीं देता है कि इसमें कितनी चीनी है. रिपोर्ट में बताया गया, “नेस्ले अपने प्रोडक्ट्स में मौजूद विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों की जानकारी तो देता है, लेकिन जब बात अतिरिक्त चीनी की आती है, तो ये बिल्कुल भी पारदर्शी नहीं है.” नेस्ले ने 2022 में भारत में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के सेरेलैक प्रोडक्ट्स बेचे हैं.

बच्चों के लिए क्यों नुकसानदेह है चीनी?

रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि बच्चों के शुरुआती दिनों में चीनी के संपर्क में आने से उनमें शर्करा आधारित उत्पादों के लिए जीवन भर आकर्षित रहते हैं जिससे मोटापे और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.2022 में, WHO ने शिशुओं के लिए खाद्य उत्पादों में चीनी मिलाने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था और उद्योगों से अपने उत्पादों में सुधार करने को कहा था.

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