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सरकार के फैसले पर WFI प्रमुख बृजभूषण ने दी ये प्रतिक्रिया


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नई दिल्लीः भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण ने रविवार को डब्ल्यूएफआई निकाय को निलंबित करने के खेल मंत्रालय के फैसले के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा संजय सिंह मेरे रिश्तेदार नहीं हैं। बृजभूषण सिंह के करीबी सहयोगी और वफादार संजय कुमार सिंह को गुरुवार को कुश्ती संस्था का नया अध्यक्ष चुना गया था।

WFI प्रमुख बृजभूषण ने दी ये प्रतिक्रिया

भारतीय कुश्ती संघ पर खेल मंत्रालय के एक्शन के बाद पूर्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मेरा कुश्ती संघ से अब कोई लेना-देना नहीं है। संजय सिंह मेरे कोई रिस्तेदार नहीं हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कई बड़े बयान दिए। सिंह ने कहा कि कुश्ती संघ में मेरा रोल समाप्त हो चुका है. मैंने 12 साल तक कुश्ती संघ के लिए काम किया है। में कुश्ती संघ से संन्यास ले चुका हूंय़ मेरा कुश्ती संघ से अब कोई लेना-देना नहीं है। U-15 और U-20 आयोजित करने की घोषणा नंदिनी नगर में नागरिकों को यह सुनिश्चित करना था कि खेल आयोजन फिर से शुरू हों। उन्होंने आगे कहा कि ‘मैं काम करता रहूंगा। हम एकेडमी चलाते रहेंगे। एकेडमी में 100-150 बच्चे हैं और मैंने खुद कुश्ती खेली है, कुश्ती के बल पर ही मैं आज यहां पर पहुंचा हूं। हम अपनी एकेडमी बंद नहीं करेंगे।’

केंद्र सरकार ने लिया फैसला?

दरअसल खेल मंत्रालय ने कहा कि नई संस्था पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के कंट्रोल में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के मुताबिक नहीं है. डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘नए पैनल ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया. महासंघ अगले आदेश तक निलंबित रहेगा. डब्ल्यूएफआई कुश्ती के दैनिक कामकाम को नहीं देखेगा.

पहलवानों के लिए 12 साल काम किया

पूर्व अध्यक्ष भूषण ने कहा, ‘मैंने पहलवानों के लिए 12 साल काम किया है। समय बताएगा कि क्या मैंने न्याय किया है। अब फैसले और सरकार के साथ बातचीत महासंघ के निर्वाचित लोगों द्वारा की जाएगी। चुनाव को लेकर भूषण ने आगे कहा कि ‘सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और निकाय का गठन किया गया। अब यह उनका (महासंघ के सदस्यों का) निर्णय है कि वे सरकार से बात करना चाहते हैं या कानूनी कार्रवाई करना चाहते हैं। मैंने इससे कोई लेना देना नहीं।’

उन्होंने अपने घर के बाहर लगे दबदबे वाले पोस्टर के बारे में कहा कि-हां मैंने ही वह पोस्टर उतरवा दिया था उस पोस्टर से दबदबे वाले घमंड की की बू आ रही थी। मैं तो लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगा हूं, कुश्ती संघ के बारे में अब जो फैसला लेना है वो अब चुने हुए लोग ही करेंगे। अब कुश्ती संघ कोर्ट जाए या ना जाए इससे मेरा कोई संबंध नहीं है। नए फेडरेशन से मेरा कोई संबंध नहीं है और ना ही संजय सिंह मेरे कोई रिश्तेदार हैं। अब मैं कुश्ती संघ का चुनाव भी नहीं लड़ने जा रहा हूं।

खिलाड़ियों ने लौटाए थे पुरस्कार

विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन की अगुआई करने वाले पहलवान बजरंग पूनिया ने संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था. इससे एक दिन पहले साक्षी ने भी कुश्ती को अलविदा कह दिया था.

इस फैसले पर क्या बोलीं साक्षी मलिक?

इससे पहले केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने पर पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह पहलवानों की बेहतरी के लिए हुआ है। हम तो कह रहे थे कि यह बेटियों और बहनों की लड़ाई है, यह पहला कदम है।’केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने के बाद, बृज भूषण शरण सिंह का कहना है, “मैंने पहलवानों के लिए 12 साल काम किया है। समय बताएगा कि क्या मैंने न्याय किया है… अब फैसले और सरकार के साथ बातचीत महासंघ के निर्वाचित लोगों द्वारा की जाएगी.

संजय कुमार सिंह को नया अध्यक्ष चुना गया

दरअसल, बृजभूषण सिंह के करीबी सहयोगी और वफादार संजय कुमार सिंह को गुरुवार को कुश्ती संस्था का नया अध्यक्ष चुना गया था। सिंह ने 47 में से 40 वोट हासिल करके चुनाव जीता था, जबकि एक अन्य आवेदक, पूर्व भारतीय पहलवान और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता, अनीता श्योराण को केवल सात ही वोट मिले थे।

क्या है मामला

सूत्र ने निलंबन के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, ‘डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने 21 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष चुने जाने के दिन ही घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप साल खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होगी.’ उन्होंने कहा, ‘यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है. उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना जिन्हें उस राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है. डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया.’

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