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टेक्नोलॉजी

AI टूल करता है भूकंप की 70 प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी

नई दिल्लीः दुनियाभर में AI का इस्तेमाल और रोल दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं. लगभग हर सेक्टर में AI का इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ रिसर्चर्स ने इसका इस्तेमाल भूकंप का अनुमान लगाने में किया है.हाल के दिनों में आए कई भूंकप के कई झटकों के बाद इसकी भविष्यवाणी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस बीच एक नए शोध में पता चला है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित टूल्स ने भूकंप की 70 फीसदी सटीक भविष्यवाणी की।

एक सप्ताह पहले ही एआई टूल्स ने की भविष्यवाणी

भीषण भूकंपों के बाद हुई भारी तबाही किसी से छुपी नहीं है। तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद दुनिया ने प्रमुख स्मारकों को मलबे में तब्दील होते देखा। हालाँकि, वैज्ञानिकों का सुझाव है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से भूकंप की पहले से भविष्यवाणी करने में अंतर आ सकता है।ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय (यूटी) के शोधकर्ताओं ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चीन में सात महीने की टेस्टिंग के दौरान भूकंप आने से एक सप्ताह पहले ही एआई टूल्स ने उसकी 70 प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी की।

सभी रिजल्ट नहीं हैं परफेक्ट

शोधकर्ताओं ने कहा कि ये नतीजे एक साप्ताहिक पूर्वानुमान में आए थे। जिसमें एआई ने लगभग 200 मील या 320 किलोमीटर के भीतर 14 भूकंपों की सफलतापूर्वक भविष्यवाणी की थी। हालांकि, एआई-टूल एक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी करने से चूक गया था। साथ ही आठ भविष्यवाली गलत निकलीं।शोधकर्ताओं ने कहा कि एआई टूल को वास्तविक समय के भूकंपीय डेटा में सांख्यिकीय बढोतरी का पता लगाने के लिए प्रोग्राम किया गया था। ये अध्ययन सीस्मोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका के जर्नल बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है।शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि, इस अध्ययन के निष्कर्ष एआई-संचालित भूकंप पूर्वानुमान के शोध में एक मील का पत्थर हैं।उन्होंने कहा कि एआई को वास्तविक समय के भूकंपीय डेटा में सांख्यिकीय उछाल का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था, जिसे शोधकर्ताओं ने पिछले भूकंपों के साथ जोड़ा था, उन्होंने कहा कि यह विधि अपेक्षाकृत सरल मशीन सीखने के दृष्टिकोण का पालन करती है।

भूकंपों के संकेतों का पूर्वानुमान

टेक्सास विश्वविद्यालय के ‘ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक जियोलॉजी’ के प्रोफेसर और शोध टीम के सदस्य सर्गेई फोमेल ने कहा, ‘‘हम अभी तक दुनिया में कहीं भी भूकंप का पूर्वानुमान जताने के करीब नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हमने जो हासिल किया है वह बताता है कि जिसे हमने असंभव समस्या माना था वह सैद्धांतिक रूप से हल करने योग्य है।’’शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि डेटा फिट होने के बाद एआई ने धरती के नीचे हलचल के बीच आने वाले भूकंपों के संकेतों को सुनकर अपना पूर्वानुमान दिया।

हर जगह काम करेगा या नहीं

यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि क्या यह पद्धति अन्य स्थानों पर काम करेगी, लेकिन शोधकर्ताओं को भरोसा है कि कैलिफोर्निया, इटली, जापान, यूनान, तुर्किये और टेक्सास जैसे भूकंपीय ट्रैकिंग नेटवर्क वाले स्थानों में एआई अपनी सफलता दर में सुधार कर सकता है।

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