प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया आदि महोत्सव का उद्घाटन,देश के लिए अभियान
नई दिल्ली – पीएम मोदी मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन किया,यहां स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को श्रद्दांजलि दी। इस कार्यक्रम में जनजातीय संस्कृति, शिल्प, खान-पान, वाणिज्य और पारंपरिक कला को प्रदर्शित किया जा रहा है। जनजातीय समुदायों की ओर से उपजाए जाने वाले श्री अन्न, इस कार्यक्रम का केंद्र बिंदु रहेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपना संबोधन भी दिया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आदिवासी समाज के विरासत से लेकर विकास पर चर्चा की।
PM Narendra Modi inaugurates the "Aadi Mahotsav", the mega National Tribal Festival at Major Dhyan Chand National Stadium in Delhi. He also paid floral tribute to tribal freedom fighter Birsa Munda.
Union Tribal Affairs Minister Arjun Munda is also present with him. pic.twitter.com/OYB8e8avTA
— ANI (@ANI) February 16, 2023
इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र पर चल रहा है। अब सरकार दिल्ली से उससे मिलने जाती है जिसे दूर समझा जाता था। जो खुद को दूर समझता था उसे अब मुख्यधारा में लाया जा रहा है।आदि महोत्सव जनजातीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने का एक मंच है। आदि महोत्सव में जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा, चित्रकारी, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन और प्राकृतिक उत्पाद, उपहार ,जनजातीय व्यंजन की प्रदर्शनी और स्टॉल लगाए गए है।
पहली बार देश ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत की है। pic.twitter.com/V8ytWMOuW2
— PMO India (@PMOIndia) February 16, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं। मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है, उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है। आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है। पीएमओ ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी देश की जनजातीय आबादी के कल्याण के लिए कदम उठाने में सबसे आगे रहे हैं और वह देश के विकास में उनके योगदान का उचित सम्मान भी करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है। अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे।